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Last Modified: लखनऊ (उप्र) , रविवार, 23 नवंबर 2025 (21:03 IST)

यूपी में सामाजिक सामंजस्य और संसाधन प्रबंधन के लिए अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान जरूरी

Chief Minister Yogi Adityanath
- सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेशव्यापी सत्यापन शुरू : अवैध घुसपैठ पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी
- नेपाल बॉर्डर और बड़े शहरों में सख्ती : यूपी में अवैध विदेशी नागरिक पहचान को मिली रफ़्तार
- यूपी में हाल के वर्षों में सीमाई जिलों में अस्थिरता, फर्जी पहचान और घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं
Uttar Pradesh News : देश की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक सामंजस्य और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान अभियान को तेज़ी से आगे बढ़ा रही हैं। उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य है, इस दिशा में विशेष सतर्कता बरत रहा है। सरकार ने सभी डीएम और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे विदेशी नागरिकों के दस्तावेज़ों की गहन जांच कर अवैध रूप से रह रहे व्यक्तियों की पहचान को प्राथमिकता दें।
 
प्रदेश की भौगोलिक स्थिति-जिसमें आठ राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा शामिल है-इस अभियान को और महत्व देती है। हाल के वर्षों में सीमाई जिलों में अस्थिरता, फर्जी पहचान और घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनका सीधा असर यूपी पर दिखाई देता है। फर्जी पहचान के सहारे विभिन्न शहरों में बस रहे अवैध घुसपैठिए न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि सामाजिक संतुलन और संसाधनों पर भी गंभीर दबाव डालते हैं।
इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस और जिला प्रशासन संयुक्त रूप से सत्यापन और पहचान की प्रक्रिया को तेज़ कर रहे हैं। इसमें निर्दोष व्यक्तियों को किसी भी प्रकार की अनावश्यक परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। वहीं संदिग्ध गतिविधियों में शामिल या फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
 
राज्य के सभी जिलों में अस्थाई डिटेंशन सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे, जहां ऐसे व्यक्तियों को दस्तावेज़ों के सत्यापन पूरा होने तक सुरक्षित रूप से रखा जा सकेगा। यह व्यवस्था प्रशासन को सही तथ्यों की जांच में मदद करेगी, साथ ही स्थानीय जनसुविधाओं पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा।
 
तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 2016 में संसद को सूचित किया था कि अनुमानित 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी भारत में निवास कर रहे होंगे। इसके अलावा, अगस्त 2017 में उन्होंने संसद में यह भी कहा था कि भारत में अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या 40,000 से अधिक है।
अवैध विदेशी नागरिकों की मौजूदगी से स्थानीय संसाधनों, सरकारी योजनाओं और रोजगार पर असर पड़ता है। कई बार फर्जी पहचान बनाकर ये लोग सरकारी लाभ प्राप्त करने की कोशिश करते हैं, जिसका सीधा नुकसान वास्तविक पात्रों को होता है। तेजी से विकसित हो रहे शहर (जैसे लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद और वाराणसी) इस समस्या का अधिक प्रभाव महसूस करते हैं, जहां जनसंख्या घनत्व पहले से ही अधिक है और संसाधनों पर दबाव भी।
 
विशेषज्ञों के अनुसार नेपाल सीमा से सटे यूपी के जिलों में अवैध प्रवेश, फर्जी पहचान और संदिग्ध गतिविधियों का जोखिम अधिक रहता है, इसलिए समय पर पहचान बेहद आवश्यक है। समग्र रूप से, यह अभियान कानून-व्यवस्था, सामाजिक सदभाव और संसाधन प्रबंधन को मजबूत करने के साथ भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने का महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रदेश को अधिक सुरक्षित और स्थिर बनाने में मदद कर रहा है।
Edited By : Chetan Gour
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