सिंधिया के करीबी गोविंद राजपूत पर भूपेंद्र सिंह का हमला, कहा खत्म कर रहे भाजपा, पार्टी में कब तक रहेंगे, इसकी गारंटी नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा में इन दिनों आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चरम पर है। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने वाले सुरखी से विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। सागर जिले से शुरु हुआ आरोप प्रत्यारोप का यह सिलसिला अब राजधानी भोपाल पहुंच गया है औऱ दोनों ही नेता अब खुलकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है।
पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने मंत्री गोविंद सिंहं राजपूत पर हमला करते हुए कहा कि सागर जिले में एक मंत्री भाजपा को खत्म करने में लगा हुआ है। भूपेंद्र सिंहं ने कहा कि हम ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं कर सकते, जिन्होंने पहले बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किए थे, अब वही लोग हमारी पार्टी में आकर फिर से हमारे कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रहे हैं, सागर जिले में दो नेता ऐसे हैं जिनको लेकर मेरी आपत्ति पहले भी थी और आज भी है. क्योंकि इन्ही दो नेताओं ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा प्रताणित किया था. ये कौन दो लोग हैं, इसकी जानकारी सभी को है, प्रशासन अब उन्हीं की बात सुन रहा है जो कांग्रेस से भाजपा में आए हैं. ये लोग नहीं चाहते है कि भाजपा के पुराने लोग मजबूत हो, जबकि वे खुद बीजेपी में कब तक रहेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
इतना ही नहीं भूपेंद्र सिंह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के उस बयान पर भी तीखा हमला बोला जिसमें उन्होंने भूपेंद्र सिंह के आरोपों को निजी ल़ड़ाई बताया था। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि वीडी शर्मा को पार्टी में आए हुए पांच से सात साल ही हुए हैं, वे तो पहले एबीवीपी में काम करते थे, लेकिन उनका बयान आपत्तिजनक है. मैंने उनकी अध्यक्षीय गरिमा का ध्यान कोई बात नहीं कही थी, लेकिन उन्हें भी अपनी गरिमा का ध्यान रखना चाहिए, चाहता था तो मैं भी जवाब दे सकता है।
वहीं गोविंद सिंह राजपूत ने भूपेंद्र सिंह पर पलटवार करते हुए कहा कि एक व्यक्ति क्या पार्टी से बड़ा हो गया है? पार्टी नेतृत्व इसे देख रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विद्यार्थी परिषद से आए हैं, लेकिन उन्हें समझना होगा कि विद्यार्थी परिषद से तो अमित शाह भी आए थे, इसी से जेपी नड्डा भी आए थे. जहां तक मैंने सुना है राजनाथ सिंह भी विद्यार्थी परिषद से आए हैं, लेकिन आप विद्यार्थी परिषद से आए लोगों को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं. तो क्या आप पार्टी से ऊपर हो गए हैं, इस सभी मामले को पार्टी का शीर्ष नेतृत्व देख रहा है।
इसके साथ गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने पार्टी में शामिल हुए थे और जब से पार्टी में आया हूं तीन बड़ी सीमाएं पार कर चुका है। गोविंद सिंहं राजपूत ने कहा कि मैंने भाजपा से पहला चुनाव 41000 वोट से जीता था, दूसरा विधानसभा का चुनाव भी जीता, जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान सागर लोकसभा सीट की भाजपा प्रत्याशी मेरी विधानसभा सीट से 86000 वोटों से जीती थी। उन्होंने कहा कि मैं आज भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता हूं। मैं जब से भाजपा में आया हूं तब से ही पार्टी के लिए मेहनत कर रहा हूं।
भूपेंद्र-गोविंद राजपूत के बीच पुरानी सियासी लड़ाई-खुरई से विधायक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और सुरखी से भाजपा विधायक और वर्तमान में मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई पिछले कई सालों से देखी जा रही है। वर्चस्व की लड़ाई की मुख्य वजह दोनों ही नेताओं का अपना सियासी रसूख है, जिसके चलते तीनों के हित आपस में ठकराते रहते है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बीच सियासी तल्खी किसी से छिपी नहीं थी। कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश राजपूत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें भूपेंद्र सिंह पर तंज कसते हुए लिखा गया था कि 'अच्छा है हम खुरई में नहीं है, वरना बात करने पर ही जेल चले जाते, क्यों भाई साधु जी। दरअसल उस वक्त भूपेंद्र सिंह शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और सागर में उनका खासा दबदबा था।
इससे पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में दोनों दिग्गज नेताओं के बीच सीधा टकराव देखने को मिला था। इससे पहले पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने सागर जिले के पुलिस कर्मियों पर कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकालकर लोगों पर दबाव बनाने का सनसनीखेज आरोप लगाया था।