नौकरी कर रहे कश्मीरी पंडितों का सवाल, क्या कश्मीर में सच में कोई जगह सुरक्षित है?
जम्मू। कश्मीरी विस्थपित टीचर रजनी बाला की कुलगाम में आतंकियों द्वारा की गई हत्या के उपरांत मचे बवाल के बाद प्रशासन ने प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त किए गए सभी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को कश्मीर में सुरक्षित इलाकों में ट्रांसफर करने की बात कही है। बढ़ती हिंसा के बीच कश्मीर में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि कश्मीर में सच में कोई स्थान उनके लिए सुरक्षित बचा हुआ है।
ऐसा सवाल कश्मीरी पंडितों द्वारा ही किया जा रहा है। जिन्होंने प्रधानमंत्री पैकेज की पहली शर्त के तहत कश्मीर में ही सरकारी नौकरी करना स्वीकार किया था पर अब जबकि आतंकी कश्मीर को अप्रवासियों से मुक्त करवाने की मुहिम पुनः छेड़े हुए हैं, वे अपने आपको कहीं भी सुरक्षित नहीं पा रहे हैं।
दिवंगत टीचर रजनी बाला के साथ ही कार्यरत एक अन्य विस्थापित टीचर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आतंकी धमकी के चलते उन्हें नहीं लगता वे किसी सुरक्षित स्थान पर भी उनसे बच कर रह पाएंगें। उसकी आशंका पहले भी कई बार सच साबित हो चुकी है जब आतंकियों ने कश्मीर के भीतर ही अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षित समझी जाने वाली कई बस्तियों पर हमले कर कई सुरक्षाकर्मियों को मार दिया था।
आतंकियों के हाथों मारी जाने वाली रजनी बाला के पति राजकुमार के बकौल, कश्मीर कश्मीरी पंडितों के लिए असुरक्षित हो चला है। उनका कहना था कि उन्होंने कई दिन पहले अपनी पत्नी का तबादला करने का आग्रह कई बार अधिकारियों से किया था क्योंकि आतंकी धमकी के चलते उनकी पत्नी मानसिक तनाव में भी थी। पर अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगीं।
रजनी बाला की हत्या के 12 घंटों के भीतर ही करीब 250 कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी जम्मू वापस लौट आए। उनके द्वारा समस्या का हल करने की खातिर 24 घंटों का नोटिस दिया गया था।
हालांकि सरकार अब उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ट्रांसफर कर देने की बात कर रही है पर कई सुरक्षाधिकारी खुद मानते थे कि आतंकी जहां चाहें वहां वार करने की क्षमता रखते हैं और चाह कर भी उनके हमलों को रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर और अप्रवासी नागरिकों पर।