1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. UP has become an example for other states in field of energy management
Last Modified: लखनऊ (उप्र) , रविवार, 23 नवंबर 2025 (21:16 IST)

CM योगी के नेतृत्व में ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में UP बना अन्य राज्यों के लिए उदाहरण

Chief Minister Yogi Adityanath
- बढ़ती महंगाई के बीच उत्तर प्रदेश की स्थिर बिजली दरें बनीं जनता की ताकत
- सीएम योगी की दूरदर्शी योजना से आम जनता को मिला वास्तविक लाभ
- राजस्व अधिशेष ने साबित किया, प्रबंधन सही तो व्यवस्था मजबूत
- ऊर्जा सुधारों ने बनाया उत्तर प्रदेश को भरोसेमंद निवेश गंतव्य
Uttar Pradesh News :
उत्तर प्रदेश सरकार ने लगातार छठे वर्ष बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न करके देश के सामने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो बताता है कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, दूरदर्शी योजना और वित्तीय अनुशासन एक साथ मिलकर जनता को वास्तविक लाभ पहुंचा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश ने ऊर्जा क्षेत्र में जो सुधार किए हैं, उनकी वजह से आज यूपी देश का पहला राज्य बन गया है, जहां छह वर्षों से बिजली दरें यथावत हैं।

वर्तमान समय में जब देश के कई राज्यों में बढ़ती लागत के कारण बिजली दरें ऊपर जा रही हैं, उसी समय उत्तर प्रदेश ने गरीब, किसान, मजदूर, व्यापारी और मध्यम वर्गीय परिवारों को बड़ी राहत दी है। सरकार का उद्देश्य साफ है कि जनता पर अनावश्यक आर्थिक बोझ नहीं पड़े और घरेलू बजट स्थिर रहे।

इस निर्णय के पीछे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक सुव्यवस्थित और दूरदर्शी योजना काम कर रही है। बिजली वितरण कंपनियों ने पिछले वर्षों में 15,000 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व अधिशेष अर्जित किया है। यह अधिशेष अचानक नहीं आया, बल्कि यह आर्थिक अनुशासन, बिजली चोरी पर नियंत्रण, तकनीक आधारित बिलिंग, लाइन लॉस में कमी, समय पर मेंटेनेंस और बड़े पैमाने पर संरचनात्मक सुधारों का परिणाम है।
प्रदेश में नई विद्युत उत्पादन परियोजनाओं, ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार और नवीकरणीय ऊर्जा पर बढ़ते निवेश ने भी लागत नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बढ़ते माइग्रेशन, उद्योग विस्तार और शहरीकरण के बावजूद सरकार ने सब्सिडी को प्रभावी बनाकर व्यवस्था को संतुलित कर रखा है।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में ओवरलोडिंग नियंत्रित करने, केबलिंग को भूमिगत करने, पुराने तारों और ट्रांसफॉर्मरों को बदलने जैसे कार्यों ने बिजली आपूर्ति प्रणाली को मजबूत किया है। ऊर्जा बचत अभियानों और स्मार्ट इलेक्ट्रिक मीटरों के व्यापक क्रियान्वयन ने भी बिलिंग और खपत प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाया, जिससे राजस्व बढ़ा और लीकेज में कमी आई।
बिजली दरों में स्थिरता से उपभोक्ताओं को तुरंत राहत तो मिलती ही है, साथ ही उद्योगों की प्रोडक्शन लागत भी नियंत्रित रहती है। इसका सीधा असर निवेश माहौल पर पड़ता है। निवेशक ऐसे राज्यों को प्राथमिकता देते हैं जहां ऊर्जा की कीमतें स्थिर हों, आपूर्ति सुरक्षित हो और नीतियां पारदर्शी हों। यूपी ने इन तीनों मोर्चों पर भरोसे का वातावरण तैयार किया है। यही कारण है कि आज प्रदेश देश के उभरते औद्योगिक हब्स में अपनी जगह मजबूत कर रहा है।

योगी सरकार का स्थिर बिजली और मजबूत व्यवस्था मॉडल इस बात का प्रमाण है कि जनहित और अर्थव्यवस्था दोनों को साथ-साथ मजबूत किया जा रहा है। गरीब परिवारों की जेब सुरक्षित, किसानों पर सिंचाई लागत का बोझ नहीं, मजदूर और कामगारों पर अतिरिक्त भार नहीं, छोटे व्यापारियों का बजट नियंत्रित और उद्योगों के लिए प्रतिस्पर्धी माहौल को यह संतुलन कर उत्तर प्रदेश में स्थापित किया है।
छह साल से स्थिर बिजली दरें केवल एक घोषणा नहीं, बल्कि सरकार की दूरदर्शिता, प्रबंधन क्षमता और नीतिगत प्रतिबद्धता का जीवंत प्रमाण हैं। उत्तर प्रदेश ने यह दिखा दिया है कि मजबूत इच्छा-शक्ति हो तो जनता को राहत देते हुए भी व्यवस्था को लाभ में रखा जा सकता है।

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है। खासतौर पर रूफटॉप सोलर और ग्रिड-कनेक्टेड सोलर प्लांट दोनों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में आज शहर या गांवों की छतों पर चमकते सोलर पैनल न सिर्फ बिजली पैदा कर रहे हैं, बल्कि नए भारत की परिकल्पना को साकार भी कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के अंतराल बढ़ता औद्योगिक विस्तार और पर्यावरणीय क्षेत्र में सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की जरूरत को बढ़ाया है। सौर ऊर्जा न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि उपभोक्ताओं के बिजली बिल में मददगार साबित हो रही है।

उत्तर प्रदेश में कुल 13,46,040 आवेदन प्राप्त हुए थे। यह स्वयं दिखाता है कि लोग बदलाव के लिए कितने तत्पर थे। मात्र 18 महीनों में 2,81,769 सोलर रूफटॉप संयंत्रों का इंस्टॉलेशन और पिछले 4.5 महीनों में रिकॉर्ड 1,30,000 संयंत्रों की स्थापना ने उत्तर प्रदेश को महाराष्ट्र और गुजरात के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक राज्य बना दिया।
सौर ऊर्जा क्रांति ने सिर्फ रोशनी नहीं फैलाई बल्कि इसने रोजगार के द्वार भी खोले। अकेले उत्तर प्रदेश में 54,000 से अधिक युवाओं को सीधा रोजगार मिला है। देशभर में सोलर मॉड्यूल निर्माण, इन्वर्टर, वायरिंग, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन जैसे क्षेत्रों में लाखों नौकरियां सृजित हुईं यानी यह योजना ऊर्जा के साथ-साथ रोजगार का भी उजाला लेकर आई है।

यूपी बिजली टैरिफ 2025-26 के प्रमुख आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगातार छठे साल बिजली दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि ग्रीन एनर्जी टैरिफ में राहत देते हुए HV कंज्यूमर्स के लिए इसे 0.36 रुपए से घटाकर 0.34 रुपए प्रति यूनिट और LV कंज्यूमर्स के लिए 0.17 रुपए प्रति यूनिट तय किया गया है। डिस्ट्रीब्यूशन लॉस के मामले में मध्यांचल और पश्चिमांचल डिस्कॉम ने FY 24-25 का लक्ष्य पूरा किया, जबकि सबसे कमजोर प्रदर्शन पूर्वांचल का रहा।

आयोग ने FY 2023-24 के लिए 85,082.83 करोड़ रुपए का एआरआर और 1,246.55 करोड़ रुपए का रेगुलेटरी सरप्लस स्वीकृत किया। वहीं FY 2025-26 के लिए 1,10,993.33 करोड़ रुपए का एआरआर और 13.35% डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को मंजूरी दी गई है, जिसमें राज्य सरकार 17,100 करोड़ रुपए की सब्सिडी देगी।

इस वर्ष 7,710.04 करोड़ रुपए का रेगुलेटरी गैप दर्ज हुआ है, जबकि 1 अप्रैल 2025 तक यूपीपीसीएल के पास 18,592.38 करोड़ रुपए का जमा रेगुलेटरी सरप्लस उपलब्ध रहेगा। औसत सप्लाई कॉस्ट 8.18 रुपए और औसत बिलिंग रेट 7.61 रुपए प्रति यूनिट तय की गई है।
आदेश के अनुसार PAN अपडेट, TDS सर्टिफिकेट जारी करने, ओपन एक्सेस क्रॉस-सब्सिडी में तर्कसंगत कमी और TOD टैरिफ को यथावत रखने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि मल्टी स्टोरी बिल्डिंग व टाउनशिप से जुड़े मुद्दों पर जल्द ही अलग कंसल्टेशन पेपर जारी होगा।
Edited By : Chetan Gour
ये भी पढ़ें
इंदौर स्वच्छता और स्वाद के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बनाएगा विशेष पहचान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव