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Last Modified: सोमवार, 14 जनवरी 2019 (17:01 IST)

एडिलेड में भारत की ऑस्ट्रेलिया से टक्कर, जीत के साथ सीरीज बचाने का दबाव

एडिलेड में भारत की ऑस्ट्रेलिया से टक्कर, जीत के साथ सीरीज बचाने का दबाव - Indian cricket team
एडिलेड। भारतीय क्रिकेट टीम टेस्ट सीरीज में इतिहास रच चुकी है, लेकिन फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज़ गंवाने की कगार पर खड़ी है, जिससे बचने के लिए विराट कोहली की अगुवाई वाली मेहमान टीम को मंगलवार को यहां दूसरे वनडे में हर हाल में जीत की दरकार रहेगी।


लोकेश राहुल और हार्दिक पांड्या विवाद के कारण मानसिक दबाव झेल रही भारतीय टीम सिडनी में पहले मैच को 34 रन से गंवाने के बाद तीन मैचों की सीरीज़ में 0-1 से पीछे है और एडिलेड में यदि वह हारती है तो सीरीज़ भी उसके हाथ से चली जाएगी।

भारतीय टीम की यह सीरीज़ गंवाने पर प्रतिष्ठा भी प्रभावित होगी, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया में इससे पहले वर्ष 2012 में सी बी सीरीज़, 2015 में त्रिकोणीय और 2016 में द्विपक्षीय सीरीज़ भी हार चुका है और यह उसकी यहां चौथी सीरीज़ हार होगी। टेस्ट सीरीज़ जीतकर 71 वर्षों बाद इतिहास रचने वाली टीम विराट के लिये मौजूदा सीरीज़ जीतने से उसके मनोबल को भी बल मिलेगा जो फिलहाल अपने दो खिलाड़ियों के विवादों के कारण दबाव में है।


राहुल और पांड्या दोनों ही ऑस्ट्रेलिया दौरे में टीम का हिस्सा थे, लेकिन निलंबन के कारण वे स्वदेश लौट चुके हैं और उनकी जगह बल्लेबाज़ शुभमन गिल और ऑलराउंडर विजय शंकर को टीम में जगह दी गई है जिनकी घरेलू क्रिकेट में फार्म लाजवाब चल रही है और यदि उन्हें अंतिम एकादश में मौका मिलता है तो उनके पास खुद को साबित करने का मौका रहेगा।

गिल ने अभी तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पदार्पण नहीं किया है जबकि शंकर ने भारत के लिए पांच ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच ही खेले हैं। गिल वर्ष 2018 में आईसीसी अंडर-19 विश्वकप के दौरान प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे और मध्यक्रम के उपयोगी बल्लेबाज साबित हुए थे। वे रणजी क्रिकेट में शानदार फार्म में खेल रहे हैं और उनका सत्र में औसत 103 है जबकि लिस्ट ए क्रिकेट के 37 मैचों में उन्होंने 47.72 के औसत से रन बनाए हैं।


इन दो नए विकल्पों के अलावा भारतीय टीम में महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा, कप्तान विराट, शिखर धवन, अंबाती रायुडू, दिनेश कार्तिक और ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा जैसे अच्छे बल्लेबाज़ हैं, हालांकि प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव दिखाई देता है। सिडनी वनडे में रोहित की 133 रन की शतकीय और धोनी की 51 रन की अर्धशतकीय पारी ने टीम को संभाले रखा जबकि छह बल्लेबाज़ तो दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सके थे।

वनडे के विशेषज्ञ धवन शून्य पर आउट हो गए थे जबकि विराट भी तीन रन ही बना पाए थे। हालांकि भारतीय टीम के बल्लेबाज़ों में प्रतिभा की कमी नहीं है और उनकी कोशिश रहेगी कि वे करो या मरो के दूसरे वनडे में वापसी कर लें। एडिलेड में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फरवरी 2012 में आखिरी वन-डे में मेहमान टीम ने चार विकेट से जीत दर्ज की थी जिसमें गौतम गंभीर ने अहम भूमिका निभाई थी।

भारतीय टीम के गेंदबाज़ों का प्रदर्शन पिछले मैच में संतोषजनक था, लेकिन गेंदबाज़ों को और किफायती गेंदबाजी करनी होगी। कप्तान विराट के लिए स्पिनर अंबाती रायुडू के गेंदबाजी एक्शन की शिकायत भी बड़ा सिरदर्द है जिनके खिलाफ सिडनी मैच के बाद संदिग्ध गेंदबाजी का संदेह जताया गया है। हालांकि वे अभी अंतरराष्ट्रीय मैचों में गेंदबाजी कर सकते हैं, लेकिन देखना होगा कि टीम प्रबंधन उन्हें लेकर क्या फैसला लेता है।

तेज़ गेंदबाज़ भुवनेश्वर कुमार और चाइनामैन गेंदबाज़ कुलदीप यादव पिछले मैच में दो दो विकेट लेकर सफल रहे थे जबकि लेफ्ट आर्म स्पिनर जडेजा ने भी किफायती गेंदबाजी की थी। हालांकि खलील अहमद महंगे रहे थे और उम्मीद है कि युजवेंद्र चहल या सिद्धार्थ कौल में किसी को उनकी जगह उतारा जाए।

ऑस्ट्रेलियाई टीम टेस्ट सीरीज़ में शर्मिंदगी झेलने के बाद हर हाल में 2-0 की बढ़त के साथ सीरीज़ पर अपना कब्जा बनाने का प्रयास करेगी। उस्मान ख्वाजा, शॉन मार्श और पीटर हैंड्सकोंब पिछले मैच में अर्द्धशतक बनाकर टीम को जीत तक ले गए थे जबकि निचले क्रम पर मार्क स्टोइनिस की नाबाद 47 रन की पारी भी अहम रही थी।

गेंदबाजों में मध्यम तेज़ गेंदबाज़ जाए रिचर्डसन 4 विकेट लेकर सबसे प्रभावशाली रहे थे जबकि जेसन बेहरेनड्रॉफ, स्टोइनिस और पीटर सिडल की गेंदों ने भारतीय बल्लेबाज़ों को काफी परेशान किया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अब तक कुल 119 वनडे खेले हैं जिसमें ऑस्ट्रेलिया एक मैच से बढ़त पर है और उनकी रिकॉर्ड 75-74 का है। दोनों ने एडिलेड में पांच वन-डे खेले हैं जिसमें भारत केवल एक ही जीत सका है। आगामी विश्वकप से कुछ दूरी पर खड़ी टीमों के लिए इस प्रारूप में अच्छा प्रदर्शन अहम है तो भारत के लिए विदेशी जमीन पर 50 ओवर प्रारूप में खुद को साबित करने की चुनौती भी है।
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