अमेरिकी सरकार ने भारतीय छात्रों को किया गुमराह, फर्जी विवि की दी अनुमति, वकील का बड़ा आरोप
वॉशिंगटन। प्रतिष्ठित भारतीय अमेरिकी वकील ने आरोप लगाया है कि आंतरिक सुरक्षा विभाग ने जानबूझकर फर्जी विश्वविद्यालय स्थापित करने की अनुमति दी और दूसरे देशों में हजारों मील दूर बैठे छात्रों को गुमराह किया। उनके पास घबराए छात्रों और उनके परिवार के लगातार फोन आ रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने फर्जी विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले छात्रों की व्यापक गिरफ्तारी और उनके संभावित प्रत्यर्पण के लिए भारतीय छात्रों को जिम्मेदार ठहराया है।
इसके एक दिन बाद मंगलवार को प्रवासी मामलों की वकील अनु पेशावरिया ने कहा कि इस अभियान का सैकड़ों भारतीय छात्रों पर विध्वंसकारी असर पड़ेगा। पेशावरिया ने कहा, हम यह नहीं कह रहे कि हमारे छात्रों की गलती नहीं हैं उन्हें दाखिला लेने से पहले पूरी छानबीन कर लेनी चाहिए थी। अगर वे जानबूझकर अपराध कर रहे हैं तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए लेकिन अगर वे फंसे हैं या उन्हें अपराध करने के लिए बढ़ावा दिया गया तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
अमेरिका के आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन के अनुसार फर्जी यूनिवर्सिटी ऑफ फर्मिंगटन के 600 में से 130 छात्रों को गत सप्ताह हिरासत में लिया गया। इनमें से 129 भारतीय हैं। तब से इनमें से कई को रिहा कर दिया गया है या उनकी गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गई हैं।
इनमें से कई देश छोड़कर जा चुके हैं। पेशावरिया ने कहा कि कुछ छात्रों को चिंता है कि उनकी गिरफ्तारी उनके आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगी और इतने वर्षों की उनकी शिक्षा का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
उन्होंने कहा, आंतरिक सुरक्षा विभाग ने जानबूझकर फर्जी विश्वविद्यालय स्थापित करने की अनुमति दी और दूसरे देशों में सैकड़ों मील दूर बैठे छात्रों को गुमराह किया। उन्होंने छात्रों से की बातचीत के आधार पर कहा कि कई छात्रों पर भारी कर्ज है। वे बर्बाद हो गए हैं।
वकील ने कहा, हम सभी छात्रों को तत्काल रिहा कराने के लिए लड़ रहे हैं। छात्र मुझे फोन कर रहे हैं कि अमेरिकी सरकार उन्हें स्व निर्वासन के लिए मजबूर कर रही है लेकिन वे अपनी डिग्रियां वापस चाहते हैं और इस तकलीफ के लिए मुआवजा चाहते हैं।