मेरा सपना दुःस्वप्न में बदल गया, अन्याय ने मुझे क्रोध और उदासी से भर दिया, निशांत देव ने कहा
पेरिस ओलंपिक में खंडित फैसले में हार के बाद पदक से वंचित भारतीय मुक्केबाज निशांत देव ने कहा कि अन्याय के बाद उनका सपना दुःस्वप्न में बदल गया है जिसने उनके दिल को क्रोध और उदासी से भर दिया है।
विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता 23 वर्षीय निशांत शनिवार को पुरुषों के 71 किग्रा क्वार्टर फाइनल में मैक्सिको के अपने दूसरे वरीय प्रतिद्वंद्वी मार्को वर्डे अल्वारेज से 1-4 से हार गए। वह हालांकि मुकाबले में हावी दिख रहे थे।
निशांत ने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, कोई भी वास्तव में नहीं जानता कि मैंने कितनी मेहनत की, इस सपने को साकार करने के लिए मैंने कितने अनगिनत घंटे समर्पित किए और मैंने अपने प्रशिक्षण में कितनी ईमानदारी और सच्चाई दिखाई। हर दिन इस लक्ष्य की ओर एक कदम था, हर बलिदान मेरी प्रतिबद्धता का प्रमाण था।उन्होंने कहा, और एक क्रूर क्षण में यह सब मेरे से छीन लिया गया।
निशांत ने कहा कि यह नुकसान इतना भारी लगा कि उन्हें ऐसा लगा जैसे मेरे से सब कुछ छीन लिया गया हो।
उन्होंने कहा, इस अन्याय ने मुझे भारी दिल और भावनाओं की बाढ़ में छोड़ दिया। क्रोध, निराशा और उदासी आपस में जुड़ी हुई थी जिससे मेरे भीतर एक तूफान पैदा हो गया।
इस मुक्केबाज ने कहा, ऐसा लगा जैसे एक सपना एक पल में दुःस्वप्न में बदल गया। जजों के स्कोर सुनकर ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर में कुछ भी नहीं बचा है। दर्द इतना तीव्र था कि मुझे लगा कि मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता।
हालांकि निशांत ने कड़ी मेहनत करने और समझदार बनकर लौटने की कसम खाई।उन्होंने लिखा, मैं भले ही पदक से चूक गया हूं लेकिन मुझे एक नया लक्ष्य मिला है। मेरी यात्रा यहीं खत्म नहीं होती। यह नए सिरे से शुरू होती है। मैं कड़ी ट्रेनिंग करूंगा, समझदारी से लड़ूंगा और पहले से भी ज्यादा जोरदार वापसी करूंगा।
निशांत ने कहा, यह मेरे ओलंपिक सपने का अंत नहीं है - यह एक ऐसा अध्याय है जो मेरी अंतिम जीत को और भी सार्थक बना देगा।
(भाषा)