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Last Modified: गुरुवार, 1 जून 2017 (23:23 IST)

भारत और रूस के बीच बहुप्रतीक्षित समझौते पर दस्तखत

भारत और रूस के बीच बहुप्रतीक्षित समझौते पर दस्तखत - Agreement between India and Russia
सेंट पीटर्सबर्ग। भारत और रूस ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा  संयंत्र की दो और इकाइयों को लगाने के लिए एक बहुप्रतीक्षित समझौते पर आज दस्तखत किए और दोनों महाशक्तियों के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देने का फैसला किया गया।
 
दोनों देशों ने इस साल ‘इंद्र-2017’ नाम से तीनों सेनाओं का प्रथम अभ्यास आयोजित करने का भी फैसला किया। उन्होंने कामोव-226 सैन्य हेलीकॉप्टरों के सह-उत्पादन से आगे बढ़ते हुए संयुक्त उत्पादन शुरू करने का भी निर्णय लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच आज यहां हुई व्यापक वार्ता में ये निर्णय लिए गए। बातचीत में आतंकवाद पर और व्यापार तथा निवेश बढ़ाने जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
 
वार्ता के बाद पुतिन के साथ संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत और रूस के संबंध परस्पर प्रेम, सम्मान और मजबूत विश्वास पर आधारित और अडिग हैं। उन्होंने कहा, संस्कृति से सुरक्षा तक हमारे संबंध अटूट रहे हैं। हम एक भाषा में बोलते हैं। मोदी ने कहा कि दोनों नेताओं ने सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने का फैसला किया जिसके लिए कार्ययोजना तैयार की गयी है।
 
मोदी ने कहा कि भारत और रूस अपने संबंधों के 70 साल पूरे होने की खुशी मना रहे हैं और इतने दशकों में संबंधों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। पुतिन ने वार्ता को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत-रूस साझेदारी रणनीतिक और विशेष होती जा रही है। उन्होंने वार्ता को सार्थक और रचनात्मक बताया।
 
बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त घोषणा-पत्र में कहा गया, भारत और रूस की विशेष रणनीतिक साझेदारी दोनों महाशक्तियों के बीच परस्पर विश्वास का अद्वितीय बंधन है। इसमें कहा गया कि इन संबंधों के आयाम राजनीतिक संबंध, सुरक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था, सैन्य और तकनीकी क्षेत्र, ऊर्जा, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और मानवीय आदान प्रदान और विदेश नीति समेत सहयोग के सभी क्षेत्रों तक है।
 
घोषणा-पत्र में कहा गया कि संबंध दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों को प्रोत्साहित करने में मददगार हैं और एक और भी अधिक शांतिपूर्ण तथा न्यायोचित वैश्विक व्यवस्था की स्थापना में योगदान देते हैं। शिखरवार्ता के प्रमुख परिणामों में रूस की मदद से कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की इकाइयों 5 और 6 की स्थापना पर करार होना शामिल है। मोदी ने कहा कि इससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।
 
मोदी-पुतिन की वार्ता के बाद जारी विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार, हम कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा  संयंत्र की इकाई 5 और 6 के लिए जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट और क्रेडिट प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिए जाने का स्वागत करते हैं।’’ रिएक्टरों का निर्माण भारतीय परमाणु ऊर्जा  निगम लिमिटेड :एनपीसीआईएल: और रूस के परमाणु संस्थानों की नियामक इकाई रोसाटॉम की सहायक कंपनी एस्टोमस्ट्रॉएएक्सपोर्ट करेंगे। दोनों इकाइयों की उत्पादन क्षमता एक-एक हजार मेगावाट है।
 
‘ए विजन फॉर द ट्वंटी फर्स्ट सेंचुरी’ शीषर्क वाले दस्तावेज में कहा गया है कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं ऊर्जा  के क्षेत्र में एक दूसरे की पूरक हैं और दोनों देश एक ‘ऊर्जा सेतु’ बनाने की दिशा में काम करेंगे। इसमें कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा, परमाणु ईंधन चक्र और परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी समेत व्यापक परिप्रेक्ष्य में भारत-रूस सहयोग का भविष्य उज्ज्वल है।
 
इसके अनुसार,  हम अपने बीच एक ऊर्जा  सेतु के निर्माण के लिए काम करेंगे और ऊर्जा  सहयोग के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करेंगे जिनमें परमाणु, हाइड्रोकार्बन, जलविद्युत और अक्षय ऊर्जा  के स्रोत शामिल हैं। घोषणा-पत्र में कहा गया कि भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा  क्षेत्र में बढ़ती साझेदारी ने भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल की तर्ज पर आधुनिक परमाणु उत्पादन क्षमताओं के विकास के अवसर खोले हैं।
 
इसके अनुसार भारत और रूस यह प्रतिबद्धता रखते हैं कि 24 दिसंबर 2015 को हुए ‘प्रोग्राम ऑफ एक्शन फॉर लोकलाइजेशन इन इंडिया’ को दृढ़तापूर्वक लागू किया जाएगा और परमाणु उद्योगों को आपस में मजबूत साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। आतंकवाद के संदर्भ में मोदी ने कहा कि इस समस्या पर दोनों देशों के विचार समान हैं, चाहे वह किसी भी स्वरूप में हो, चाहे अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया या एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हो।
 
उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद पर तथा सुरक्षा को नयी चुनौतियों पर भारत और रूस एकसाथ खड़े हैं।’ व्यापार के संदर्भ में मोदी ने कहा कि दोनों देश 2025 तक 30 अरब डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब हैं। फिलहाल दोनों देशों के बीच 7.8 अरब डॉलर का व्यापार होता है जो 2014 में 10 अरब डॉलर के स्तर पर था और अब कम हो गया है। पुतिन ने कहा कि भारत में रूसी निवेश चार अरब डॉलर का है वहीं रूस में भारतीय निवेश आठ अरब डॉलर का है। (भाषा) 
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