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Last Modified: वॉशिंगटन , बुधवार, 12 अक्टूबर 2016 (14:47 IST)

चीन-भारत संबंध तनाव की स्थिति में, कारगर नहीं है यह व्यवस्था

चीन-भारत संबंध तनाव की स्थिति में, कारगर नहीं है यह व्यवस्था - India China relation
वॉशिंगटन। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन का कहना है कि चीन-भारत संबंध तनाव की स्थिति में हैं और इनके पुनरावलोकन की जरूरत है, क्योंकि बदल चुके हालात में वर्ष 1988 की व्यवस्था कारगर उपाय नहीं है।
 
मेनन ने बताया कि भारत-चीन संबंध तनाव की स्थिति में हैं। आप यह तनाव देख सकते हैं। मसूद अजहर को आतंकवादी का दर्जा देना, एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह), मेरा मतलब है कि मुझे यह सब गिनाने की जरूरत नहीं है इसलिए इस रिश्ते में तनाव तो है। 
 
भारत में इस सप्ताह के अंत में होने जा रहे 2 दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत पहुंचने से पहले मेनन ने कहा कि यह सब संबंधों में तनाव के संकेत हैं, जहां दोनों देशों के बीच पर्याप्त रणनीतिक संवाद नहीं है। बहरहाल, पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को लेकर वे निराशावादी नहीं हैं।
 
उन्होंने अपनी किताब 'च्वॉइसेज : इनसाइड द मैकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी' में लिखा है मैं भारत-चीन संबंधों के भविष्य के बारे में निराशावादी नहीं हूं। इस किताब का विमोचन पिछले सप्ताह ब्रूकिंग इंस्टीट्यूट में हुआ था और यह दुनियाभर के स्टोर्स में अगले सप्ताह नजर आएगी।
 
विदेश नीति के पहलू पर मेनन ने कहा है कि निश्चित रूप से वे निरंतरता बनाए रखने के मोदी सरकार के प्रयासों को देखते हैं। वर्ष 2011 से 2014 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे मेनन ने कहा कि कई चीजें की गईं, उदाहरण के लिए बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौता व अमेरिका के साथ संबंधों में भी प्रयास किए गए हैं तथा लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट तक कई चीजें पहले भी हुईं और निरंतर जारी हैं। (भाषा) 
 
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