कान फिल्म फेस्टिवल : हैप्पी एंड ने जगाई उम्मीदें
कान फिल्म फेस्टिवल से प्रज्ञा मिश्रा
कान फिल्म फेस्टिवल में एक उम्मीद होती है, वह फिल्में, वह सिनेमा देखने को मिलेगा जो आम तौर पर मुमकिन भी नहीं है, वजह साफ़ है, फिल्में फेस्टिवल में तो आ जाती हैं लेकिन रिलीज नहीं होती हैं, होती भी हैं तो बाज़ार में उतना हंगामा नहीं होता इन फिल्मों का और सबसे ख़ास बात है भाषा की।
यह बहुत दूर की कौड़ी है कि किसी भी भाषा की फिल्म हो और देश में रिलीज हो। क्योंकि फिल्म बनाने तक ही कला सीमित है, उसके बाद तो बाज़ार का ही सिक्का चलता है। किस फिल्म को किस तरह के सिनेमा घर में कितने शो के साथ रिलीज करना है।यह बाज़ार तय न करे तो छोटे बजट की फिल्मों की कमाई का कोई जरिया ही न हो।
इस बार के कान फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड के दावेदार फिल्मों में बड़े बड़े डायरेक्टर्स की फिल्में मौजूद हैं, और जैसा फेस्टिवल डायरेक्टर थिएरी फ्रेमाऊ ने पिछले साल कहा था 'लोग ओलंपिक्स में उसैन बोल्ट को दौड़ता हुआ देखने जाते हैं न कि अपने पड़ोसी को जो शौकिया जॉगिंग करता है'
इस साल भी उन फिल्मकारों की फिल्में हैं जो कान फेस्टिवल में पहले न सिर्फ अपनी फिल्म दिखा चुके हैं बल्कि अवॉर्ड भी जीत चुके हैं, डंका बजा चुके हैं। माइकल हानाके एक ऐसे ही फिल्मकार हैं जिनकी फिल्म 'हैप्पी एंड' इस साल अवॉर्ड की दावेदार है ....
इस से पहले 2012 में अपनी फिल्म 'अमॉर' के साथ कान फेस्टिवल में आए थे। फिल्म ने पाम डी'ओर अवॉर्ड जीता था।
हैप्पी एंड फ्रांस के पश्चिम शहर कैलै में एक अमीर खानदान की कहानी है, इस बात का और इस जगह का ख़ास महत्त्व इसलिए है कि इस शहर में बहुत बड़ा रिफ्यूजी कैंप है और अब यह शहर इस यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस की बॉर्डर होने से ज्यादा इस रिफ्यूजी कैंप (जिसे जंगल के नाम से जाना जाता है) की वजह से मशहूर है।
लॉरंट खानदान में सबसे बुजुर्ग जॉर्ज हैं जिनकी जीने की इच्छा ख़तम हो चुकी है और वो कोई भी जुगाड़ कर इस ज़िन्दगी को ख़तम करना चाहते हैं, फिर है जॉर्ज की बेटी एन, जो खानदान के बिज़नेस को संभालती है। एन का बेटा इस दिखावे की ज़िन्दगी से तंग आ चुका है और सारे बंधन तोड़ देना चाहता है। जॉर्ज का बेटा थॉमस जिसकी पहली शादी से हुई बेटी भी उनके साथ रहने आ गई है क्योंकि अब उसकी मां नहीं है। इस खानदान में सब अपने में इस कदर बिजी हैं कि कोई परिवार में क्या हो रहा है यह भी नहीं जानता, तो उनके आस पास क्या चल रहा है यह जानना तो नामुमकिन ही है।
इस फिल्म से बहुत उम्मीदें हैं लेकिन क्या जूरी को यह फिल्म पसंद आएगी ?? यह जानने के लिए 28 मई तक इंतज़ार करना होगा।