मंगलवार, 24 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. क्रिकेट
  3. समाचार
  4. India Bangladesh Test Match

भारत-बांग्लादेश टेस्ट मैच से पहले जानिए इंदौर के होलकर स्टेडियम की कहानी

भारत-बांग्लादेश टेस्ट मैच से पहले जानिए इंदौर के होलकर स्टेडियम की कहानी - India Bangladesh Test Match
किसी जमाने में इंदौर 'होलकर क्रिकेट' का गढ़ हुआ करता था और इसी गढ़ ने भारत को आजादी के बाद पहला कप्तान कर्नल सी.के. नायडू के रूप में दिया था। इंदौर के ही कैप्टन मुश्ताक अली रहे, जिनकी स्मृति में बीसीसीआई देश में टी20 क्रिकेट टूर्नामेंट कराता है। इंदौर के होलकर स्टेडियम में 14 अक्टूबर 2019 से भारत और बांग्लादेश के बीच पहला टेस्ट मैच शुरू होने जा रहा है। मैच से पहले इस स्टेडियम की कहानी बेहद रोचक और रोमांचक रही है।
 
होलकर स्टेडियम बनने से पहले इंदौर नगर निगम के स्वामित्व वाले नेहरू स्टेडियम में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच हुआ करते थे। नेहरू स्टेडियम ने 7 वनडे मैचों की मेजबानी की जबकि होलकर स्टेडियम में 5 वनडे, 1 टी20 और 1 टेस्ट मैच खेला जा चुका है। 
 
यदि 25 दिसम्बर 1997 में नेहरू स्टेडियम में भारत-श्रीलंका मैच को नरेंद्र मेनन द्वारा बनाए गए खराब पिच की वजह से कुछ गेंद फेंकने के बाद रद्द नहीं किया गया होता तो आज शायद होलकर स्टेडियम का अस्तित्व में नजर नहीं आता। संयोग देखिये, नेहरू स्टेडियम में जिस खराब पिच का ठीकरा मेनन के सिर फूटा था, तब उनके सहायक वही समंदर सिंह चौहान थे, जो बाद होलकर स्टेडियम के चीफ पिच क्यूरेटर बने और आज तक बने हैं। 
90 के दशक में मध्यप्रदेश क्रिकेट के मुखिया माधवराव सिंधिया हुआ थे (ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिताजी) और जब मैच रद्द होने से भारत, मध्यप्रदेश और इंदौर के सीने पर जो काला दाग लगा, उसी से आहत होकर यह फैसला किया गया था कि जितनी जल्दी हो सके, मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का अपना स्टेडियम होना चाहिए। सिंधिया में धन जुटाने के वही गुर थे, जो गुर क्रिकेट को व्यावसायिकता का जामा पहनाने वाले जगमोहन डालमिया में थे।
 
पैसा इकट्ठा हुआ, बीसीसीआई के मुखिया शरद पवार ने मदद दी, रद्द मैच से जो राशि एकत्र हुई थी, वो धनराशि इसके निर्माण में झोंक दी। युद्ध स्तर पर काम हुआ और लंदन में बसीं उषा राजे ने भी शहर के दिल में स्थित अपनी जमीन मुहैया करवाने में उदारता दिखाई। होलकर स्टेडियम के पहले इस मैदान को 'उषा राजे मैदान' के नाम से ही पहचान मिली हुई थी। 
 
बहरहाल, शारजाह की तर्ज पर होलकर स्टेडियम संजय जगदाले और उनकी टीम की मेहनत से बना और यहां पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच 15 अप्रैल 2006 को भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया। यह दुर्भाग्य ही रहा कि खुद माधवराव सिंधिया इस स्टेडियम से पहला मैच नहीं देख सके, क्योंकि 30 सितंबर 2001 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।
माधवराव सिंधिया की मौत के बाद मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की कमान उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संभाल ली और फिर होलकर स्टेडियम में टीम इंडिया और बीसीसीआई का पसंदीदा वनडे सेंटर बन गया। लोढ़ा समिति के कारण ज्योतिरादित्य भले ही पद पर नहीं हैं लेकिन परदे के पीछे एमपीसीए की कमान आज भी उन्हीं के हाथों में है। 
 
होलकर स्टेडियम भारतीय क्रिकेट टीम के लिए हमेशा भाग्यशाली रहा है और यहां पर खेले गए 5 वनडे मैचों के अलावा 1 टी20 और 1 टेस्ट मैच सभी में टीम इंडिया विजयी रही है। भारत के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने अपने वनडे करियर का पहला दोहरा शतक भी होलकर स्टेडियम में ही वेस्टइंडीज के खिलाफ 8 दिसंबर 2011 को लगाया था। 
यही नहीं, इसी होलकर स्टेडियम में भारत ने श्रीलंका के खिलाफ टी20 में सबसे बड़ा स्कोर 5 विकेट पर 260 खड़ा किया था, जिसमें कप्तान रोहित शर्मा ने 43 गेंदों पर 118 रन बनाकर सबसे तेज टी20 शतक की बराबरी की थी। 
 
होलकर स्टेडियम में 5 वनडे मैच और सभी में टीम इंडिया विजयी
 
1. भारत बनाम इंग्लैंड : भारत 7 विकेट से जीता (15 अप्रैल 2006)
2. भारत बनाम इंग्लैंड : भारत 54 रनों से जीता (17 नवंबर 2008)
3. भारत बनाम वेस्टइंडीज : भारत 153 रनों से जीता (8 दिसंबर 2011)
4. भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका : भारत 22 रनों से जीता (14 अक्टूबर 2015)
5. भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया : भारत 5 विकेट से जीता (24 सितंबर 2017)
 
होलकर स्टेडियम एकमात्र टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच में टीम इंडिया विजयी
भारतीय टीम ने 22 दिसंबर 2017 को होलकर स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ एकमात्र टी20 मैच 88 रनों से जीता।
एकमात्र टेस्ट में भी मिली बड़ी सफलता
होलकर स्टेडियम में भारत और न्यूजीलैंड के बीच 8 से 11 अक्टूबर के बीच एकमात्र टेस्ट मैच खेला गया था, जिसे टीम इंडिया ने 321 रनों के बड़े अंतर से जीता था। इस मैच की पहली पारी में कप्तान विराट कोहली ने दोहरा शतक (211) और अजिंक्य रहाणे ने 188 रनों की पारी खेली थी जबकि दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा 101 रन पर नाबाद रहे थे। तब यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी जीत मानी गई थी (टेस्ट सबसे बड़ी जीत 337 रनों से)।