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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023 (16:39 IST)

क्या त्रिकोणीय संघर्ष में फंस रहा मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव?

सपा, बसपा और आप किसका बिगाड़ेगी खेल?

क्या त्रिकोणीय संघर्ष में फंस रहा मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव? - Samajwadi Party, Bahujan Samaj Party, and Aam Aadmi Party make Madhya Pradesh Assembly elections triangular
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में आ जाने से अब कई सीटों पर जहां मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर जिस I.N.D.I.A  गठबंधन बनाया था उसका भविष्य भी  अब खतरे में दिखाई दे रहा है।

सपा ने उतारे उम्मीदवार-I.N.D.I.A. गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी अब तक मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 31 उम्मीदवारों के नामों का एलान कर चुकी है। कांग्रेस से सीटों के समझौते की बात विफल होने के बाद समाजवादी पार्टी ने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया।   समाजवादी पार्टी ने मुरैना जिले की सबलगढ़ सीट से लाल सिंह राठौर, जौरा सीट से रीना कुशवाहा, सुमावली से मंजू सोलंकी, दिमनी सीट से रामनारायण सकवार को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ दमोह जिले की जेबरा सीट से लखन लाल यादव और सिंगरौली सीट से ओम प्रकाश सिंह को और भोपाल जिले की नरेला विधानसभा सीट से शमसुल हसन को चुनावी मैदान में उतारा है।गौर करने वाली बात यह है कि समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरण को भी टिकट बंटवारे में साधने की कोशिश की है।

बसपा बन सकती है गेमचेंजर-समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी भी अब तक 78 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर चुकी है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी दोनों का फोकस ग्वालियर-चंबल के साथ बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र पर है। यह मध्यप्रदेश का वह इलाका है जहां जो उत्तर प्रदेश से सटा हुआ है और इन इलाकों में दोनों ही पार्टियों का बड़ा वोट बैंक भी है।

अगर राज्य में हुए पिछले विधानसभा चुनाव पर गौर किया जाए तो यह बात साफ हो जाती है कि बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक जब बढ़ा है तो कांग्रेस को नुकसान हुआ है। भाजपा को फायदा और जब भी बसपा के वोट बैंक में गिरावट आई है तो उसका लाभ कांग्रेस को हुआ है।

अगर पिछले तीन विधानसभा चुनाव के नतीजों के देखे तो 2008 विधानसभा चुनाव में बपसा को 9 फीसदी, 2013 के विधानसभा चुनाव में 6 फीसदी और 2018 में 5 फीसदी  वोट मिले थे। 2018 के चुनाव में बपसा का वोट प्रतिशत गिरने से सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ था और वह सत्ता में लौटी थी। राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग का वोट बैंक साढ़े 15 फ़ीसदी से ज्यादा है और इस वर्ग के लिए राज्य में 35 सीटें आरक्षित हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों में से कांग्रेस को 18 पर और बीजेपी को 17 पर जीत मिली थी।

AAP से कांग्रेस को सीधा नुकसान- I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ मध्यप्रदेश के चुनावी मैदान में आ डटी है। केजरीवाल की पार्टी मध्यप्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। और पार्टी अब आम आदमी पार्टी  अब तक 39 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर चुकी  है। आम आदमी पार्टी की नजर भी ग्वालिर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य पर टिकी है। पार्टी ने दमोह से अभिनेत्री चाहत मणि पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है। इसके अलावा पार्टी ने भांडेर (एससी) से रमणी देवी जाटव, भिंड से राहुल कुशवाह, मेहगांव से सतेंद्र भदोरिया, भोपाल उत्तर से मोहम्मद सऊद, नरेला से रईसा बेगम मलिक, मलहरा से चंदा किन्नर को टिकट दिया है।

आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में उतरकर कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद का चुनावी इतिहास बताता है कि आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने से सीधा नुकसान कांग्रेस को होता है। 

आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी के चुनावी मैदान में उतरना का सीधा नुकसान भाजपा और कांग्रेस को हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि विपक्ष का वोट बंटने से सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी  के साथ आम आदमी पार्टी ने अब तक जिन सीटों पर उम्मीदवार उतारे है वहां कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर है, ऐसे में विपक्ष का वोट बंटने से कांग्रेस को सीधा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इसके साथ लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की एकता भी तार-तार होती दिख रही है। गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने तेवर दिखाते हुए कहा कि कांग्रेस को ये स्पष्ट करना चाहिए कि I.N.D.I.A. गठबंधन प्रदेश के स्तर पर है या देश के स्तर पर। प्रदेश के स्तर पर नहीं है, तो भविष्य में भी नहीं होगा।
 
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