वैष्णोदेवी श्रद्धालुओं की सुरक्षा बनी चुनौती, जानिए क्या है कारण...
Jammu and kashmir News : वैष्णोदेवी का तीर्थ स्थान जिस रियासी जिले में है, वह लिथियम के भंडार की खोज के अतिरिक्त आतंकियों, हाइब्रिड आतंकियों तथा ओजीडब्ल्यू की गिरफ्तारियों के साथ-साथ हथियारों व गोला-बारूद की बरामदगियों के कारण पिछले एक साल से सुर्खियों में है। नतीजतन वैष्णोदेवी के तीर्थ स्थान और आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा की चिंता इस बार भी नवरात्रों के दौरान प्राथमिकता पर है।
पिछले साल अगस्त महीने में रियासी से जो आतंकी गिरफ्तार हुए और उनकी निशानदेही पर जो स्टिकी बम बरामद हुए वे इस चिंता को और इसलिए बढ़ाते हैं, क्योंकि आतंकी दावा यह था कि स्टिकी बमों की खेप यात्रा को क्षति पहुंचाने के लिए ही एकत्र की गई थी।
पुलिस के बड़े अधिकारी सुरक्षा समीक्षा की बैठकों में ऐसी चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि नवरात्रों में वैष्णोदेवी की यात्रा को स्टिकी बमों से बचाना भी एक चुनौती होगी। ऐसे में कटड़ा कस्बे और जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे के दोमेल से कटड़ा तक जाने वाले राजमार्ग पर भी अतिरिक्त जवानों की तैनाती का प्लान तैयार करते हुए प्रशासन से अतिरिक्त सैकड़ों जवानों की मांग की गई है। साथ ही भीड़ में छुपे संदिग्धों पर कड़ी नजर की खातिर ड्रोन भी तैयार किए जा रहे हैं।
वैष्णोदेवी यात्रा की सुरक्षा को फूल प्रूफ बनाने की खातिर इलाके के ओजीडब्ल्यू की लिस्ट बनाने, सोशल मीडिया पर संदिग्ध पैटर्न पर नजर रखने के अतिरिक्त उन सभी सूचनाओं को गंभीरता से लेने के लिए जोर दिया जा रहा है, जिनमें वैष्णोदेवी की सुरक्षा के प्रति कोई भी चाहे छोटी ही बात क्यों न कही गई हो।
अधिकारियों के बकौल, वैष्णोदेवी की यात्रा में शिरकत करने वाले श्रद्धालु हमेशा ही आतंकियों के टारगेट पर रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि यात्रा को निशाना बना वे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी से नीचे उतार सकते हैं। जानकारी के लिए पिछले साल 13 मई को वैष्णोदेवी के बेस कैंप कटड़ा में चलती यात्री बस में सवार वे लोग बदकिस्मत निकले थे जिन्हें स्टिकी बम के धमाके ने अपनी चपेट में ले लिया तो पांच की मौत हो गई। बीस से अधिक जख्मी हो गए थे।
कई दिनों तक पुलिस इसे इंजन में हुआ धमाका बताती रही थी तो बाद में आतंकी गुट जम्मू-कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स द्वारा वीडियो जारी कर इस धमाके की जिम्मेदारी ली गई तो पुलिस ने मान लिया कि धमाका स्टिकी बम से किया गया था।
ऐसा ही एक अन्य धमाका पिछले साल 9 मार्च को उधमपुर में ही उपायुक्त के कार्यालय के बाहर एक रेहड़ी पर हुआ था जिसमें दो की मौत हो गई थी। तब भी इस धमाके को गैस सिलेंडर का विस्फोट बताया गया था पर बाद में जांच से पता चला कि धमाकों के लिए स्टिकी बमों का इस्तेमाल किया गया था।
फिर 5 जुलाई 2022 को रियासी से पकड़े गए लश्कर आतंकी की निशानदेही पर बरामद दर्जनभर स्टिकी बमों की बरामदगी कोई बड़ी खबर नहीं मानी गई थी, जबकि चौंकाने वाली और दहशतजदा करने वाली खबर यह थी कि ऐसे दर्जनों स्टिकी बमों की प्रदेश में भरमार है, जिनका मुख्य निशाना टूरिस्ट व वैष्णोदेवी की यात्रा में शामिल होने वाले हैं।