मंगलवार, 24 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Smartphone Internet
Written By
Last Modified: शनिवार, 2 दिसंबर 2017 (11:59 IST)

दिमाग खराब कर रहे हैं स्मार्टफोन और इंटरनेट

दिमाग खराब कर रहे हैं स्मार्टफोन और इंटरनेट | Smartphone Internet
कभी सोचा है कि स्मार्टफोन और इंटरनेट का मस्तिष्क पर कैसा प्रभाव पड़ता होगा? दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं का दावा है कि इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत इंसानी दिमाग की कैमेस्ट्री को बिगाड़ देती है।
 
दक्षिण कोरियाई यूनिवर्सिटी में रेडियोलॉजी के प्रोफेसर ने ह्यूंग सुक सियो के साथ काम कर रही टीम का दावा है कि इंटरनेट और स्मार्टफोन का प्रयोग दिमाग की कैमेस्ट्री को प्रभावित करता है। शोधकर्ताओं ने 15 साल की उम्र के 19 किशोरों पर किये गये अपने अध्ययन में ऐसे लक्षण पाये हैं।
 
शोधकर्ताओं के मुताबिक जांच में शामिल किये गये ये सभी किशोर स्मार्टफोन या इंटरनेट की लत से जूझ रहे थे। डॉक्टर्स पता करना चाहते थे कि क्या स्मार्टफोन या इंटरनेट की लत का मस्तिष्क पर कोई प्रभाव पड़ता है? इसके लिए इनका एक टेस्ट किया गया। टेस्ट में इनसे पूछा गया कि वे किस स्तर तक इंटरनेट या स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही इंटरनेट और स्मार्टफोन इनके रोजाना के पैटर्न को कितना प्रभावित करता है। मसलन उनके दिन के काम, उनके कार्य करने की क्षमता, सोने का तरीका और भावनायें।
 
इसके अतिरिक्त शोधकर्ताओं ने ऐसे 19 अन्य लोगों की भी जांच की जो इसी उम्र के थे लेकिन उनमें इंटरनेट की लत जैसा कोई लक्षण नहीं था। जांच में पाया गया कि जो इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत से जूझ रहे हैं उनमें नींद नहीं आने और गुस्सा आने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। साथ ही अवसाद, डिप्रेशन और चिंता जैसी शिकायतों से भी ग्रस्त होते हैं।
 
न्यूरोट्रांसमीटर्स पर जांच
डॉक्टरों ने जांच में शामिल सभी लोगों के दिमाग की मैग्नेटिक रेसोनेस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एमआरएस) का इस्तेमाल कर 3डी इमेज ली। यह एमआरआई (मैगनेटिक रेसोनेस इमेंजिंग) की तरह काम करती है। एमआरआई इमेजिंग की तरह, एमआरएस भी फैब्रिक और कोशिकाओं में मौजूद रसायनियक सामग्री को दिखाने में भी सक्षम होती है।
 
शोधकर्ता खासतौर पर गामा अमिनियोब्यूटरिक एसिड (जीएबीए) की जांच में खासी दिलचस्पी लेते हैं। यह मस्तिष्क में एक तरह का न्यूरोट्रांसमीटर होता है जो मस्तिष्क को भेजे जाने सिग्नल को धीमा करता है या रोकता है। इसके अतिरिक्त जीएबीए के संपर्क में आने वाले अमिनो एसिड ग्लयूटामेट और ग्लयूटामीन से भी मिलते हैं। इस जीएबीए का दृष्टि से लेकर मस्तिष्क के तमाम कार्यों मसलन उत्सुकता, चिंता, नींद आदि पर बड़ा प्रभाव होता है।
 
रिसर्च में पता चला कि इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत से जूझ रहे किशोरों के मस्तिष्क में जीएबीए का स्तर मस्तिष्क के खास हिस्सों में बढ़ जाता है। यह बढ़त इनके मस्तिष्क की कैमेस्ट्री को प्रभावित करती है। रिसर्च में देखा गया कि मस्तिष्क में रासायनिक सामग्री में पैदा होने वाला अंतर तनाव, अवसाद और चिंता जैसे लक्षणों को बढ़ाता है।
 
रिपोर्ट अपूर्वा अग्रवाल
ये भी पढ़ें
हैप्पी बर्थडे: 25 साल का हुआ SMS