ओडिशा में देखे गए थे एलियन...
वर्ष 1947 में भारत के आजाद होने से कुछ महीने पहले ही एक यूएफओ (उड़ने वाली अज्ञात वस्तु) को ओडिशा के नयागढ़ जिला में उतरते देखे जाने की बात कही गई थी।एक स्थानीय कलाकार पचानन मोहरना ने इस घटना को पारंपरिक ताड़पत्र पर खुदाई कर दर्ज किया था। यंत्र-पुरुषों (दूसरे ग्रह के प्राणियों) की इसी तरह की पुरानी कहानियों को दर्ज करने वाले ऐसे पत्रों को अब ब्लाफ्ट प्रकाशनों में कॉमिक्स और दृष्टांतों के साथ प्रकाशित किया गया है।पुरी में कार्यशाला चलाने वाले सम्मानित पट्टचित्र कलाकार पचानन ने उन एलियन व उनके विमान के रेखाचित्र बनाए थे, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वे 31 मई 1947 को पहाड़ी इलाके नयागढ़ में उतरे थे।गौरतलब है कि इसके एक महीने बाद ही न्यू मेक्सिको के पास रोसवेल में एक संदिग्ध दुर्घटना हुई थी। इसके बाद अमेरिकी वायुसेना ने दुर्घटनास्थल से एक उड़नतश्तरी को बरामद करने का दावा किया। हालांकि बाद में इस दावे का खंडन भी कर दिया।चानन की कलाकृतियों को उन दो युवकों के अनुभव पर आधारित बताया जाता है, जिनके बारे में दावा किया गया था कि उन्हें इस उड़नतश्तरी में आमंत्रित कर सैर कराई गई थी। लोक कथाओं की मानें तो एलियन के जाने के बाद उन दोनों युवकों ने एक जानेमाने ‘ताड़ पट्टचित्र’ कलाकार को सारी जानकारी दी थी। पिछले 60 साल से ये ब्योरे अगली पीढ़ी के कलाकारों को दिए जाते हैं।इन कहानियों पर आधारित किताब का संपादन राकेश खन्ना ने किया है। उनका कहना है कि इस घटना के बारे में भारत या कहीं और प्रकाशन नहीं किया गया। इसके अलावा घटना के प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करने वाले लोग भी अब जिंदा नहीं रहे। (भाषा)