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Written By WD Sports Desk
Last Updated : शुक्रवार, 9 अगस्त 2024 (17:31 IST)

भाला खरीदने तक के पैसे नहीं थे, भाग्यशाली हैं अरशद जो मिल गया हवाई सफर का भत्ता

संकल्प और समर्पण की मिसाल हैं अरशद नदीम

भाला खरीदने तक के पैसे नहीं थे, भाग्यशाली हैं अरशद जो मिल गया हवाई सफर का भत्ता - Arshad Nadeem didnt have purchasing power for a Javelin
पाकिस्तान का राष्ट्रीय खेल बोर्ड जब यह तय कर रहा था कि पेरिस ओलंपिक के लिए जाने वाले सात खिलाड़ियों में से किसका खर्च वहन करना है तो उसे केवल अरशद नदीम और उनके कोच ही इस लायक लगे।नदीम और उनके कोच सलमान फ़ैयाज़ बट भाग्यशाली थे, जिनके हवाई टिकटों का खर्च PSB (पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड) ने वहन किया।

पंजाब क्षेत्र के खानेवाल गांव के इस 27 वर्षीय खिलाड़ी ने गुरुवार को भाला फेंक में नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीत कर उन पर दिखाए गए भरोसे को सही ठहराया।

छह फुट तीन इंच लंबे नदीम ने गुरुवार की रात 92.97 मीटर भाला फेंक कर ओलंपिक का नया रिकार्ड बनाने के साथ स्वर्ण पदक जीता। भारत के नीरज चोपड़ा ने भी इस सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 89.45 मीटर की दूरी नापकर रजत पदक हासिल किया। यह 11 मुकाबलों में पहला अवसर है जबकि नदीम ने चोपड़ा को पीछे छोड़ा।




चोपड़ा अपने करियर में अभी तक 90 मीटर भाला नहीं फेंक पाए हैं जबकि नदीम पहले भी यह कारनामा कर चुके हैं।चोपड़ा के पास जहां हर तरह की सुविधा उपलब्ध हैं वहीं नदीम ने ऐसा समय भी देखा था जब उनके पास अपने लिए भाला खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे।

नदीम के पिता मोहम्मद अशरफ ने PTI (भाषा) से कहा,‘‘लोग नहीं जानते हैं कि अरशद इस मुकाम तक कैसे पहुंचा। उसके दोस्त, गांव के लोग और रिश्तेदार उसके लिए चंदा जुटाते थे ताकि वह अभ्यास और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए दूसरे शहरों की यात्रा कर सके।’’

पाकिस्तान ने कुल सात खिलाड़ियों को पेरिस भेजा और उनमें से छह अपनी-अपनी स्पर्धाओं के फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहे।नदीम के फाइनल के लिए क्वालीफाई करने के बाद से ही उनके घर में जश्न मनाया जाने लगा था तथा उनके माता-पिता गांव वालों में मिठाई बांटने लग गए थे।

नदीम पिछले कुछ समय से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक और राष्ट्रमंडल खेल 2022 में 90.18 मीटर थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था।अपने करियर में कोहनी, घुटने और पीठ की समस्याओं से जूझने और दूसरे देश के खिलाड़ियों की तरह सुविधाएं नहीं होने के बावजूद नदीम ने जो कारनामा किया उसे पाकिस्तान के खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।