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Mangala gauri vrat 2023: जानें कौन हैं मंगला गौरी, क्यों रखते हैं सावन के मंगलवार को उनका व्रत

Mangala gauri vrat 2023: जानें कौन हैं मंगला गौरी, क्यों रखते हैं सावन के मंगलवार को उनका व्रत - Story Of Goddess Mangala Gauri
Mangala Gauri: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मंगला गौरी व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है। अखंड सुहाग और संतान की रक्षा तथा संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए भी यह व्रत बहुत महत्व रखता है। यह व्रत करने से दांपत्य जीवन की समस्या दूर होकर घर में चल रहे कलह तथा समस्त कष्टों से मुक्ति देता हैं।

हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार इन दिनों श्रावण मास चल रहा है और सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है, जो कि पार्वती जी का ही नाम है। इस बार श्रावण मास में कुल नौ मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं। 22 अगस्त को सावन माह का 8वां मंगला गौरी व्रत मनाया गया, वहीं 29 अगस्त को 9वां मंगला गौरी व्रत मनाया जाएगा। जहां सोमवार भगवान शिव का दिन है वहीं मंगलवार मां पार्वती का दिन माना जाता है। अत: श्रावण के मंगलवार को शिव जी माता गौरी, हनुमान जी, मंगल देव और कार्तिकेय का पूजन करने का विशेष महत्व है। 
 
मंगला गौरी और मंगलवार का संबंध : देवी मंगला आदिशक्ति गौरी का ही मंगल स्वरूप है यानी इस स्वरूप में गौरी माता अपने भक्तों का मंगल ही मंगल करती हैं। माता गौरी का यह मंगलकारी स्वरूप सिंदूरी आभा लिए हुए तथा इसका संबंध मंगल ग्रह और महिलाओं के अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति तथा संतान की रक्षा से है। देवी मंगला गौरी सुहाग और गृहस्‍थ सुख की देवी मानी जाती हैं। यह माता का 8वां स्वरूप है।

इन्हें अष्टमी की देवी भी कहा जाता है। दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है। यह माता वृषभ पर सवार हैं। इनके चार हाथ हैं। इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभयमुद्रा में और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू है और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। इनके वस्त्र भी सफेद रंग के हैं और सभी आभूषण भी श्वेत हैं जिस कारण इन्हें श्वेतांबरी भी कहा जाता है। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से संपूर्ण विश्व में विख्यात हुईं। 
 
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को पतिरूप में पाने के लिए इन्होंने हजारों सालों तक कठिन तपस्या की थी, जिस कारण इनका रंग काला पड़ गया था परंतु बाद में भगवान शिव ने गंगा के जल से इनके वर्ण को फिर से गौर कर दिया और इनका नाम महागौरी विख्‍यात हुआ। अत: श्रावण मास का मंगला गौरी व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से फलदायी है। 

शास्त्रों के अनुसार यह व्रत नियमानुसार करने से वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी तथा पुत्र-पौत्रादि आदि भी जीवन सुखपूर्वक व्यतीत करते हैं, ऐसा मंगला गौरी माता वरादन मिलता है। अत: इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है। इस कारण ही सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति तथा बच्चों का भाग्य संवारने तथा वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के उद्देश्य से रखती है।
 
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