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Last Modified: बुधवार, 30 दिसंबर 2020 (15:52 IST)

Flashback 2020 : राजस्थान में कोराना, सियासी संकट, चुनाव तथा अन्य घटनाओं से भरा रहा साल 2020

Flashback 2020 : राजस्थान में कोराना, सियासी संकट, चुनाव तथा अन्य घटनाओं से भरा रहा साल 2020 - The year 2020 in Rajasthan was filled with these events
जयपुर। राजस्थान में वर्ष 2020 वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus) के कारण लोगों के लिए बहुत ज्यादा दुखदायी रहा और इससे 2 विधायक सहित लगभग 2700 लोगों की मौत हो गई, वहीं यह साल कोरोना के बीच सियासी संकट, चुनाव, सरकार और राजभवन के बीच टकराव एवं गुर्जर एवं किसान आंदोलन तथा अन्य कई घटनाओं से भरा रहा।

राजस्थान में कोरोना ने वर्ष 2020 में दो मार्च को दस्तक दी थी और पिछले दस महीनों में इससे काफी दिनों तक जहां जनजीवन अस्तव्यस्त रहा वहीं इससे इस दौरान प्रदेश के भीलवाड़ा के सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी और राजसमंद से भारतीय जनता पार्टी की विधायक किरण माहेश्वरी की मृत्यु हो गई।

कोरोना से प्रदेश में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत एवं कैलाश चौधरी, राज्य के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह सहित अन्य कई मंत्री, कई विधायक एवं सांसद सहित पचास से अधिक नेताओं को कोरोना की पीड़ा झेलनी पड़ी।

इससे प्रदेश में पिछले दस महीनों में तीन लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो गए और इनमें से करीब 2700 लोग कोरोना के शिकार हो गए। हालांकि राजस्थान को वर्ष 2020 में दुनिया में कोरोना से निपटने में मिसाल कायम करने वाला राज्य के रूप में भी याद किया जाएगा।

प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने कोरोना के लिए सतर्क रहकर इससे निपटने में भीलवाड़ा में शुरु में की गई व्यवस्थाओं के कारण भीलवाड़ा मॉडल न केवल देश बल्कि दुनिया में मिसाल बन गया। इसकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी प्रशंसा की। राज्य सरकार ने कोरोना काल में अन्य प्रदेशों में फंसे 14 लाख से अधिक लोगों को राजस्थान लाने की व्यवस्था की, वहीं प्रदेश में अन्य राज्यों के करीब छह लाख लोगों को अपने घर भेजकर भी काफी वाहवाही लूटी।

राजस्थान को कोरोना से निपटने के लिए सबसे पहले 22 मार्च को ही लॉकडाउन लागू करके देश का पहला राज्य के रूप में भी याद किया जाएगा, जबकि देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लगा था। इस वर्ष को राज्य में सबसे अधिक कई दिनों तक लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर, सैकड़ों स्थानों पर कर्फ्यू लागू रहने एवं एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मंजूरी लेने जैसे कड़े अनुभव के रूप में भी याद किया जाएगा।

यह वर्ष शिक्षा में कई परिवर्तन के रूप में भी याद किया जाएगा, जिसमें दस अप्रैल को गैर बोर्ड के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा ही अगली कक्षा में क्रमोन्नत कर दिया गया, वहीं कोरोना के कारण स्कूल और कॉलेज तथा कोचिंग केन्द्र बंद रहे और इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था का नया दौर चल पड़ा। इसके अलावा यह वर्ष पहली बार महामारी के कारण कई दिनों तक धार्मिक स्थल, रेलें, बसें आदि आवागमन के साधन बंद रहने के रूप में भी याद किया जाएगा।

राज्य में वर्ष 2020 सियासी संकट के चलते काफी उठापटक भरा रहने के रूप में भी याद किया जाएगा। सियासी संकट के चलते कांग्रेस की गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे वहीं राजस्थान अन्य राज्यों में सियासी संकट के समय भी वहां के विधायकों की यहां बाड़ेबंदी होने से सबसे सुरक्षित जगह के रूप में भी याद किया जाएगा।

इस दौरान उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली के मानेसर पहुंच जाने की खबरें आईं और सियासी संकट तेज हो गया। इसके चलते गहलोत गुट के माने जाने वाले विधायकों की भी बाड़ेबंदी की गई। सियासी संकट के शुरु होने के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से एवं पयर्टन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह एवं खाद्य मंत्री रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया।

पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया। एक महीने से भी अधिक चले सियासी संकट के कारण सरकार को जैसलमेर के एक होटल में कुछ दिन रहना पड़ा। इनमें गहलोत एवं उनके मंत्री तथा विधायक शामिल थे। राज्य में गुजरात एवं मध्यप्रदेश में भी सियासी संकट सामने आने पर कांग्रेस विधायकों की जयपुर में बाड़ेबंदी की गई।(वार्ता) 
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