भुज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आरोप लगाया कि गुजरात को बदनाम करने और निवेश रोकने के लिए साजिशें रची गई हैं, लेकिन इस राज्य ने इन बातों की ओर ध्यान नहीं दिया और प्रगति का नया मार्ग प्रशस्त किया।
मोदी इस साल के अंत में गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भुज में विकास कार्यों का उद्घाटन करने और उनकी नींव रखने के बाद एक रैली को संबोधित कर रहे थे। मोदी ने कहा कि फिलहाल कई कमियों के बावजूद वह 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनते हुए साफ तौर पर देख सकते हैं।
रैली से पहले प्रधानमंत्री ने भुज में तीन किलोमीटर लंबा एक रोड शो किया, जहां हजारों लोग उनका अभिवादन करने के लिए सड़क के दोनों ओर जमा हो गए। मोदी ने रोड शो के दौरान हाथ हिलाकर लोगों के अभिवादन का जवाब दिया। सड़क के दोनों तरफ इकट्ठा लोग उत्साह से भरे थे और वे प्रधानमंत्री के प्रति अपना स्नेह दिखाने के लिए मोदी-मोदी के नारे लगा रहे थे तथा तिरंगा लहरा रहे थे।
रोड शो के बाद मोदी ने 2001 में आए भूकंप के पीड़ितों की याद में भुज शहर के बाहरी इलाके में बनाए गए स्मारक स्मृति वन का उद्धाटन किया। इसके बाद वह कच्छ विश्वविद्यालय गए, जहां से उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया और कुल 4,400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें सरदार सरोवर परियोजना की कच्छ शाखा नहर, सरहद डेयरी का नया स्वचालित दूध प्रसंस्करण और पैकिंग संयंत्र, भुज में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र, गांधीधाम में डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर सम्मेलन केंद्र, अंजार में वीर बाल स्मारक शामिल है।
रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि गुजरात एक के बाद एक प्राकृतिक आपदाओं से निपट रहा था तब गुजरात को देश और दुनिया में बदनाम करने की साज़िशें रची गईं। गुजरात में आने वाले निवेश को रोकने के लिए बार-बार प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि गुजरात ने उसे बदनाम करने वाले सभी प्रयासों को धता बताया, साज़िशों को नाकाम किया और राज्य प्रगति के नए पथ पर आगे बढ़ा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2001 में कच्छ के विनाशकारी भूकंप के बाद मैंने कच्छ के पुनर्विकास के बारे में बात की थी और हमने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी। उस चुनौतीपूर्ण समय में हमने कहा था कि हम आपदा को अवसर में बदलेंगे और हमने इसे हासिल किया। आज हम परिणाम देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने कहा था कि कच्छ भूकंप से उबर नहीं पाएगा, लेकिन लोगों ने परिदृश्य बदल दिया है।
मोदी ने कहा कि जब मैं लाल किले की प्राचीर से कहता हूं कि 2047 तक भारत विकसित देश होगा, मैं यह साफ तौर पर देख सकता हूं। हालांकि आप कुछ कमियां देख सकते हैं। हम आज जिसका संकल्प लेते हैं, उसे हम 2047 में निश्चित रूप से साकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि गुजरात देश में ऐसा पहला राज्य बना जिसने आपदा प्रबंधन कानून बनाया। उन्होंने कहा कि इस कानून से प्रेरणा लेकर पूरे देश के लिए ऐसा ही एक कानून बना। इस कानून ने कोविड-19 महामारी के दौरान देश में हर सरकार की मदद की।
भूकंप के बाद क्षेत्र के विकास के बारे में बोलते हुए मोदी ने कहा कि कच्छ में आज दुनिया का सबसे बड़ा सीमेंट संयंत्र है। वेल्डिंग पाइप निर्माण के मामले में यह दुनिया में दूसरे स्थान पर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा संयंत्र कच्छ में है। एशिया का पहला विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) कच्छ में बना।
उन्होंने कहा कि भुज में स्मृति वन स्मारक और अंजार में वीर बाल स्मारक कच्छ (गुजरात) और पूरे देश के साझा दर्द के प्रतीक हैं। मोदी ने इन दोनों स्मारकों का उद्घाटन किया, जो 2001 के कच्छ भूकंप के लगभग 13,000 पीड़ितों को समर्पित हैं।
मोदी ने कहा कि स्मारक का उद्घाटन करते समय आज मेरे दिल में कई भावनाएं उमड़ पड़ीं। मैं पूरी विनम्रता के साथ कह सकता हूं कि दिवंगत आत्माओं की याद में स्मृति वन स्मारक अमेरिका में 9/11 स्मारक और जापान में हिरोशिमा स्मारक के समान है।
मोदी ने कहा कि उन्हें याद है कि जब कच्छ में भूकंप आया था तो वह दूसरे दिन ही यहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि मैं तब गुजरात का मुख्यमंत्री नहीं था, मैं पार्टी (भाजपा) का एक साधारण कार्यकर्ता था। मुझे नहीं पता था कि मैं किस तरह से और कितने लोगों की मदद कर पाऊंगा, लेकिन मैंने निश्चय किया था कि दुख की इस घड़ी में मैं आप सभी के बीच रहूंगा। और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो इस सेवा के अनुभव ने मेरी बहुत मदद की।
मोदी ने कहा कि स्मृति वन जान गंवाने वालों और कच्छ के लोगों की लड़ाई की उल्लेखनीय भावना को श्रद्धांजलि है। उद्घाटन के बाद, मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ संग्रहालय परिसर के अंदर गए, जहां अधिकारियों और टूर गाइड ने उन्हें इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी।
बाद में मोदी ने भारत में सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के 40 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में गांधीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने अगले 25 वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनने का लक्ष्य रखा है, जिसे हासिल करने में मौन क्रांति की अगुवाई कर रहे बिजली चालित वाहनों की अहम भूमिका है। उन्होंने भारत और जापान के संबंधों की भी सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अगले 25 साल के 'अमृत काल' में ऊर्जा क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करना चाहता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनने के सफर में परिवहन एक अहम क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की बड़ी खपत परिवहन क्षेत्र में होती है ऐसे में इस क्षेत्र में नवाचार एवं शोध प्रयास हमारी प्राथमिकता होने चाहिए। हमें भरोसा है कि हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
प्रधानमंत्री ने गुजरात में सुजुकी मोटर के नए ईवी बैटरी संयंत्र और हरियाणा के सोनीपत में मारुति सुजुकी के नए संयंत्र की आधारशिला रखने के बाद कहा कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की जरूरत है।