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31 जुलाई 2021 शनिवार को कालाष्टमी का व्रत, भैरव बाबा को कैसे करें प्रसन्न

31 जुलाई 2021 शनिवार को कालाष्टमी का व्रत, भैरव बाबा को कैसे करें प्रसन्न - kalashtami 2021
31 जुलाई 2021 शनिवार को कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भैरव बाबा के लिए व्रत रखा जाता है। हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार हिन्दू कैलेंडर में हर माह आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि मासिक कालाष्टमी पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह अष्टमी भगवान भैरव को समर्पित है तथा इसे काला अष्‍टमी भी कहा जाता है। यह तिथि भगवान भैरव से असीम शक्ति प्राप्त करने का समय मानी जाती है अत: इस दिन पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है।
 
 
भैरव बाबा को कैसे करें प्रसन्न :
1. इस दिन भगवान बटुक भैरव को कच्चा दूध अर्पित करें।
 
2. इस दिन भगवान काल भैरव को शराब अर्पित करें।
 
3. कई लोग इस दिन उन्हें शराब का भोग लगाते हैं।
 
 
4. हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं। 
 
5. इसके अलावा इमरती, जलेबी और 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं।
 
 
काल भैरव की पूजा विधि : (Kaal Bhairav Puja Vidhi )
1. इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं।
2. एक लकड़ी के पाट पर सबसे पहले शिव और पार्वतीजी के चित्र को स्थापित करें। फिर काल भैरव के चित्र को स्थापित करें।
3. जल का छिड़काव करने के बाद सभी को गुलाब के फूलों का हार पहनाएं या फूल चढ़ाएं।
4. अब चौमुखी दीपक जलाएं और साथ ही गुग्गल की धूप जलाएं।
5. कंकू, हल्दी से सभी को तिलक लगाकर हाथ में गंगा जल लेकर अब व्रत करने का संकल्प लें।
6. अब शिव और पार्वतीजी का पूजन करें और उनकी आरती उतारें।
7. फिर भगवान भैरव का पूजन करें और उनकी आरती उतारें।
8. इस दौरान शिव चालीसा और भैरव चालीसा पढ़ें।
9. ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः का जाप करें। इसके उपरान्त काल भैरव की आराधना करें।
10. अब पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें।
11. व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्‍ते को मीठी रोटियां खिलाएं या कच्चा दूध पिलाएं।
12 अंत में श्वान का पूजन भी किया जाता है।
13. अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।
14. इस दिन लोग व्रत रखकर रात्रि में भजनों के जरिए उनकी महिमा भी गाते हैं।
 
 
काल भैरव मंत्र ( kaal bhairav mantra ) :
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
 
अन्य मंत्र:
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।
 
नारद पुराण के अनुसार कालभैरव की पूजा करने से मनुष्‍य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मनुष्‍य किसी रोग से लम्बे समय से पीड़ित है तो वह रोग, तकलीफ और दुख भी दूर होती हैं।
 
 
काल भैरव आरती:
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।