फीफा अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी में शानदार रहा भारत, कई रिकॉर्ड बने
कोलकाता। दुनिया के प्रतिभाशाली युवा फुटबॉलरों ने फीफा अंडर-17 विश्व कप के दौरान मैदान पर बेहतरीन कौशल और जज्बे का प्रदर्शन किया जिसमें इंग्लैंड ट्रॉफी जीतने में सफल रहा जबकि भारत की मेजबानी में 6 स्थलों में आयोजित हुआ यह टूर्नामेंट कई मायनों में रिकॉर्ड तोड़ने सफल रहा।
इंग्लिश प्रीमियर लीग के शीर्ष क्लबों के खिलाड़ियों से भरी इंग्लैंड की टीम ने चौथी बार शिरकत करते हुए स्पेन को 5-2 से शिकस्त देकर फीफा अंडर-17 विश्व कप की पहली ट्रॉफी अपने नाम की और यह मैच शायद इस टूर्नामेंट के सभी खिताबी मुकाबलों में सर्वश्रेष्ठ था।
इस टूर्नामेंट में काफी चीजें पहली बार हुईं जिसमें यूरोपीय टीम के बीच पहली बार फाइनल खेला गया, जो तकनीकी रूप से सर्वश्रेष्ठ थीं। दोनों टीमों ने बेहतरीन फुटबॉल खेली। नीदरलैंड्स के महान खिलाड़ी और फीफा के तकनीकी विकास के मुख्य अधिकारी मार्को वान बास्टेन ने टूर्नामेंट में मैदान में उच्च स्तर और खिलाड़ियों के तकनीकी स्तर की प्रशंसा की।
इंग्लैंड ने मई में यूरोपीय चैंपियनशिप फाइनल में स्पेन से मिली हार का बदला चुकता किया और वह बीती रात यहां खिताब जीतने वाला नौवां देश बन गया। इस जीत का मतलब है कि ‘थ्री लॉयंस’ ने उम्र वर्ग वाले टूर्नामेंट में दुनिया में दबदबा बनाया, उसने इस साल के शुरू में कोरिया में अंडर-20 विश्व कप जीता था।
स्टीव कूपर की कोचिंग वाली टीम को टूर्नामेंट में किसी भी मैच में हार का मुंह नहीं देखना पड़ा। इंग्लैंड ने सॉल्टलेक स्टेडियम में खचाखच भरे स्टेडियम में खिताबी मुकाबले में स्पेन को पस्त करने से पहले मजबूत टीमों जैसे मैक्सिको, अमेरिका और ब्राजील को पराजित किया था।
वहीं स्पेन की टीम 1991, 2003 और 2007 के बाद चौथी बार उपविजेता रही। शुरुआती एकादश में उसके ज्यादातर खिलाड़ी ला लीगा (बार्सिलोना और रीयाल मैड्रिड) की शीर्ष 2 अकादमियों से थे जिससे सैंटियागो डेनिया की कोचिंग वाली टीम प्रतिभाशाली और तकनीकी रूप से श्रेष्ठ खिलाड़ियों से भरी थी।
लेकिन 3 बार की चैंपियन ब्राजील टूर्नामेंट के अंत में निराश रही, क्योंकि उसे सेमीफाइनल में आक्रामक इंग्लैंड से हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि वह टूर्नामेंट से पहले खिताब की प्रबल दावेदारों में शुमार थी। उसने मैदान पर नैसर्गिक तेजी भी दिखाई लेकिन उसमें फिनिशिंग टच की कमी महसूस हुई। वह नाइजर और उत्तर कोरिया जैसी टीमों के खिलाफ विपक्षी टीम के नेट तक पहुंचने में भी जूझती दिखी। (भाषा)