भोपाल। 2019 से पहले राम मंदिर के निर्माण को लेकर जहां एक ओर सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली में संत समाज एक बड़ी बैठक कर रहा है, लेकिन चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में संतों ने खुद चुनाव में उतरने की तैयारी कर ली है।
संतों की तैयारी देखकर कहा जा सकता है कि चुनाव से पहले संतों में सियासी प्रेम जाग गया है। चुनाव करीब आते ही संत एक बार फिर मुखर होकर अपने लिए टिकट की मांग करने लगे हैं। टिकट के लिए संतों की सबसे अधिक दावेदारी भाजपा में है, वहीं कई संत निर्दलीय भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
टिकट के दावेदार संतों की संख्या देखकर लगता तो यही है कि इस बार संत भी सत्ता और सरकार में अपनी हिस्सेदारी चाह रहे हैं। आइए, आपको बताते हैं कि कौन से संत और बाबा सियासत के मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं-
सियासी मैदान में उतरने की तैयारी में कंप्यूटर बाबा : चुनाव के सियासी मैदान में उतरने की अगर इस वक्त सूबे की सियासत में सबसे अधिक किसी बाबा की चर्चा है तो वे हैं कंप्यूटर बाबा। चुनाव लड़ने वाले बाबाओं में कंप्यूटर बाबा का नाम सबसे आगे है। सरकार से राज्यमंत्री का पद छोड़ने वाले बाबा से जब वेबदुनिया ने चुनाव लड़ने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे संत समाज से पूछकर चुनाव लड़ने पर कोई फैसला लेंगे।
इसके लिए बाबा जल्द ही धर्म संसद का आयोजन करने जा रहे हैं, जिसमें कंप्यूटर बाबा का दावा है कि देशभर के दस हजार से अधिक संत शामिल होंगे। कंप्यूटर बाबा कहते हैं कि उनको चुनाव लड़ने के ऑफर तो कई पार्टियों से आ रहे हैं, लेकिन धर्म संसद के बाद ही वे कोई फैसला लेंगे।
ऐसा नहीं है कि कंप्यूटर बाबा का सियासत के प्रति प्रेम कोई नया है। कंप्यूटर बाबा तो इसी सरकार में मंत्री भी बन गए थे। कंप्यूटर बाबा पिछले काफी समय से भाजपा से टिकट की जुगाड़ में थे लेकिन जब उनको टिकट को लेकर कोई आश्वासन नहीं मिला तो उन्होंने मुख्यमंत्री पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए राज्यमंत्री का दर्जा वापस लौटा दिया। वैसे अब देखना दिलचस्प होगा कि कंप्यूटर बाबा अपनी सियासी कुंडली किस दल के साथ मिलकर या निर्दलीय बनाते हैं।
उज्जैन दक्षिण से महंत अवधेशपुरी की दावेदारी : भाजपा में अगर इस वक्त किसी संत की सबसे मजबूत दावेदारी है तो वे हैं उज्जैन दक्षिण से महानिर्वाणी अखाड़े के परमहंस अवधेश पुरी महाराज। वेबदुनिया ने जब अवधेशपुरी महाराज से दावेदारी के बारे में बात की तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उन्होंने खुद संगठन और सरकार के जिम्मेदार लोगों के सामने अपनी दावेदारी रख दी है। अब फैसला संगठन को करना है।
अवधेशपुरी महाराज कहते हैं कि उनके क्षेत्र के लोगों की इच्छा भी है कि वे चुनाव लड़ें। अपने टिकट की दावेदारी के पीछे वे पिछले बीस सालों में भाजपा के लिए किए गए कामों को सबसे मजबूत आधार मानते हैं। इसके साथ ही डॉक्टरेट की उपाधि रखने वाले अवधेशपुरी राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए राजनीति में आना चाहते हैं।
पुरी सिंहस्थ में अपने किए गए कामों के आधार और अपनी साफ-सुथरी छवि के आधार पर ये तय मान रहे है कि उनको टिकट मिलेगा। अवधेशपुरी साफ कहते हैं कि उनका चुनाव लड़ना तय है। अगर उनको भाजपा से टिकट नहीं मिला है तो वो पार्टी से इसका कारण पूछेंगे और इसके बाद कोई फैसला करेंगे।
केवलारी (सिवनी) से संत मदन मोहन खड़ेश्वरी ने मांगा टिकट : भाजपा की ओर से टिकट के दूसरे जो बड़े दावेदार है वो हैं संत मदन मोहन खड़ेश्वरी। सिवनी जिले के केवलारी से टिकट की दावेदारी कर रहे संत मदन मोहन टिकट मिलने से पहले ही जीत का दावा कर रहे हैं। मदन मोहन कहते हैं कि उनकी चुनाव लड़ने की तैयारी पूरी है। अगर भाजपा से टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वहीं जीत के दावे पर कहते हैं कि उन्होंने पिछले 30 सालों लोगों के लिए जो काम किया है, उसके आधार पर लोग उन्हें जीत दिलाएंगे।
सिलवानी से महेंद्र प्रताप गिरि का दावा : भाजपा में टिकट के तीसरे सबसे मजबूत दावेदार रायसेन के सिलवानी से बाबा महेंद्र प्रताप गिरि ने किया है। बाबा ने संगठन से टिकट की मांग की है। इतना ही नहीं बाबा कहते हैं कि अगर संगठन ने उनको टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।
उदयपुरा से रविनाथ महीवाले की दावेदारी : रायसेन की उदयपुरा सीट से संत महीवाले ने तो टिकट मिलने से पहले ही अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। संत रविनाथ भी भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। संत रविनाथ नर्मदा को बचाने के लिए विधायक बनना चाहते हैं।