Putrada Ekadashi 2023 : सावन पुत्रदा एकादशी इस बार 27 अगस्त 2023, रविवार को मनाई जा रही है। पूरे विधि-विधान से यह व्रत करने वाले की समस्त मनोकामनाएं भगवान श्रीहरि विष्णु शीघ्र ही पूर्ण करते हैं। और सभी सुखों को प्राप्त करके मनुष्य को वैकुंठ प्राप्त होता है। इस एकादशी के पुण्यफल से लक्ष्मीवान, विद्वान और तपस्वी पुत्र की प्राप्ति होती है। एकादशी पूजन के दिन इस बात का ध्यान रखें की एकादशी तिथि पर तुलसी नहीं तोड़ी जाती है। अत: एक दिन पूर्व ही इसे तोड़कर पूजन स्थान में रख दें।
यहां जानते हैं सामग्री, पूजन मुहूर्त और विधि-
एकादशी पूजन साम्रग्री सूची-Sawan Putrada Ekadashi Pujan Samgri List
भगवान श्रीहरि विष्णु का चित्र या प्रतिमा,
तुलसी के पत्ते,
पीले पुष्प,
वस्त्र,
केला,
मौसमी फल,
कलश,
आम के पत्ते,
पंचमेवा,
कुमकुम,
मौली,
हल्दी,
धूप,
दीप,
तिल,
पानीयुक्त नारियल,
पान,
सुपारी,
लौंग,
चंदन,
अक्षत,
घी,
कपूर,
पंचामृत,
मिठाई आदि।
27 अगस्त, रविवार के शुभ मुहूर्त- Putrada Ekadashi 2023 Muhurat
श्रावण पुत्रदा एकादशी का प्रारंभ- 27 अगस्त 2023 को 12.08 ए एम से,
एकादशी का समापन- 27 अगस्त 2023 को 09.32 पी एम पर।
एकादशी पारण का समय- 28 अगस्त को 05.57 ए एम से 08.31 ए एम,
पारण पर द्वादशी तिथि का समापन- 06.22 पी एम पर।
दिन का चौघड़िया
चर- 07.33 ए एम से 09.09 ए एम
लाभ- 09.09 ए एम से 10.46 ए एम
अमृत- 10.46 ए एम से 12.22 पी एम
शुभ- 01.59 पी एम से 03.36 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
शुभ- 06.49 पी एम से 08.12 पी एम
अमृत- 08.12 पी एम से 09.36 पी एम
चर- 09.36 पी एम से 10.59 पी एम
लाभ- 01.46 ए एम से 28 अगस्त को 03.10 ए एम,
शुभ- 04.33 ए एम से 28 अगस्त को 05.57 ए एम तक।
अन्य मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04.27 ए एम से 05.12 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04.50 ए एम से 05.56 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.57 ए एम से 12.48 पी एम
विजय मुहूर्त- 02.31 पी एम से 03.23 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06.49 पी एम से 07.11 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06.49 पी एम से 07.55 पी एम
अमृत काल- 28 अगस्त को 12.51 ए एम से 02.19 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 28 अगस्त को 12.00 ए एम से 12.45 ए एम तक।
त्रिपुष्कर योग- 28 अगस्त को 05.15 ए एम से 05.57 ए एम तक।
पूजन विधि : Sawan Putrada Ekadashi 2023 Puja Vidhi
• दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण न करें।
• पुत्रदा एकादशी व्रत करने वाले दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रत के नियमों का पालन करें।
• रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोएं।
• इस दिन पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें।
• सूर्योदय से पहले जागकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
• फिर श्रीहरि विष्णु का ध्यान करें।
• पूजन के समय श्री विष्णु की फोटो के सामने दीया जलाएं और व्रत का संकल्प लेकर कलश स्थापना करें।
• कलश को लाल वस्त्र से बांध कर उसकी पूजा करें।
• भगवान श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा रखकर उसे स्नानादि से शुद्ध करके नया वस्त्र पहनाएं।
• धूप-दीप आदि से विधिवत भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना, आरती करें
• श्रीहरि को अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि अर्पित करें।
• नैवेद्य और फलों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें।
• पूरे दिन निराहार रहकर संध्या समय में कथा आदि सुनने के पश्चात फलाहार करें।
• एकादशी की रात में भगवान का भजन-कीर्तन करते हुए समय बिताएं।
• दूसरे दिन यानी पारण तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं, दान-दक्षिणा दें, तपश्चात स्वयं भोजन करें।
• इस दिन दीपदान करने का बहुत महत्व होने के कारण दीपदान अवश्य करें।
• भगवान श्रीहरि विष्णु जी के मंत्रों का 108 बार जाप करें।
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