'उड़न सिख' मिल्खा सिंह ने जाहिर की अपनी आखिरी तमन्ना...
लखनऊ। 'उड़न सिख' के नाम से मशहूर दिग्गज एथलीट पद्मश्री मिल्खा सिंह की तमन्ना है कि उनके जीते-जी कोई भारतीय एथलीट ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीते।
नवाब नगरी लखनऊ स्थित एक स्कूल में नवनिर्मित एथलेटिक्स ट्रैक एवं खेल मैदान का लोकार्पण करने के बाद 83 वर्षीय एथलीट ने रविवार को कहा कि भारत एथलेटिक्स के क्षेत्र में आज काफी पिछड़ चुका है। मेरे हाथ में रोम में स्वर्ण पदक फिसल गया था और मैं चाहूंगा कि मेरे जीते-जी कोई भारतीय एथलीट ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते।
मिल्खा सिंह जब नंगे पैर दौड़कर रिकॉर्ड तोड़ सकता है तो आज तो सब सुविधाएं हैं तो फिर उम्मीद है कि हमसे आगे भी लोग निकलें। उम्मीद है कि मेरा यह सपना जल्द ही पूरा होगा।
उन्होंने कहा कि मैं अपनी जिंदगी में 3 बार रोया था। पहली बार जब मेरे मां-बाप बंटवारे के समय कत्ल कर दिए गए थे, फिर रोम ओलंपिक में मेडल चूकने पर रोया। इस अवसर पर उन्होंने एक शेर कहा कि 'हाथ की लकीरों से जिंदगी नहीं बनती/ अजम (आत्मबल) हमारा भी कुछ हिस्सा है जिंदगी बनाने का।'
मिल्खा ने कहा कि हमारे समय में न ट्रैक सूट थे तो रनिंग शूज भी नहीं थे लेकिन फिर भी हम दौड़े और पदक जीते। हम आर्मी की जर्सी पहनकर दौड़ते थे। हमने बहुत मेडल जीते लेकिन रोम ओलंपिक में पदक से चूककर चौथे स्थान पर रह जाने का अफसोस है। मैंने रोम ओलंपिक में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था लेकिन रिकॉर्ड से चूक गया था। 1960 के रोम ओलंपिक में मिल्खा 47.6 सेकंड का रिकॉर्ड तोड़ समय निकालने के बावजूद चौथे स्थान पर रहे थे और बेहद मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गए थे।
पाकिस्तान में उड़न सिख का खिताब पाने वाले मिल्खा ने भाव-विभोर होकर कहा कि अमेरिकन प्रेसीडेंट रहे बराक ओबामा ने एक बार कहा था कि मैं भारत में 3 लोगों को जानता हूं- उनमें से पहला मिल्खा सिंह, दूसरा फिल्म स्टार शाहरुख खान और तीसरा बॉक्सर मैरीकॉम।
उन्होंने बताया कि लखनऊ से मेरी बहुत यादें जुड़ी हैं। मैंने यहीं पर एएमसी सेंटर में लगे एथलेटिक्स ट्रैक पर प्रैक्टिस की थी, तब वहां सिंडर ट्रैक हुआ करता था। मैंने यहीं पर 1956-57 में हुई ऑल इंडिया सर्विसेज एथलेटिक्स मीट में एशिया का बेस्ट समय निकालते हुए मेडल जीता था, हालांकि अब वहां पर ट्रैक बदल गया है लेकिन पुरानी यादें ताजा हो गई हैं।
एथलीट ने कहा कि रोम ओलंपिक में मैं फोटो फिनिश से पिछड़कर चौथे स्थान पर रहा था। पहले 200 मी. तो मैं तेजी से दौड़ा था लेकिन उसके बाद 250 मी. पर थोड़ा धीमा पड़ गया था और एक बार जब आपकी स्पीड टूटी तो रिकवरी मुश्किल हो जाती है। उस समय अमेरिका के ए. डेविस ने पदक जीता था। वे रिले रेस धावक थे। उनको एक खिलाड़ी के घायल होने से मौका मिला था।