Chhath Puja katha: छठ पूजा की पौराणिक कथा
Story of Chhath Puja : इस वर्ष 05 नवंबर को छठ पूजा का महापर्व प्रारंभ होगा। इन 4 दिनों के छठ पर्व महोत्सव में व्रत रखकर व्रतधारी षष्ठी देवी या छठ मैया तथा भगवान सूर्य की उपासना करेंगेस इस पर्व में छठ व्रत कथा सुनी और पढ़ी जाती है।
Highlights
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छठ पूजा व्रत कथा।
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छठ पर्व में कौनसी पौराणिक कथा पढ़ीं जाती है?
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छठ पूजा स्पेशल कथा।
यहां जानते हैं छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में...
ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित छठ पूजा के संबंध में यह उल्लेख मिलता है कि इस पर्व पर छठी माता की पूजा की जाती है। इस व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया तब महारानी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी।
खीर के प्रभाव से एक पुत्र को जन्म दिया परंतु वह शिशु मृत पैदा हुआ। प्रियव्रत पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।
उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और उसने कहा कि- सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। अत: राजन तुम मेरा पूजन करो तथा अन्य लोगों को भी प्रेरित करो।
तब राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संपन्न हुई थी। देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने षष्ठी देवी की आराधना की। तभी से छठ पूजन का प्रचलन प्रारंभ हुआ। इसके अलावा भी छठ व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं।
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