• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. अन्य खेल
  3. समाचार
  4. Wimbledon

हॉक आई से विंबलडन पर नजर

हॉक आई से विंबलडन पर नजर - Wimbledon
विंबलडन में इस बार विक्टर ट्रियोचकि का चेयर अंपायर के साथ हुई बहस का वीडियो काफी  चर्चा का विषय बन गया था। हुआ यह था कि उनके मैच में उनकी सर्विस पर ब्रेक पॉइंट पर  लाइन अंपायर के कॉल को बदलते हुए चेयर अंपायर ने अपना फैसला सुनाया। और जिस कोर्ट पर यह मैच हो रहा था वहां हॉक ऑय सिस्टम नहीं लगा हुआ है। इस वजह से  इस फैसले को चैलेंज भी नहीं किया जा सकता था और यही वजह विक्टर को गुस्सा दिला गई। 
 
हॉक आई सिस्टम टेनिस में खिलाड़ियों को किसी लाइन कॉल पर संदेह होने की स्‍थिति में उसे  टेक्नोलॉजी की मदद से फिर से देखने का मौका देता है। कई कैमरे और मौसम की जानकारी  यह तय करते है कि बॉल कहां गिरी होगी। 
 
2006 से विंबलडन में सेंटर कोर्ट और नंबर 1 कोर्ट में इसको लगाया गया था। उसके बाद से  पिछले साल से कोर्ट नंबर 2, 3, 12 और 18 में भी इसका इस्तेमाल शुरू किया गया है और  बाकी बचे हुए कोर्ट्स पर चेयर अंपायर का ही फैसला आखिरी होता है। 
 
वैसे विंबलडन में सिर्फ यही हॉक आई नहीं है। यहां असली में बाजों का इस्तेमाल होता है।  टूर्नामेंट के समय हर दिन खेल शुरू होने से पहले यहां का मशहूर बाज रूफस आसमान में देखा  जा सकता है। रूफस का यहां होना कबूतरों को कोर्ट्स से दूर रखता है और रूफस पिछले 15  सालों से विंबलडन के लिए यह काम कर रहा है। 
 
रूफस का खुद का पास भी बना हुआ है। हेमिश हॉक से रूफस ने यहां की कमान संभाली थी  और इस साल उसका साथ देने पोलक्स बाज भी आ गया है, जो कि रूफस की तरह कैमरों से  सहज नहीं है और कैमरा होने पर वो कहीं दूर ही जाकर बैठता है। शायद रूफस और समय  उसको इसकी आदत जरूर डलवा देंगे। 
 
यहां बाजों के इस्तेमाल के शुरुआत की कहानी भी दिलचस्प है। कहा जाता है कि हेमिश के  मालिक को बचपन में बाजों से लगाव था। और जहां वो इनके साथ खेलता था वहां के लोगों ने  उसके इस शौक के चलते कबूतरों की संख्या में कमी को महसूस किया और हेमिश के मालिक  को धन्यवाद दिया। 
 
इसी से उस बच्चे के दिमाग में इसका इस्तेमाल एक प्रोफेशन जैसा करने का विचार आया था  जिसे विंबलडन ने सुनते ही फौरन स्वीकार भी कर लिया था। तब से यहां और बाजों का रिश्ता  जम गया है।