हनुमान चालीसा में 'जो सत बार पाठ कर कोई' का क्या अर्थ है, जानिए अद्भुत जानकारी
Hanuman chalisa ka path kitni baar karna chahie : हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार करें? हनुमान चालीसा में अंत में एक चौपाई आती है कि जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महासुख होई' इसमें कई लोग अनुमान लगाते हैं कि सत बार का अर्थ सात बार है, कुछ लोगों के अनुसार 100 बार और कुछ के अनुसार 1000 बार माना जाता है। आखिरकार सही अर्थ क्या है?
jo sat baar paath kar koi ka arth batao : 'जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महासुख होई' इस चौपाई के दो अर्थ है। एक लौकिक और दूसरा अलौकिक या कहें कि एक का शाब्दिक अर्थ और दूसरे का भावार्थ।
पहला अर्थ : सत का अर्थ है सौ। यानी 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। सौ बार नहीं कर सको तो 11 बार करो। 11 बार न हो तो 9 बार करो। 9 बार नहीं कर सको तो 7 बार करो। 7 बार न कर सको तो 5 बार करो और 5 बार न कर सको तो 3 बार करो और 3 बार भी नहीं कर सकते हो तो 1 बार प्रतिदिन करो। यदि यह भी नहीं कर सकते हो तो सिर्फ 'श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फलचारि। यह भी नहीं कर सकते हैं तो मात्र यह कहें- जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई।
दूसरा अर्थ : सत का अर्थ सत्य होता है और बार का अर्थ आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) से है। जो व्यक्ति सत्य की आवृत्ति होने तक इसका पाठ करता है अर्थात सत्य की प्राप्ति होने तक इसका पाठ करता है, वह भवबन्धन से पार होकर महासुख को प्राप्त करता है। यहाँ सुख नही बल्कि महासुख मिल रहा है।