देश की खुफिया एजेंसियों ने अपने एक आकलन में कहा है कि पाकिस्तान कश्मीर में नए आतंकवादी संगठन की योजना बना रहा है। इस कश्मीर में हिंसा और आतंक को नए तरीके से स्थापित करना चाहता है। सरकार को यह सूचना मिली है कि कश्मीर के स्थानीय आतंकवादियों और विदेशी अलगाववादियों के बीच अविश्वास की खाई बढ़ती जा रही है और दोनों में तालमेल की कमी के चलते आईएसआई और पाक सेना जितनी हिंसा और अराजकता फैलाने पर जोर दे रही है।
इस कारण से कश्मीर में हिंसा और आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान एक बार फिर अपनी पुरानी रणनीति की ओर लौटता नजर आ रहा है। कश्मीर में स्थानीय आतंकवादियों और अलगाववादियों के बीच बढ़ते मतभेदों के बीच खुफिया एजेंसियों को यह शक हो रहा है कि सीमा पार बैठे आतंक के सरगना घाटी में किसी नए आतंकवादी संगठन को सक्रिय करने की योजनाएं जुटे हुए हैं। आतंकवादी चाहते हैं कि हिज्बुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर जाकिर मूसा को इस काम में लगाया जाए।
खुफिया सूत्रों का मानना है कि पिछले कुछ सप्ताह से सामने आ रहे बयान और सोशल मीडिया पर दिख रही तस्वीरें इसी ओर इशारा कर रही हैं। बीते कुछ दिनों में आतंकी बुरहान वानी के उत्तराधिकारी जाकिर मूसा के बयान और कश्मीरी अलगाववादियों एवं यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के चीफ सैयद सलाहुद्दीन की प्रतिक्रिया के साथ ही सोशल मीडिया में घूम रही तस्वीरें, वीडियो-ऑडियो क्लिप्स इस बात का संकेत हैं कि कश्मीर में आतंक फैलाने वालों के बीच गहरे मतभेद उभर आए हैं।
खुफिया सूत्रों ने एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक को बताया कि इन हालात में हो सकता है कि पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर के लिए 1990 के दशक वाली रणनीति अपना रहा हो, जब इकलौते आतंकी संगठन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) की जगह कई नए आतंकी संगठनों ने ले ली था। विदित हो कि 1993-94 तक कई आतंकवादी संगठन अस्तित्व में आ गए थे।
हिज्बुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर जाकिर मूसा ने एक सार्वजनिक बयान दिया है कि उसका मकसद कश्मीर की आजादी नहीं बल्कि सिर्फ इस्लाम धर्म के लिए 'संघर्ष करना है, भारत को रॉ (आरएडब्ल्यू की मदद से) जाकिर मूसा को हिज्बुल आतंकी संगठन से अलग करने के प्रयास किए जाने चाहिए। इसका परिणाम यह हो जाएगा कि हिज्बुल आतंकी संगठन टूट कर बिखर जाए और पाकिस्तान की मंशा धरी की धरी रह जाएगी।
एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में एक नए आतंकी संगठन को प्रोत्साहित किए जाने की आशंका काफी मजबूत नजर आ रही है। मूसा अलगाववादियों, हिज्बुल और यहां तक कि पाकिस्तान के खिलाफ भी बोल रहा है। उसका फोकस कश्मीरी युवाओं पर है। वह कश्मीर की आजादी के लिए इस्लामिक उदय की वकालत कर रहा है।
पिछले तीन-चार मई को सोशल मीडिया पर 9 ऐसे नकाबपोश आतंकवादियों की तस्वीरें पोस्ट की गई थीं जिनके हाथ में आईएस के झंडे से मिलता-जुलता काले रंग का झंडा था। हालांकि इस झंडे पर सर्फ इस्लामिक कलमा लिखा हुआ था और साथ ही उसपर AK-47 का निशान भी बना हुआ था। खुफिया एजेंसियों को लगता है कि ऐसा करने के पीछे स्थानीय आतंकवादियों की मंशा खुद को आईएस ब्रैंड से अलग दिखाने की है।
पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और साथ ही पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर सैयद सलाहुद्दीन ने अपने बयानों में इन तस्वीरों की निंदा की थी। उनका दावा था कि आईएस और उसके झंडे लहराने वालों से उनका कोई ताल्लुक नहीं है। उन्होंने कश्मीरी युवाओं से अपील की थी कि वे इससे प्रभावित न हों।
इसके बाद 8 मई को अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइ़ज उमर फारूक और यासीन मलिक ने भी साथ आकर इस धारणा को खारिज करने का प्रयास किया कि कश्मीर का आंदोलन आईएस की राह पर जा रहा है। एजेंसियों को शक है कि अलगाववादी कश्मीर में अपनी खत्म होती प्रासंगिकता से खासे चिंतित हैं और उन्हें डर है कि अगर आतंकियों से उनके संबंध दुनिया के सामने आ जाते हैं तो अंतरराष्ट्रीय संस्थानों तक उनकी पहुंच पर असर पड़ सकता है और खाली कारतूस की तरह से निरर्थक होते जाएंगे।
इसके बाद बारह मई को मूसा ने एक ऑडियो मेसेज जारी किया जिसमें उसने कहा कि अगर हुर्रियत नेता आतंकी संगठनों के इस्लाम के लिए 'संघर्ष' में हस्तक्षेप करेंगे तो उनके सिर काटकर श्रीनगर के लाल चौक पर टांग दिए जाएंगे। उसने दावा किया कि यह आंदोलन पूरी तरह इस्लामिक है जो शरिया और शहादत पर आधारित है। हिज्बुल ने मूसा के बयान से खुद को अलग करने में देर नहीं की। ऐसे में 15 मई को मूसा ने एक और ऑडियो मैसेज जारी किया जिसमें उसने खुद को हिज्बुल से खुद को अलग करने का ऐलान किया।
उसने अल-कायदा के प्रति सम्मान जताया, पर आईएस का कोई जिक्र नहीं किया। उसने उन लोगों की भी आलोचना की जो 'आजादी की लड़ाई' के लिए पाकिस्तान से मदद चाहते हैं। एक खुफिया सूत्र का कहना है, 'भारत को शक है कि पाकिस्तान की एजेंसियां कश्मीर के संघर्ष को अब 'आजादी के लिए इस्लामिक उदय' की तरह पेश करना चाहती हैं। बुरहान वानी की हत्या के 10 महीने बाद अब पाकिस्तान का भरोसा मूसा पर दिख रहा है।'
पाक में नए आतंकी संगठन : जहां एक ओर भारत कश्मीर से आतंकी चेहरों को खत्म करने में जुटा है वहीं खुफिया एजेंसियों ने पाक की ओर से घाटी में नए आतंकी संगठन को भेजने की संभावना जताई है। इनमें पाक द्वारा आतंक के नए चेहरों का इस्तेमाल किया जा सकता है। विदित हो कि पाकिस्तान ने 90 के दशक में ऐसा ही किया था और एक से कई आतंकी संगठन पैदा हो गए थे।
सोशल मीडिया पर छायी तस्वीरों का संकेत : एक ओर जहां खुफिया सूत्रों का कहना है कि पिछले दो सप्ताह से सामने आ रहे बयान और सोशल मीडिया पर तस्वीरों का भी यही संकेत दे रही हैं। इसमें आतंकी बुरहान वानी के उत्तराधिकारी जाकिर मूसा के बयान और कश्मीरी अलगाववादियों एवं यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के चीफ सैयद सलाहुद्दीन की प्रतिक्रिया व सोशल मीडिया में छाई तस्वीरें शामिल हैं।
1990 में भी पाक ने किया था ऐसा : खुफिया सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इडिया को बताया कि इस बात की संभावना है कि कश्मीर में पाकिस्तान अपनी 1990 के दशक वाली रणनीति को दोहराए जब केवल एक आतंकी संगठन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) की जगह कई नए आतंकी संगठनों ने ले ली थी और 1993-94 तक कई आतंकी संगठन अस्तित्व में आ गए थे।
कश्मीरी युवकों पर होगा फोकस : एक अधिकारी ने कहा, 'पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में एक नए आतंकी संगठन को प्रोत्साहित किए जाने की आशंका काफी मजबूत नजर आ रही है। मूसा अलगाववादियों, हिज्बुल और यहां तक कि पाकिस्तान के खिलाफ भी बोल रहा है। उसका फोकस कश्मीरी युवाओं पर है। वह कश्मीर की आजादी के लिए इस्लामिक उदय की वकालत कर रहा है।'
बुरहान के बाद मूसा होगा नया नेता : एक खुफिया सूत्र ने बताया, 'भारत को शक है कि पाकिस्तान की एजेंसियां कश्मीर के संघर्ष को अब 'आजादी के लिए इस्लामिक उदय' की तरह पेश करना चाहती हैं। बुरहान वानी की हत्या के 10 महीने बाद अब पाकिस्तान का फोकस अब मूसा पर है और पाकिस्तान के आका चाहते हैं कि यह संगठन इस तरह दिखना चाहिए मानो इसे कश्मीर के युवा संचालित कर रहे हैं।