राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राष्ट्र को संबोधन
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों से आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की भावना के अनुरूप ऐसे नए भारत के निर्माण में जुटने का आह्वान किया है, जिसमें धर्म के आधार पर कोई भेदभाव न हो तथा एक-दूसरे की भावनाओं और विचारों का सम्मान हो।
राष्ट्रपति ने 71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आज राष्ट्र के नाम अपने पहले सम्बोधन में समाज में अपनत्व और साझेदारी की भावना को पुनर्जागृत करने की जरूरत बताई और कहा कि साझेदारी ही हमारे राष्ट्र निर्माण का आधार रही है। उन्होंने सरकार और नागरिकों के बीच साझेदारी पर जोर देते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ हर तबके तक पहुंचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
कोविंद ने नए भारत के निर्माण में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि ऐसा करके एक ही पीढ़ी के दौरान देश से गरीबी मिटाने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन हर नागरिक को रोजमर्रा की जिन्दगी में अपने अंत:करण को साफ करते हुए इसके लिए काम करना चाहिए।
उन्होंने नोटबंदी की सराहना करते हुए कहा कि इससे ईमानदारी की प्रवृत्ति बढ़ी है और इस भावना को आगे बढ़ाने के लिए सभी को लगातार प्रयास करते रहना होगा। कोविंद ने कहा कि भारत आज विश्व पटल पर अहम भूमिका निभा रहा है और पूरी दुनिया इसे सम्मान से देखती है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, आपसी टकराव, मानवीय संकटों और आतंकवाद जैसी कई अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में भारत दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर बलिदानियों का स्वतंत्र भारत का सपना, गांव, गरीब और देश के समग्र विकास का सपना था। उन्होंने कहा, आजादी के लिए हम उन सभी अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के ऋणी हैं, जिन्होंने इसके लिए कुर्बानियां दी थीं।
उन्होंने कहा, आज देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देने वाले ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा
लेकर आगे बढ़ने का समय है। आज देश के लिए कुछ कर गुजरने की उसी भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में सतत जुटे रहने का समय है।
कोविंद ने साझेदारी को राष्ट्रनिर्माण का आधार बताते हुए कहा कि गांव हो या शहर, आज समाज में उसी अपनत्व और साझेदारी की भावना को पुनः जागृत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, इससे हमें एक दूसरे की भावनाओं को समझने और उनका सम्मान करने में तथा एक संतुलित, संवेदनशील और सुखी समाज का निर्माण करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, आज भी एक दूसरे के विचारों का सम्मान करने का भाव, समाज की सेवा का भाव, और खुद आगे बढ़कर दूसरों की मदद करने का भाव, हमारी रग-रग में बसा हुआ है। अनेक व्यक्ति और संगठन गरीबों और वंचितों के लिए चुपचाप और पूरी लगन से काम कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए ऐसे कर्मठ लोगों के साथ सभी को जुड़ने का आह्वान भी किया।
राष्ट्रपति ने नागरिकों और सरकार के बीच साझेदारी को महत्वपूर्ण करते हुए कहा कि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ हर तबके तक पहुंचे इसके लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
देश में संचार ढांचे को मजबूत बनाने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि इंटरनेट का सही
उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना, ज्ञान के स्तर में असमानता को समाप्त करना, विकास के नए अवसर पैदा करना, शिक्षा और सूचना की पहुंच बढ़ाना प्रत्येक भारतवासी की जिम्मेदारी है।
देश की बेटियों के साथ समानता का व्यवहार करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के अभियान को ताकत दे रही है, लेकिन बेटियों के साथ भेदभाव न होने देना और उन्हें बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करना प्रत्येक देशवासी की भी जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को स्वच्छ बनाना, देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाना और कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण प्रत्येक भारतीय की जिम्मेदारी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए रोजमर्रा की जिन्दगी में अपने अंत:करण को साफ रखते हुए कार्य करें और कार्य संस्कृति को पवित्र बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि नए भारत के निर्माण का लक्ष्य हासिल करने के लिए केवल बुनियादी संरचनाओं को मजबूती
प्रदान करना ही जरूरी नहीं, बल्कि मानवतावादी मूल्यों को समाहित करना भी जरूरी है।