राहुल गांधी के श्वेतपत्र का क्या मतलब है… सरकार को शाबासी, संदेश या नसीहत?
नई दिल्ली। देश में 21 जून को करीब 85 लाख लोगों का टीकाकरण हुआ जो अब तक का सर्वाधिक है। इस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने वेलडन इंडिया लिखकर ट्वीट किया। लेकिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कोरोना टीकाकरण पर श्वेत पत्र जारी कर यह बताने की कोशिश की नरेंद्र मोदी सरकार सभी मोर्चों पर नाकाम साबित हुए हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना टीकाकरण पर श्वेत पत्र लाना सरकार के खिलाफ सवाल उठाना नहीं है। बल्कि यह तीसरी लहर को लेकर सरकार को सचेत करने की कोशिश है।
कोविड-19 पर इस श्वेत पत्र का उद्देश्य सरकार पर उंगली उठाना नहीं है, बल्कि देश को संक्रमण की तीसरी लहर के लिए तैयार करने में मदद करना है। पूरा देश जानता है कि तीसरी लहर आएगी। उन्होंने कहा कि सरकार से उनकी मांग है कि एक कोविड क्षतिपूर्ति फंड की व्यवस्था की जाए जो कोरोना से प्रभावित परिवारों को मदद कर सकें जिनके घरों में कमाने वाले लोग कोरोना के शिकार हो गए।
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डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने दूसरी लहर की चेतावनी दी है। सरकार नहीं चाहती थी कि उसे करना चाहिए था। और परिणामस्वरूप पूरी दुनिया ने देखा कि हम क्या कर रहे हैं।
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अब तीसरी लहर आने वाली है। इसलिए हम कह रहे हैं कि सरकार को तीसरी लहर की तैयारी करनी चाहिए।
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छोटे व्यवसायियों की मदद के लिए आगे आने की जरूरत
यह स्पष्ट है कि कोविड की पहली और दूसरी लहर का प्रबंधन विनाशकारी था, और हमने इसके पीछे के कारणों को इंगित करने का प्रयास किया है। मैं यहां तक कहूंगा कि कोविड-19 की तीसरी लहर के बाद भी लहरें हो सकती हैं क्योंकि वायरस उत्परिवर्तित हो रहा है। हमें छोटे व्यवसायों, गरीब लोगों को सीधे धन सुनिश्चित करके उनका समर्थन करना चाहिए। उन परिवारों के लिए एक कोविड मुआवजा कोष बनाया जाना चाहिए, जिन्होंने कोविड के लिए अपने एकमात्र कमाने वाले को खो दिया।