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Written By Author ललित भट्‌ट
Last Updated :देहरादून , शनिवार, 21 मार्च 2015 (23:49 IST)

कई मायनों में ऐतिहासिक रहा उत्तराखंड विधानसभा का सत्र

कई मायनों में ऐतिहासिक रहा उत्तराखंड विधानसभा का सत्र - Uttarakhand Assembly
देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दावा किया है कि उत्तराखंड की तृतीय विधानसभा का प्रथम सत्र 2015 कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है। उन्होंने कहा कि इस सत्र में 51 घंटे 38 मिनट कार्यवाही चली है, जबकि 2 घंटे 18 मिनट का व्यवधान रहा है। इसी प्रकार से सदन में सदस्यों की भागदारी का औसत भी 95 प्रतिशत रहा है। 
 
सत्र में कुल 14 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 12 पास हुए, जबकि एक प्रवर समिति को भेजा गया और एक वापस लिया गया। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने विधानसभा सत्र की कार्यवाही को जीवंत रखने का काम किया है। इस भावना को भविष्य में भी बनाए रखने का कार्य किया जाएगा।
 
उत्तराखंड के लिए यह अच्छी बात है। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि आज जिस विधेयक को वापस लिया गया है, उसमें माननीय मंत्रिमंडल व विधायकों द्वारा सुझाव दिया गया कि इस विधेयक में और अधिक सुधार किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके। इस विधेयक को और अधिक सुधार व सुझाव के साथ अप्रैल माह में आयोजित होने वाले दो दिवसीय विशेष सत्र में रखा जाएगा। बजट को लेकर हमने फॉलोअप शुरू कर दिया है। वर्ष 2012 के मापदंड को लेकर चलें तो इस वर्ष हमारा खर्च दोगुना रहा है। जिला योजना का गठन देर से होने के बाद भी 95 प्रतिशत खर्च का औसत रहा है। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व बैंक व बाह्य सहायतित परियोजनाओं के खर्च में हमारा रिकॉर्ड ठीक नहीं रहा है, हमारा प्रयास रहेगा कि इस वर्ष इसके खर्च की गति को और बेहतर बनाया जाएगा। राज्य का खर्च बढ़ने से राज्य की आय बढ़ती है। हमने इस बार एक कदम और आगे बढ़ते हुए वर्ष 2015-16 के बजट को खर्च करने के लिए अप्रैल से ही तेजी लाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं। हमारा प्रयास होगा कि मार्च में खर्च करने की गति को सितंबर व अक्टूबर में ला सकें। 
 
हमने एक और निर्णय लिया है कि प्रत्येक विभाग निर्माण कार्यों के लिए बनने वाली 5 करोड़ रुपए तक की टीएससी योजनाओं का विभाग में ही सेल बनाया जाए। इससे स्वीकृति की गति को तेजी मिलेगी। हमने बजट में 2500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि अपने संसाधनों से जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अलग से कार्ययोजना भी बनाई है। हमने निर्णय लिया है कि प्रोजेक्ट बनाते समय तकनीक का उपयोग किया जाए, जिसमें कास्ट रिड्यूश हो। 
 
हमने नए क्षेत्र भी चिन्हित किए हैं कि अधिक पानी का उपयोग करने वालों पर टैक्स लगाया जाएगा। वन विभाग को ईको टूरिज्म के माध्यम से जोड़ा जाए, ताकि आय के साधन बनें। हमने सामाजिक क्षेत्र में भी ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, इसके लिए बजट की कमी को नहीं होने दिया जाएगा। हमारा प्रयास है कि राज्य से पलायन को रोका जाए। हमने जो कार्ययोजना बनाई है, उसके अनुसार अगले चार वर्ष में पलायन को पूरी तरह से रोक दिया जाएगा।