ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम तो लगातार ही आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम करती रहती है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में पुरुष टीम अंतराल से यह ट्रॉफी अपने नाम करते रहे हैं। साल 2022 में जब गत विजेता ऑस्ट्रेलिया अपने घर में ही टी-20 विश्वकप के सेमीफाइनल तक नहीं पहुंच पाई थी। ऐसे में लगा कि शायद इस टीम के लिए 2023 बहुत मुश्किल होगा। पैट कमिंस के कप्तान बनाए जाने वाले निर्णय पर भी सवालिया निशान थे। लेकिन जब तक यह साल खत्म हुआ ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर विश्व क्रिकेट की सिरमौर बनी बैठी है।
				  																	
									  ऑस्ट्रेलिया- इस टीम के लिए यह साल बेहतरीन रहा। टीम ने जून में इंग्लैंड के ओवर में भारत को 206 रनों से विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। मैदान की परिस्थितियों को पूरी तरह अपने मुताबिक उपयोग किया गया और ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को सांस नहीं लेने दी। वहीं ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने पहली ही पारी में मैच समाप्त कर दिया था।
				  टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम 469 रन बनाए जिसके जवाब में भारत की टीम 296 रन बना सकी। पहली पारी में 173 रनों की बढ़त लेकर उतरी ऑ्स्ट्रेलिया ने दूसरी पारी 260 रनों पर घोषित कर दी। 444 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम महज 234 रन ही बना सकी।				  
 
				  
लेकिन असल कमाल पैट कमिंस की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलिया ने भारत में किया। जब पहले 2 मैच हारकर टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर खड़ी ऑस्ट्रेलिया ने विश्वकप में उस मेजबान को हराया जिससे वह पहला मैच हारी थी।				  						
						
																							
									  लड़खड़ाते हुए पूरे टूर्नामेंट में जीतने के बाद फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने कोई गलती नहीं की। पिच को कप्तान पैट कमिंस ने रोहित शर्मा से बेहतर पढ़ा और धीमी पिच पर गेंदबाजी की। 1.5 लाख दर्शकों को चुप कराने का उद्देश्य लेकर मैदान में उतरे पैट कमिंस शुरु के 10 ओवरों में नहीं घबराए और कप्तान रोहित शर्मा को अपनी चाल से आउट कर मैच पलट दिया।				  
 
				  
मिशेल स्टार्क की अगुआई में गेंदबाजों के उम्दा प्रदर्शन के बाद ट्रेविस हेड के शतक से ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को यहां आईसीसी क्रिकेट विश्व कप फाइनल में भारत को छह विकेट से हराकर लगातार नौवीं जीत के साथ अभूतपूर्व छठा एकदिवसीय विश्व कप जीता और साथ ही करोड़ों भारतीयों का दिल और मेजबान टीम का विश्व चैंपियन बनने का सपना तोड़ दिया।ऑस्ट्रेलिया ने यह जीत 1 लाख 20 हजार क्रिकेट फैंस के शोर में भारत जैसी टीम को हारकर प्राप्त की है। यह इस जीत को अपने आप में और खास बनाता है।				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  अफगानिस्तान- अफगानिस्तान क्रिकेट टीम एशिया की उभरती हुई टीम साबित हुई। सिर्फ विश्वकप ही नहीं विश्वकप से पहले भी इस टीम ने बांग्लादेश को वनडे सीरीज हराई थी। लेकिन विश्वकप के पहले मैच में ही यह टीम बांग्लादेश से हार गई, जिसका टीम को मलाल रहेगा।				  
 
				  
अफगानिस्तान ने जब इंग्लैंड को हराया तो उसे मौजूदा विश्व कप का सबसे बड़ा उलटफेर करार दिया गया। कारण साफ था क्योंकि अफगानिस्तान इससे पहले पिछले दो विश्व कप में केवल एक जीत दर्ज कर पाया था और वह भी उसे 2015 में स्कॉटलैंड के खिलाफ मिली थी।इंग्लैंड के बाद उसने दो अन्य पूर्व चैंपियन पाकिस्तान और श्रीलंका को पटखनी दी और साबित किया कि गत चैंपियन के खिलाफ उसकी जीत महज संयोग नहीं थी।
				  																	
									  उसने पांच बार के चैंपियन आस्ट्रेलिया को भी हार के कगार पर पहुंचा दिया था जबकि दक्षिण अफ्रीका को उस पर जीत के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा था।हालांकि टीम एशिया कप सुपर 4 में अपने टीम मैनेजमेंट की बेवकूफी के कारण नहीं पहुंच पाई थी। प्रबंधन खिलाड़ियों को सुपर 4 के समीकरण मैच के दौरान नहीं समझा पाया था। नहीं तो राशिद खान श्रीलंका को हराकर टीम को सुपर 4 में ले जाते।				  																	
									  
बांग्लादेश- बड़ी बड़ी टीमों को हराकर दम भरने वाली बांग्लादेश एक स्तर पर आकर रुक गई है। टीम में कप्तानी विवाद हुआ। तमीम इकबाल का एशिया कप से पहले इस्तीफा और शाकिब अल हसन से उनके मतभेद खुल कर सामने आए।				  
 
				  
एशिया कप में बांग्लादेश एकमात्र ऐसी टीम रही जिसने विजेता भारत को 6 रनों से मात दी। हालांकि फाइनल से पहले खेले उस मैच में भारत ने प्रमुख खिलाड़ियों को आराम दिया था। इसके बाद टीम विश्वकप पर शाकिब अल हसन की कप्तानी में विश्वकप खेलने भारत गई।
				  																	
									  कप्तान का फॉर्म खराब रहा उल्टा एंजेलो मैथ्यूज को टाइम आउट करने के कारण उनकी विश्व क्रिकेट में बदनामी अलग हुई। विश्वकप में उलटफेर करने के लिए मशहूर बांग्लादेश कोलकाता में नीदरलैंड्स के खिलाफ खुद उलटफेर का शिकार हुई। साल के अंत में न्यूजीलैंड पर मिली टेस्ट और टी-20 जीत एक मात्र सांत्वना पुरुस्कार रही।				  																	
									  
इंग्लैंड - इंग्लैंड के अति आक्रमक रवैया जिसे बैजबॉल के नाम से भी जाना जाता है, का गुब्बारा इस साल फट गया। टीम अपने ही घर पर ऑस्ट्रेलिया से बमुश्किल एशेज टेस्ट सीरीज बराबर कर पाई।
				  																	
									  वनडे विश्वकप में गत विजेता इंग्लैंड का यह अब तक का सबसे खराब सफर रहा। जहां उसे सिर्फ बांग्लादेश और अंत में पाकिस्तान से जीत मिली। टीम को अफगानिस्तान और श्रीलंका से भी करारी हार का सामना करना पड़ा।				  
 
				  
इंग्लैंड के लिए यह सिलसिला वनडे विश्वकप के बाद भी नहीं थमा। टीम को वेस्टइंडीज के खिलाफ 2-1 से वनडे सीरीज हार का सामना करना पड़ा, जो पहली बार वनडे विश्वकप में क्वालिफाय भी नहीं हो पाई थी।				  																	
									  
न्यूजीलैंड- न्यूजीलैंड की टीम इस बार वनडे विश्वकप के सेमीफाइनल में जैसे तैसे आने में सफल हुई। यह लगातार चौथा मौका था जब यह टीम लगातार अंतिम 4 में शुमार हुई।
				  																	
									  भारत को नॉक आउट में हराने वाली टीम सेमीफाइनल में हारकर बाहर हुई। केन विलियमसन इस टूर्नामेंट के ज्यादातर हिस्से में चोटिल रहे। टीम ने पहले 4 मैच जीतने के बाद अंतिम 4 मैच हारे पर आखिरी मैच में श्रीलंका को हराकर चौथा स्थान पाया।				  
 
				  
केन विलियमसन की जगह टीम को टिम साउदी के रुप में एक नया टेस्ट कप्तान मिला। राचिन रविंद्र जैसे खिलाड़ियों ने विश्वकप में 500 से ज्यादा रन बनाकर टीम का भविष्य उज्जवल है यह दिखाया। हालांकि पहली विश्व टेस्ट चैंपियन बनी टीम को साल के अंत में बांग्लादेश जैसी टीम से हार का झटका भी मिला। इसके बाद न्यूजीलैंड को टी-20 से भी बांग्लादेश से हार मिली जो उनकी सरजमीं पर बांग्ला से पहली हार थी।				  																	
									  
पाकिस्तान- वनडे विश्वकप से पहले पाकिस्तान छोटी छोटी टीमों के खिलाफ जीत हासिल कर पाकिस्तान यह तस्वीर बना रहा था कि वह एशिया कप और विश्वकप में एक बहुत बेहतर टीम बनकर उतरेगा।
				  																	
									  लेकिन जैसे ही भारत को उससे (आमने सामने )वनडे इतिहास की सबसे बड़ी हार नसीब हुई पाकिस्तान की पूरी टीम पटरी से ही उतर गई। एशिया कप के सुपर 4 में पाकिस्तान रन रेट के लिहाज से सबसे आखिरी टीम रही।
				  																	
									  वनडे विश्वकप के पहले ही मैच में नीदरलैंड की टीम ने पाक की बल्लेबाजी की कलई खोल दी। पाक तेज गेंदबाजों के बदौलत टीम उलटफेर टाल सकी। श्रीलंका ने भी पाक को मुश्किल में डाला पर वनडे इतिहास की सबसे बड़ी चेस पाक ने कर डाली। इसके बाद पाक को लगातार हार मिली। खासकर अफगानिस्तान टीम से मिली हार के बाद पाक की अंतिम ग्यारह पर सवाल खड़े हुए।				  
 
				  
टीम ने इसके बाद फकर जमान को शामिल किया जिन्होंने बांग्लादेश और फिर न्यूजीलैंड के खिलाफ अभूतपूर्व तरीके से जीत दिलाई। इंग्लैंड से हारकर पाकिस्तान विश्वकप से बाहर हुई।
				  																	
									  स्वदेश जाकर बाबर आजम ने सभी प्रारुपों से इस्तीफा दिया और टीम के टेस्ट कप्तान शान मसूद और टी-20 कप्तान शाहीन अफरीदी बने।टेस्ट कप्तान शान मसूद का पहले ही ऑस्ट्रेलिया दौरे की अग्नि परीक्षा मिल गई। पाकिस्तान को पहले ही टेस्ट में 360 रनों की करारी हार झेलनी पड़ी और उसके बाद प्रदर्शन में सुधार जरुर किया लेकिन दूसरे टेस्ट में थोड़ी बहुत टक्कर देने के बाद 79 रनों से हार मिली।				  																	
									  
दक्षिण अफ्रीका- दक्षिण अफ्रीका की टीम ने शुरुआत से ही विश्वकप जीतने का माद्दा दिखाया। हर टीम को दक्षिण अफ्रीका रौंद रही थी। लेकिन एक दिन अचानक नीदरलैंड्स की टीम से उसे उलटफेर का सामना करना पड़ा। इसके बाद टीम सिर्फ भारत से हारी।
				  																	
									  सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी चुनी लेकिन ऑस्ट्रेलिया की घातक गेंदबाजी के कारण वह बहुत कम रनों पर सिमटी। कंगारूओं को  दक्षिण अफ्रीका ने रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन टीम चोकर्स का दाग नहीं मिटा पाई।				  
 
				  
बार बार बुरे फॉर्म से जूझते हुए टेम्बा बावुमा को दक्षिण अफ्रीका का कप्तान क्यों बनाए रखा है यह समझ से परे है। एडम मार्कर्म की तूफानी पारियों और गेराल्ड कोएट्ज की शानदार गेंदबाजी से यह उम्मीद है कि दक्षिण अफ्रीका का भविष्य उज्जवल है।
				  																	
									  भारत के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका ने टी-20 सीरीज 1-1 से बराबर की लेकिन वनडे सीरीज में 1-2 से हार मिली। हालांकि बॉक्सिंग डे टेस्ट की पारी की जीत से टीम को नई स्फूर्ति मिली।				  																	
									  
श्रीलंका- श्रीलंका को इस साल कुछ खास हासिल नहीं हुआ। टीम अपने घरेलू दर्शकों के बीच एशिया कप में 50 रनों पर सिमट गई और 10 विकेटों से भारत से हार गई।
				  																	
									  विश्वकप शुरु होने से 48 घंटे पहले टीम की घोषणा हुई क्योंकि टीम चोटों से जूझ रही थी। सिर्फ शुरुआत में ही नहीं बीच में भी टीम चोटों से गुजरी और लगातार खिलाड़ियों को बदलना पड़ा। यहां तक कि ऑलराउंडर कप्तान दासुन शनका भी बाहर हो गए और कुसल मेंडिस को कप्तानी करनी पड़ी।				  
 
				  
इससे पहले न्यूजीलैंड दौरे पर श्रीलंका के पास टेस्ट सीरीज जीतकर विश्वटेस्ट चैंपियन बनने का मौका था लेकिन यह सीरीज हारकर भारत को फाइनल का स्थान मिल गया।				  																	
									  
वेस्टइंडीज:-48 सालों के इतिहास में पहली बार वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए यह साल सबसे काला दिन सामने लाया। वनडे विश्वकप क्वालिफायर में स्कॉटलैंड ने वेस्टइंडीज को 7 विकेटों से हराकर अक्टूबर नवंबर में भारतीय जमीन पर खेले गए वनडे विश्वकप  से बाहर कर दिया।
				  																	
									  वनडे विश्वकप क्वालिफायर में सुपर सिक्स के शुरुआत में वेस्टइंडीज 0 अंक लेकर पहुंचा था क्योंकि उसे ग्रुप चरण में मेजबान जिम्बाब्वे से 35 रन और नीदरलैंड से सुपर ओवर में हार मिली थी। टीम स्कॉटलैंड के बाद श्रीलंका से भी हारी जिसने यह क्वालिफायर कप जीता।				  
 
				  
वेस्टइंडीज ने भारत को अगस्त में एक वनडे हराया और फिर टी-20 सीरीज में 6 सालों बाद 3-2 से मात दी। इसके बाद टीम को खुशखबरी तब मिली जब इंग्लैंड को वेस्टइंडीज ने 2-1 से साल के अंत मे वनडे सीरीज हराई। यही नहीं टी-20 सीरीज में भी इंग्लैंड को 3-2 से हराने के बाद वेस्टइंडीज ने यह कड़वा साल सुखद मोड़ पर अंत किया।
उम्मीद है कि 2 बार वनडे की चैंपियन अगले साल घरेलू मैदान पर होने वाले टी-20 विश्वकप में बेहतर खेल दिखाए।