वक्त कितनी जल्दी बदलता है यह कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत राम रहीमसिंह के बारे में तो बिलकुल भी नहीं। लेकिन, कर्मों का खेल देखिए कल तक जो व्यक्ति पूजनीय हुआ करता था, अब जेल में सामान्य कैदी की तरह रहेगा।
कैदी नंबर 1997 : दो साध्वियों के साथ बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया राम रहीम की ऐशो आराम की जिंदगी अब अतीत की बात हो जाएगी। जेल अब राम रहीम को वहीं का खाना, पहनने के कपड़े (यदि राज्य की सरकार ने सदाशयता नहीं दिखाई तो) दिए जाएंगे। करोड़ों लोगों के स्वयंभू गुरु बाबा की पहचान जेल में कैदी नंबर 1997 की होगी।
कुर्सी पकड़कर रोया : जिस समय सीबीआई की विशेष अदालत के जज जेल में कोर्ट रूम में अपना फैसला सुना रहे थे, उस समय राम रहीम की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह जज के सामने रहम की भीख मांग रहा था। अर्श से फर्श तक पहुंचा यह न सिर्फ कुर्सी पकड़कर रोया बल्कि सजा का एलान के बाद भी काफी समय तक जमीन पर बैठकर आंसू बहाता रहा।
नहीं मिली चाय : जिसके एक आदेश पर दूध की (खून की भी) नदियां बहा दी जाएं, उस बाबा को कारगार ले जाने से पहले चाय भी नसीब नहीं हुई। हालांकि सजा के बाद स्वास्थ्य में गड़बड़ी की शिकायत करने पर जेल में मौजूद डॉक्टरों की टीम ने डेरा प्रमुख को कारागार में डालने से पूर्व उसकी चिकित्सा जांच की।