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ताप्ती जयंती : ताप्ती नदी के संबंध में 7 तथ्य

Tapti River | ताप्ती जयंती : ताप्ती नदी के संबंध में 7 तथ्य
प्रतीकात्मक चित्र
16 जलाई 2021, शुक्रवार को ताप्ती जयंती मनाई जाएगी। यह देश की प्रमुख नदियों में से एक है। ताप्ती जन्मोत्सव आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है। आओ जानते हैं इस नदी के 7 तथ्‍य।
 
 
1. ताप्ती का उद्गम : ताप्ती नदी मध्य भारत की एक नदी है जिसका उद्गम बैतूल जिले के सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित मुलताई तहसील के एक 'नादर कुंड' से होता है। मुलताई को पहले मूलतापी कहते थे जिससे ताप्ती नदी के नाम का जन्म हुआ। विष्णु पुराण के अनुसार ताप्ती का उद्गम ऋष्य पर्वत से माना गया है।
 
2. कितनी लंबी है यह नदी : ताप्ती नदी की कुल लंबाई लगभग 724 किमी है। नदी क्षेत्र को भूगर्भीय रूप से स्थिर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जिसकी औसत ऊंचाई 300 मीटर और 1,800 मीटर के बीच है। यह 65,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपवाहित करती है।
 
 
3. ताप्ती नदी की सहायक नदियां : ताप्ती नदी की वैसे तो कई सहायक नदियां हैं परंतु उसमें से प्रमुख है- पूर्णा नदी, गिरना नदी, पंजारा नदी, वाघुर नदी, बोरी नदी और अनर नदी।
 
4. खंभात की खाड़ी में जाकर मिलती है : यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिल जाती है। सूरत के सवालीन बंदरगाह इसी नदी के मुहाने पर है। नदी के बहाव के रास्ते में मध्यप्रदेश में मुलताई, नेपनगर, बैतूल और बुरहानपुर, महाराष्ट्र में भुसावल, नंदुरबार, नासिक, जलग्राम, धुले, अमरावती, अकोला, बुलढाना, वासिम और गुजरात में सूरत और सोनगढ़ शामिल हैं। ताप्ती नदी सतपुड़ा की पहाड़ियों एवं चिखलदरा की घाटियों से होते हुए महाखड्ड में बहती है। 201 किलोमीटर अपने मुख्य जलस्रोत से बहने के बाद ताप्ती पूर्वी निमाड़ में पहुंचती है। पूर्वी निमाड़ में भी 48 किलोमीटर संकरी घाटियों से गुजरती हुई ताप्ती 242 किलोमीटर का संकरा रास्ता खानदेश का तय करने के बाद 129 किलोमीटर पहाड़ी जंगली रास्तों से कच्छ क्षेत्र में प्रवेश करती है। फिर खंभात की खाली से जा मिलती है।
 
 
5. ताप्ती नदी का धार्मिक महत्व : पौराणिक ग्रंथों में ताप्ती नदी को सूर्यदेव की बेटी माना गया है। कहते हैं कि सूर्यदेव ने अपनी प्रचंड गर्मी से खुद को बचाने के लिए ताप्ती नदी को जन्म दिया था। तापी पुराण अनुसार किसी भी व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति दिलाई जा सकती है, यदि वह गंगा में स्नान करता है, नर्मदा को निहारता है और ताप्ती को याद करता है। ताप्ती नदी का महाभारत काल में भी उल्लेख मिलता है। ताप्ती नदी की महिमा की जानकारी स्कंद पुराण में मिलती है।
 
 
6. सिंचाई में उपयोग : ताप्ती नदी के पानी का उपयोग आमतौर पर सिंचाई के लिए नहीं किया जाता है।
 
7. कुंड और जलधारा : ताप्ती नदी में सैकड़ों कुंड एवं जल प्रताप के साथ डोह है जिसे कि लंबी खाट में बुनी जाने वाली रस्सी को डालने के बाद भी नापा नहीं जा सका है। ताप्ती के मुल्ताई में ही 7 कुंड है- सूर्यकुण्ड, ताप्ती कुण्ड, धर्म कुण्ड, पाप कुण्ड, नारद कुण्ड, शनि कुण्ड, नागा बाबा कुण्ड।
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