दिलीप वेंगसरकर : प्रोफाइल
दिलीप बलवंत वेंगसरकर एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर और क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर हैं। उन्हें कोलोनल (कर्नल) के नाम से भी जाना जाता है। सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ वह भी भारतीय टीम के की प्लेयर रहे हैं। वह 70वें के आखिर और 80वें दशक की शुरूआत में भारतीय टीम के जाने माने बल्लेबाज रहे। वह 1992 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहे। रंजी ट्रॉफी में उन्होंने बॉम्बे का प्रतिनिधित्व किया। भारत में खेले गए टेस्ट मैचों में उनका औसत सबसे अधिक औसतों में से एक रहा है।
करियर
दिलीप वेंगसरकर ने अपना अंतराष्ट्रीय क्रिकेट करियर 1975-76 में न्यूजीलैंड के विरूद्ध शुरू किया। उन्होंने भारत के लिए ओपनिंग की। भारत यह मैच आराम से जीता परंतु दिलीप वेंगसरकर का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। बाद में वह आमतौर पर नंबर 3 या नंबर 4 पर बैटिंग करने आते थे। वह वर्तमान में टीम को सलाह देते हैं और तेलुगु वारियर्स टीम के कोच हैं।
बेहतरीन खेल
1979 में दिलीप वेंगसरकर ने पाकिस्तान के विरूद्ध दूसरे टेस्ट मैच में जबरदस्त खेल दिखाया था। यह मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेला गया जहां भारत को जीतने के लिए 390 रनों की जरूरत थी। वह भारत को टारगेट के बहुत करीब ले जाने में सफल हुए। भारत एक यादगार जीत से सिर्फ 26 रन से रह गया। यशपाल शर्मा, कपिल देव और रोजर बिन्नी आउट होकर जा चुके थे और वेंगसरकर ने निश्चय किया कि वह टीब्रेक के बाद खेलकर मैच को ड्रा की ओर ले जाएंगे। उन्होंने बिना आउट हुए 146 रन बनाए।
1978-79 में, दिलीप वेंगसरकर ने भारत के वैस्टइंडीज के खिलाफ मैच में सुनील गावस्कर के साथ मिलकर 300 रनों की पार्टनरशिप की। दोनों खिलाडियों ने अपना अपना शतक जमाया।
दिलीप वेंगसरकर 1983 में वर्ल्डकप जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे। 1985 से 1987 के बीच, दिलीप वेंगसरकर ने टीम के लिए अच्छे खासे रन बनाए। उन्होंने इस दौरान पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, वैस्टइंडीज और श्रीलंका के विरूद्ध शतक जमाए। इस ट्रेक रिकॉर्ड के दम पर वे कूपर्स और लेब्रांड रेटिंग में सबसे अच्छे बल्लेबाज बनने में भी सफल हुए।
जब वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने धूम मचा रखी थी, दिलीप वेंगसरकर उन बल्लेबाजों में शामिल थे जिन्होंने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और मैल्कम मार्शक, माइकल होल्डिंग्स और एंडी रोबर्ट्स के खिलाफ 6 शतक जमाए।
खासियत
उन्होंने 1986 में लॉर्ड्स मैदान पर एक शतक जमाया और इस तरह तीन लगातार टेस्ट मैचों में शतक जमाने का रिकॉर्ड बनाया। इंग्लैंड में भारत की जीत में मदद करने के लिए उन्हें मैन ऑफ द सीरिज का अवार्ड दिया गया।
कप्तानी
1987 के वर्ल्डकप के बाद दिलीप वेंगसरकर कपिल देव को हटाकर कप्तानी के लिए चुने गए थे। उन्होंने अपनी कप्तानी की शुरूआत दो शतकों के साथ की परंतु उनकी कप्तानी मुश्किलों में फंसती रही। 1989 में वेस्टइंडीजे के खराब टूर के बाद उनकी कप्तानी छिन गई।
अवार्ड
1981 में दिलीप वेंगसरकर को उनके उम्दा प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया। भारतीय क्रिकेट टीम में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री का अवार्ड दिया। बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया ने उन्हें सीके नायडु लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया।