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Last Updated : सोमवार, 7 जनवरी 2019 (00:03 IST)

सुनील छेत्री ने मेस्सी को पछाड़ा, भारत ने 1964 के बाद एशियाई कप में पहली जीत दर्ज की

सुनील छेत्री ने मेस्सी को पछाड़ा, भारत ने 1964 के बाद एशियाई कप में पहली जीत दर्ज की - Sunil Chhetri
अबुधाबी। भारतीय फुटबॉल में ‘गोल मशीन’ के नाम से मशहूर सुनील छेत्री के 2 गोल की मदद से टीम ने रविवार को यहां थाईलैंड को 4-1 से हराकर 1964 के बाद एएफसी एशियाई कप में पहली जीत दर्ज की। इसी के साथ भारतीय फुटबॉल स्टार ने 67वां गोल दागकर सुपरस्टार लियोनेल मेस्सी को (65 अंतरराष्ट्रीय गोल) पीछे छोड़ दिया।
 
 
अपना दूसरा एशियाई कप और 105वां मैच खेल रहे छेत्री ने 27वें मिनट में पेनल्टी के जरिए और 46वें मिनट में दूसरा गोल दागा जो उनका क्रमश: 66वां और 67वां अंतरराष्ट्रीय गोल था। 
 
मिडफील्डर अनिरूद्ध थापा और दूसरे हाफ में स्थानापन्न खिलाड़ी के तौर पर उतरे जेजे लालपेखलुआ ने इसके बाद टीम के लिए 68वें और 80वें मिनट में गोल किए, जिससे भारत ने अल नाहयान स्टेडियम में थाईलैंड को शिकस्त दी। उत्साहवर्धन करने के लिए स्टेडियम में काफी संख्या में भारतीय समर्थक मौजूद थे। 
 
इन दो गोल की मदद से 34 साल के सुनील छेत्री अर्जेंटीना के सुपरस्टार लियोनल मेस्सी को पछाड़ने में सफल रहे, जिनके 128 मैचों में 65 अंतरराष्ट्रीय गोल हैं। पुर्तगाल के सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो 154 मैचों में 85 गोल से सर्वाधिक गोल करने वाले फुटबॉलर हैं। 
 
थाईलैंड के कप्तान और स्ट्राइकर टीरासिल डांग्डा ने ग्रुप 'ए' के इस मैच में अपनी टीम के लिए 33वें मिनट में गोल किया। भारतीय टीम अब संयुक्त अरब अमीराज और बहरीन के खिलाफ होने वाले आगामी दो मुकाबलों में ड्रॉ खेलकर भी नाकआउट दौर में जगह बना सकती है।
 
फीफा रैंकिंग में 97वें स्थान पर काबिज भारतीय टीम मैच में 118वीं रैंकिंग की प्रतिद्वंद्वी को हराने के इरादे से ही उतरी थी लेकिन खिलाड़ियों के इस तरह के शानदार प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी, विशेषकर दूसरे हाफ में। पहले हाफ में थाईलैंड की टीम बेहतर दिख रही थी, जिसने 70 प्रतिशत तक फुटबॉल पर कब्जा बनाए रखा और लक्ष्य पर ज्यादा शॉट लगाए।
 
थाईलैंड के तीन खिलाड़ी जापान की शीर्ष टीयर जे लीग में खेलते हैं जिससे दक्षिण पूर्वी एशियाई देश ने शुरू में कुछ सटीक मूव और बेहतरीन तेज तर्रार पास से प्रभावित किया जिसमें भारत को काफी डिफेंसिव होकर खेलना पड़ा। 
भारत ने ऐसे कुछ सटीक मूव बहुत कम बनाए और कई बार तो गेंद कब्जे से गंवा दी। गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू इस हाफ में प्रतिद्वंद्वी गोलकीपर से ज्यादा व्यस्त नजर आए। लेकिन दूसरे हाफ में मैच का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया जिसमें भारत ने शानदार तरीके से तीन गोल दागे और थाईलैंड से मैच छीन लिया। टीम ऐसी दिख रही थी जो सटीक पास से गोल करने के बेहतरीन मौके बना सकती है, इसी के बूते खिलाड़ियों ने तीन गोल जमा दिए। 
 
मौजूदा टीम में छेत्री एकमात्र खिलाड़ी हैं जो 2011 में खेलने वाली टीम का हिस्सा थे। वह एशियाई कप में भारत की ओर से सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी भी बन गए, इससे उन्होंने इंदर सिंह को पछाड़ा, जिन्होंने 1964 के चरण में दो गोल दागे थे जिसमें भारत उप विजेता रहा था। 
 
अपने चौथे एशियाई कप में भाग ले रही भारतीय टीम की यह 11 मैचों में तीसरी जीत थी। देश ने इसराइल में हुए 1964 चरण में दो मैच जीते थे और एक गंवाया था, जिसमें महज चार देशों ने शिरकत की थी। इसके बाद टीम को 1984 में तीन मैचों में हार मिली थी जबकि एक मैच ड्रॉ रहा था। वहीं 2011 में टीम ग्रुप के सभी तीनों मैचों में हार गई थी। 
 
भारत ने जेजे लालपेखलुआ और बलवंत सिंह पर तरजीह देते हुए पुणे सिटी एफसी के 21 साल के खिलाड़ी आशिक कुरूनियन को शुरुआती एकादश में शामिल किया और इस खिलाड़ी ने बेहतर खेल भी दिखाया और वह छेत्री के बिलकुल पीछे मौजूद रहे। 
उन्होंने भारत को पेनल्टी भी दिलाई, आशिक का शॉट थाई गोलकीपर से डिफ्लेक्ट होकर डिफेंडर थीराथोन बुनमाथन के हाथ पर लगा और हांगकांग के रैफरी ने तुरंत भारत को स्पाट दे दिया। छेत्री ने इसका पूरा फायदा उठाकर भारत को 1-0 से आगे कर दिया। थाईलैंड ने छठे मिनट के अदंर कप्तान और स्ट्राइकर डांग्डा की बदौलत बराबरी हासिल कर ली जिन्होंने फ्री किक को दिशा देते हुए गुरप्रीत के सिर के ऊपर से सीधे नेट में पहुंचा दिया। 
 
थाईलैंड को 22वें और 25वें मिनट में गोल करने के दो बेहतरीन मौके मिले थे, पर वे इसका फायदा नहीं उठा सके। पहले हाफ में छेत्री ने भी दो शॉट लगाए, जिसमें से पहला 37वें मिनट में काफी करीबी रेंज का था जिसे थाईलैंड के डिफेंडर ने रोक दिया था जबकि पांच मिनट बाद दूसरा प्रयास वाइड चला गया। 
 
लेकिन दूसरे हाफ में एक मिनट बाद ही छेत्री ने विश्व स्तरीय गोल दागकर टीम को 2-1 से आगे कर दिया। विंगर उदांता सिंह ने बांयी ओर से भागते हुए तेजी से शानदार क्रॉस दिया, जिसे बॉक्स के पास छेत्री ने भागते हुए लाजवाब तरीके से नेट में डाल दिया। 
 
भारत के तीसरे गोल ने दिखा दिया कि वे गेंद पास करने के मामले में कितने ज्यादा सुधरे हैं, जिसमें तीन खिलाड़ियों का योगदान रहा। हलीचरण नार्जरी ने उदांता को पास दिया और थापा ने डिफेंडरों को छकाते हुए इसे नेट में पहुंचा दिया। 
 
लालपेखलुआ ने मैदान में आने के दो मिनट बाद ही टीम के लिए चौथा गोल दाग दिया। फिर नार्जरी ने सटीक पास दिया और इस स्ट्राइकर ने बॉक्स के ऊपर से शॉट लगाकर थाईलैंड के गोलकीपर की इसे रोकने की उम्मीद तोड़ दी। 
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