रविवार, 29 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. रमजान
  4. 2017 Ramzan Mubarak
Written By

भाईचारे और इंसानियत का संदेश देता हैं माह-ए-रमजान...

भाईचारे और इंसानियत का संदेश देता हैं माह-ए-रमजान... - 2017 Ramzan Mubarak
रमजान: खुदा की बरकतों की बारिश का महीना 
 
माह-ए-रमजान न सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिश का महीना है, बल्कि समूची मानव जाति को प्रेम भाईचारे और इंसानियत का संदेश भी देता है। खुद को खुदा की राह में समर्पित कर देने का प्रतीक पाक महीना रमजान का चांद दिखते ही शुरू हो गया। 
 
इस पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों का खजाना लुटाते हैं। ऐसा माना जाता है कि माह-ए-रमजान नेकी कमाने का महीना है। रमजान में हर नेक कामों का पुण्यफल 70 गुना मिलता है। रोजों की पाबंदी करें। अपने गुनाहों की माफी मांगें। अल्लाह की दी हुई छूट का फायदा न उठाएं। यही इस पाक महीने की सीख है। 
सेहरी और रोजा अफ्तार के लिए बाजारों में कुछ अलग व्यंजन मौजूद रहते हैं। मौसमी फलों के साथ-साथ यह सामग्रियां अब बाजारों में दिखाई देने लगी हैं। जहां लोग दूध फैनी के साथ सेहरी कर रोजे की शुरुआत करते हैं, वहीं नुक्ती खारे को अपनी अफ्तार के व्यंजनों में शामिल रखते हैं। अफ्तार के लिए अफजल (पवित्र) मानी जाने वाली खजूर भी कई वैरायटियों में दिखाई देने लगी हैं।
 
इस्लामी महीने का नौवां महीना है रमजान। इसका नाम भी इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने से बना है। यह महीना इस्लाम के सबसे पाक महीनों मैं शुमार किया जाता है। इस्लाम के सभी अनुयाइयों को इस महीने में रोजा, नमा, फितरा आदि करने की सलाह है। रमजान के महीने को और तीन हिस्सों में बांटा गया है। हर हिस्से में दस- दस दिन आते हैं। हर दस दिन के हिस्से को 'अशरा' कहते हैं जिसका मतलब अरबी मैं 10 है। इस तरह इसी महीने में पूरी कुरान नालि हुई जो इस्लाम की पाक किताब है।
 
कुरान के दूसरे पारे के आयत नंबर 183 में रोजा रखना हर मुसलमान के लिए जरूरी बताया गया है। रोजा सिर्फ भूखे, प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि अश्लील या गलत काम से बचना है। इसका मतलब हमें हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों के कामों को नियंत्रण में रखना है।
 
इस मुबारक महीने में किसी तरह के झगडे़ या गुस्से से ना सिर्फ मना फरमाया गया है बल्कि किसी से गिला शिकवा है तो उससे माफी मांग कर समाज में एकता कायम करने की सलाह दी गई है। इसके साथ एक तय रकम या सामान गरीबों में बांटने की हिदायत है जो समाज के गरीब लोगों के लिए बहुत ही मददगार है।
 
चांद की तस्दीक के साथ ही रमजान का पवित्र माह शुरू हो गया। बरकतों के इस महीने के खत्म होने पर ईदुल फितर का त्योहार मनाया जाएगा। इस पूरे माह मुस्लिम धर्मावलंबी रोजा, नमाजों, तरावीह, कुरआन की तिलावत की पाबंदी करेंगे। अब मुस्लिम आबादियों में हर तरफ रमजान की आमद दिखाई देगी। मस्जिदों में बिजली, पानी, सफाई-पुताई तथा मस्जिदों के बाहर रोशनी के साथ-साथ हर रात होने वाली विशेष नमाज (तरावीह) के लिए ईमाम साहेबान की नियुक्ति भी हो चुकी है। 
 
सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ी जाएगी। लोगों की सहूलियत के लिहाज से तरावीह का समय अलग-अलग निर्धारित किया जाता है। इसके चलते अलग-अलग मस्जिदों में 3, 5, 7, 10, 14 और 27 दिन की तरावीह अदा की जाएगी। तरावीह की नमाज आम दिनों में पढ़ी जाने वाली पांच वक्त की नमाजों से अलग होती है। 
 
ये भी पढ़ें
कुंडली में होते हैं कैसे-कैसे राजयोग, पढ़ें विश्लेषण