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Last Modified: गुरुवार, 28 मार्च 2019 (10:02 IST)

नोटबंदी का असर, जीडीपी की तुलना में नकदी में आई कमी

नोटबंदी का असर, जीडीपी की तुलना में नकदी में आई कमी - Decrease in cash compared to GDP
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद पिछले दो साल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले प्रचलन में उपलब्ध मुद्रा पहले की तुलना में एक प्रतिशत घटकर 10.48 प्रतिशत रह गई। सरकार ने कालाधन पर अंकुश लगाने के लिए 8 नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपए के नोट को चलन से हटा दिया था।

एक अधिकारी ने कहा, सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में 8 नवंबर 2016 को चलन में उपलब्ध मुद्रा 11.55 प्रतिशत थी जो कि 2 साल बाद 8 नवंबर 2018 को 10.48 प्रतिशत रह गई। यह बताता है कि इससे आर्थिक तंत्र में चल रही मुद्रा में कमी आई है।

नोटबंदी के बाद निर्धारित समय में बैंकों में 15.31 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट जमा किए गए। यह 8 नवंबर 2016 को चलन में 500 और 1,000 रुपए के 15.41 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट का 99.3 प्रतिशत है। नोटबंदी का एक उद्देश्य नकदी आधारित अर्थव्यवस्था में कमी तथा डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करना था।

4 नवंबर 2016 को चलन में 17.74 लाख करोड़ रुपए के नोट थे जो 22 मार्च 2019 को बढ़कर 21.22 लाख करोड़ रुपए हो गया। वित्त मंत्रालय के जारी सर्कुलर के मुताबिक यदि सरकार ने नोटबंदी नहीं की होती हो मार्च 2019 तक चलन में उपलब्ध नोटों का मूल्य 24.55 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाता। यह स्तर मौजूदा नोटों के मूल्य के मुकाबले तीन लाख करोड़ रुपए अधिक होता।

जहां तक डिजिटल लेनदेन की बात है, अधिकारी ने कहा कि अक्टूबर 2016 में डिजिटल लेनदेन 71.19 करोड़ से बढ़कर अक्ट्रबर 2018 को 210.32 करोड़ तक पहुंच गया। लेनदेन का मूल्‍य इस दौरान 87.68 लाख करोड़ से बढ़कर 135.97 लाख करोड़ रुपए हो गया।
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