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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 28 अप्रैल 2022 (15:09 IST)

MP Board 10th-12th Result 2022: बच्चों में बोर्ड परीक्षा के रिज़ल्ट के तनाव को कम करने के लिए पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान

एमपी बोर्ड एग्जाम में शामिल 19 लाख बच्चों में रिजल्ट के तनाव को कम करने के लिए जरूरी खबर

MP Board 10th-12th Result 2022: बच्चों में बोर्ड परीक्षा के रिज़ल्ट के तनाव को कम करने के लिए पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान - MP Board Result 2022:Tips for parents to reduce board exam result stress among students
मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 10 वीं और 12 वीं बोर्ड के नतीजें 29 अप्रैल को घोषित होगा। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार 29 अप्रैल को दोपहर 1 बजे कक्षा 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित करेंगे। बोर्ड ने नतीजों से पहले बोर्ड ने स्टूडेंट्स के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सोशल मीडिया पर नंबर शेयर करते हुए लिखा कि विद्यार्थी रिजल्ट से न डरें। मनोवैज्ञानिकों से परामर्श के लिए टोल फ्री नंबर 1800 233 0175 पर विद्यार्थी टोल फ्री कॉल कर सकते हैं।
बोर्ड रिजल्ट का मनौवैज्ञानिक दबाव-10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में इस बार प्रदेश के करीब 19 लाख बच्चों ने परीक्षा दी है। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के परीक्षा में बैठने के बाद अब रिजल्ट को लेकर भी काफी उत्सुकता है। बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट को लेकर बच्चों में एक अगल तरह एंग्जाइटी देखी जा रही है। मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि बोर्ड परीक्षा के नतीजों का सामान्य तौर पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है, इसकी वजह पहली बार बच्चा अपने रिजल्ट को एक मनौवैज्ञानिक दबाव अपने आप महूसस करने लगता है। वह कहते हैं बोर्ड परीक्षा के नाम से बच्चों पर एक अलग तरह का मनोवैज्ञानिक दबाव होता है। बोर्ड परीक्षा एक अलग तरह के प्रेशर के तौर पर काम करती है।  

नंबर और परसेंटेज का दबाव-इसके साथ बोर्ड परीक्षा को लेकर स्टूडेंट्स पर अच्छे परसेंट लाने का भी दबाव होता है। रिजल्ट को लेकर बच्चों के मन एक अलग तरह की एंजाइटी होती है और वह अपने नंबरों और परसेंटेज को लेकर बहुत अधिक चिंतित होते हैं। परीक्षा परिणाम को लेकर स्टूडेंट में आमतौर पर तनाव बहुत देख जाता हैं, ऐसे में जब मन मुताबिक रिजल्ट नहीं मिलने से जब तनाव एक स्तर से उपर बढ़ जाता है तब बच्चे डिप्रेशन में चले जाते है।

पेरेंट्स इन बातों का जरूर रखे ध्यान-बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट को लेकर अचानक से बच्चों में अनिद्रा और घबराहट की शिकायतें बहुत बढ़ जाती है। ऐसे में पैरेटेंस की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है और उनको बच्चों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे में बेहद जरूरी हैं कि रिजल्ट के बाद बच्चों के तनाव को कम किया जाए। डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऐसे समय में बच्चों से संवाद बनाए रखना बेहद जरूरी है। रिजल्ट को लेकर बच्चों पर पैरेंट्स कोई दबाव नहीं बनाए। पेरेंट्स को इस बात को समझना चाहिए कि बच्चे का जीवन एग्जाम के नंबरों से ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसलिए बच्चे का आकलन नंबरों के आधार पर नहीं करे। 

काउंसलर डॉक्टर सत्यकांत बच्चों को सलाह देते हुए कहते हैं कि रिजल्ट को लेकर दबाव में आने की जरूरत नहीं है। एग्जाम में आने वाले परसेंट या नंबर एक मानव निर्मित क्राइटेरिया है और जो रिजल्ट आया है उसको एक्सेप्ट करें। बच्चों को अपने आगे के करियर के लिए अपने सीनियर और टीचरों से लगातार संपर्क में रहना चाहिए।
 
खत्म हो बोर्ड परीक्षा का टर्म-जाने-माने मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि वह व्यक्तिगत तौर पर बोर्ड परीक्षा के टर्म से ही सहमत नहीं है। बोर्ड परीक्षा के नाम से ही बच्चे एक दबाव में आ जाते है और जब रिजल्ट आता है तो यह एंग्जाइटी और बढ़ जाती है। ऐसे में अब इस ओर शिक्षाविद् और सरकार के नीति निर्माताओं को ध्यान देना चाहिए और परसेंटज के सिस्टम को खत्म करना चाहिए।  
 
डराने नहीं सतर्क करने के लिए आंकड़ें- दरअसल एग्जाम और उसके दबाव को लेकर मध्यप्रदेश की तस्वीर बेहद डरावनी है। NCRB की रिपोर्ट बताती है कि साल 2017-19 के बीच 14-18 की आयु वाले 24 हजार से ज्यादा बच्चों ने आत्महत्या की। जिसमें एग्जाम में फेल होने से आत्महत्या करने के चार हजार से अधिक मामले है। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरन 4046 बच्चों ने परीक्षा में फेल होनी वजह से आत्महत्या की है।
 
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