करीब 15 साल पहले शारजाह में त्रिकोणीय श्रृंखला खेली गई। इस कप का नाम कोका-कोला कप था। श्रृंखला में तीन टीमें भारत, श्रीलंका और जिम्बाब्वे थीं। नॉकआउट स्टेज में जिम्बाब्वे हारकर बाहर हो गई और फाइनल में पहुंची भारत और श्रीलंका की टीमें।
भारत और श्रीलंका की अगुआई दो जांबाज कप्तान कर रहे थे। एक तरफ थे सौरव गांगुली तो दूसरी तरफ विस्फोटक बल्लेबाज सनथ जयसूर्या। फाइनल मैच में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया।
जयसूर्या ने आते ही अपने स्वभाविक अंदाज में खेलना शुरू किया और श्रीलंका ने पहले 21 ओवरों में 100 रन बना लिए। बहरहाल इस बीच श्रीलंका ने अपने तीन विकेट भी गंवा दिए।
इसी बीच रन रेट थोड़ा ढीला पड़ गया और 28 ओवरों में श्रीलंका का स्कोर 116/4 हो गया। क्रीज पर रसेल अर्नोल्ड पहले से सेट हो चुके जयसूर्या के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे। तब तक भारत के हिसाब से परिस्थितियां बढ़िया लग रही थीं, लेकिन एकाएक अगले कुछ ओवरों में मैच ने नाटकीय ढंग से मोड़ लिया।
इस ओवर के बाद श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजी पर धावा बोल दिया जो श्रीलंका की पारी की अंतिम गेंद तक चला, जिसने उस समय के कई एकदिवसीय क्रिकेट के कीर्तिमानों को ध्वस्त कर दिया। जयसूर्या ने अपना शतक 118 गेंदों में पूरा किया और अगले 89 रन मात्र 43 गेंदों में ठोंक डाले।
जयसूर्या पारी के 49वें ओवर में आउट हुए। लेकिन पुछल्ले बल्लेबाजों ने भी अपने अच्छे हाथ दिखाए और भारत के सामने भारी भरकर 300 रनों का लक्ष्य रख दिया। भारत की ओर से सुनील जोशी ही कुछ करने में कामयाब हुए और उन्होंने 9-2-33-1 लिया। वहीं वेंकटेश प्रसाद बेहद खर्चीले साबित हुए और उन्होंने 7 ओवरों में 73 रन लुटा दिए।
वह वास्तव में भारतीय गेंदबाजी का कत्लेआम था। लेकिन आगे जो होना था वह और भी खतरनाक था। चमिंडा वास की अगुवाई में श्रीलंकाई गेंदबाजों ने चर्चित भारतीय बल्लेबाजी क्रम को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया। भारत के कप्तान सौरव गांगुली सीधा स्लॉग शॉट खेलते हुए अपना विकेट दे बैठे और उनके ओपनिंग पार्टनर सचिन तेंदुलकर भी ज्यादा देर तक क्रीज पर टिके ना रह सके और बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से गेंदबाज के हाथ में ही एक आसान सा कैच दे बैठे।
भारत ने जब युवराज और कांबली को अगले कुछ ओवरों में गंवाया तो भारत का स्कोर नौंवें ओवर में 19/4 था। ये चारों के चारों विकेट चमिंडा वास ने अपनी झोली में डाले थे। अगले शिकार भारत के हेमांग बदानी हुए जो नुवान जोयसा की शॉर्ट गेंदबाजी के जाल में फंस कर अपना विकेट दे बैठे। इसके बाद विजय दहिया को करिशमाई स्पिन गेंदबाज मुरलीधरन ने क्लीन बोल्ड कर दिया।
रॉबिन सिंह इस मैच में अकेले दहाई के आंकड़े को छूने वाले बल्लेबाज थे, उन्होंने मुरलीधरन की गेंद में एक कट शॉट खेलने का प्रयास किया और अपना विकेट दे बैठे। सुनील जोशी आगरकर के साथ विकटों के बीच सामंजस्य नहीं बिठा पाए और खामियाजा अपना विकेट गंवा बैठे और अब भारत का स्कोर 49/8 विकेट हो चुका था।
आगरकर भी अगले कुछ ओवरों में बोल्ड आउट हो गए और अब भारत का स्कोर 50 रन था और पूरे 9 विकेट गिर चुके थे। क्रीज पर जहीर खान और प्रसाद मौजूद थे। दोनों ने श्रीलंका के तूफान से कुछ देर किला लड़ाने की कोशिश की।
लेकिन यह कोशिश अगली कुछ 13 गेंदों तक ही चल पाई और वास ने गेंदबाजी छोर फिर से संभाला और जहीर खान को आउट करते हुए भारत को 245 रनों के बड़े अंतर से हराने में सफलता दर्ज की। भारत इस मैच में 26.3 ओवरों में मात्र 54 रनों पर ऑलआउट हो गया।