पटौदी परिवार की विरासत संभालने का बीड़ा तेंदुलकर ने उठाया, कहा कभी मिटने नहीं दूंगा
भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें जैसे ही पता चला कि भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट श्रृंखला के लिये ट्रॉफी का नाम बदला जा रहा है, उन्होंने दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी के परिवार से संपर्क किया और उन्हें आश्वस्त किया कि इस श्रृंखला से पूर्व कप्तान का जुड़ाव खत्म नहीं होगा। पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलकर तेंदुलकर और इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन के नाम पर एंडरसन - तेंदुलकर ट्रॉफी रखा गया है। यह फैसला इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड और बीसीसीआई ने मिलकर लिया है।
तेंदुलकर ने पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा , मुझे पता है कि बीसीसीआई ने कुछ महीना पहले पटौदी ट्रॉफी को रिटायर किया है। लेकिन जब मुझे पता चला कि इसका नाम मेरे और एंडरसन के नाम पर रखा जा रहा है तो मैने सबसे पहले पटौदी परिवार को फोन किया।
उन्होंने कहा , टाइगर पटौदी ने कई पीढियों को प्रेरित करने में बड़ी भूमिका निभाई है जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
पटौदी परिवार श्रृंखला से जुड़ा रहेगा क्योंकि अब विजयी कप्तान को नया पटौदी उत्कृष्टता पदक देने का फैसला किया गया है । यह तेंदुलकर और बीसीसीआई के पूर्व सचिव तथा आईसीसी के मौजूदा चेयरमैन जय शाह और ईसीबी के आला अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद हुआ।
तेंदुलकर ने कहा , मैने उनसे बात की। मैने सब कुछ बताया। मैने यह भी कहा कि पटौदी विरासत को जीवंत रखने के लिये हमें हरसंभव प्रयास करने होंगे। इसके बाद मैने शाह और ईसीबी अधिकारियों से बात करके कुछ सुझाव दिये।
उन्होंने कहा , क्योंकि पटौदी ने कई पीढियों को प्रेरित करने में बड़ी भूमिका निभाई जिसे भुलाया नहीं जा सकता। मुझे खुशी है कि उनके सम्मान में एक पदक देने का फैसला किया गया है। मुझे खुशी है कि सारे फोन कॉल और बातचीत का सकारात्मक नतीजा निकला।
उन्होंने कहा , मैने पहली बार 1988 में इंग्लैंड का दौरा किया था । मेरी पहली फ्लाइट मुंबई से लंदन की थी। अब मेरे नाम से वहां ट्रॉफी होने से काफी खुशी हो रही है। (भाषा)