मतदाताओं की नब्ज जांचने चुनावी समर में उतरे कई 'डॉक्टर'
जयपुर। राज्य के विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने वालों में अनेक ऐसे हैं, जो अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' लगाते हैं। इनमें कुछ पेशेवर चिकित्सक हैं, तो कुछ शोधार्थी यानी पीएचडीधारक। हालांकि इनमें से कितने 'डॉक्टर' आम मतदाताओं की नब्ज सही-सही पहचान पाते हैं इसका पता तो 7 दिसंबर को मतदान के बाद ही चलेगा।
राज्य की 200 विधानसभा सीटों के लिए 7 दिसंबर को मतदान होना है। नामांकन दाखिल करने का सोमवार को अंतिम दिन था। इस बार दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस तथा भाजपा ने 2013 की तुलना में अधिक 'डॉक्टरों' को चुनाव के मैदान में भाग्य आजमाने का मौका दिया है। इनमें हृदयरोग विशेषज्ञ, रेडियोथैरेपी विशेषज्ञ, फिजिशियन, प्रोफेसर व पीएचडीधारक 'डॉक्टर' शामिल हैं।
दोनों प्रमुख दलों की बात की जाए तो 2018 के इस विधानसभा चुनाव में कुल 18 'डॉक्टर' चुनाव मैदान में हैं। इनमें से कांग्रेस से 11 व भाजपा से 7 प्रत्याशी हैं, वहीं 2013 में कांग्रेस से 9 व भाजपा से 6 यानी कुल 15 'डॉक्टरों' ने अपना राजनीतिक भाग्य आजमाया था।
भाजपा के 'डॉक्टर' प्रत्याशियों की बात की जाए तो हनुमानगढ़ से विधायक व मंत्री डॉ. रामप्रताप, खाजूवाला से विधायक विश्वनाथ व डीग से डॉ. शैलेष सिंह शामिल हैं। पार्टी की सूची में 'डॉक्टरेट' डिग्रीधारक डॉ. मंजू बाघमार (जायल), फूलचंद भींडा (विराटनगर) तथा डॉ. अरुण चतुर्वेदी (सिविल लाइंस, जयपुर) है, वहीं कांग्रेस ने एसएमएस अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आरसी यादव को बहरोड़ से प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने 2013 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा।
अलवर से मौजूदा सांसद डॉ. करणसिंह यादव को मुंडावर सीट से टिकट दी गई है। अन्य में खेतड़ी से डॉ. जितेंद्र सिंह, धौलपुर से डॉ. शिवचरण का नाम है। इसके साथ ही कुछ 'डॉक्टरेट' डिग्रीधारक भी इस बार चुनाव मैदान में हैं। (भाषा)