नई दिल्ली: पीवी सिंधू सहित स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक हासिल करने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ेंगे लेकिन युगल खिलाड़ी भी सुर्खियों में रहेंगे क्योंकि भारत का लक्ष्य मिश्रित टीम खिताब बरकरार रखकर इन खेलों में अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाये रखना होगा।
भारत की तरफ से राष्ट्रमंडल खेलों की बैडमिंटन प्रतियोगिता में पहला पदक 1966 में दिनेश खन्ना ने कांस्य पदक के रूप में जीता था। तब से लेकर अब तक भारत कुल 25 पदक जीत चुका है जिसमें सात स्वर्ण पदक भी शामिल हैं।
गोल्ड कोस्ट में खेले गए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था तथा दो स्वर्ण पदक सहित कुल छह पदक जीते थे।
व्यक्तिगत स्पर्धाओं में सोने का तमगा जीतना फिर से भारतीय खिलाड़ियों का लक्ष्य होगा। इनमें केवल सिंधू ही नहीं बल्कि विश्व चैंपियनशिप के रजत और कांस्य पदक विजेता क्रमश: किदांबी श्रीकांत और लक्ष्य सेन भी शामिल हैं।
चिराग शेट्टी और सात्विकसाइराज रंकीरेड्डी ने 2018 में रजत पदक जीता था और इस बार वह अपने पदक का रंग बदलना चाहेंगे।
व्यक्तिगत प्रदर्शन के अलावा इस बार ध्यान मिश्रित टीम स्पर्धा में भारत के प्रदर्शन पर भी रहेगा। गोल्ड कोस्ट में युवा भारतीय टीम ने मलेशिया की मजबूत टीम को हराकर पहली बार स्वर्ण पदक जीता था।
भारत कुल मिलाकर पदक तालिका में तीसरे स्थान पर है। इंग्लैंड आठ बार का विजेता और मलेशिया पांच बार का चैंपियन है। उन्होंने बैडमिंटन में क्रमश: 109 और 64 पदक जीते हैं।
भारत को मिश्रित टीम स्पर्धा में ग्रुप एक में ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी कमजोर टीमों के साथ रखा गया है। ऐसे में उसके लिए नॉकआउट में जगह बनाना महज औपचारिकता होगी लेकिन उसकी असली परीक्षा क्वार्टर फाइनल से शुरू होगी।
मिश्रित टीम स्पर्धा में दो एकल और तीन युगल मैच होंगे। ऐसे में सिंधू सेन और श्रीकांत भारत को दो महत्वपूर्ण अंक दिला सकते हैं लेकिन असली दारोमदार युगल खिलाड़ियों पर होगा। विशेषकर विश्व में आठवें नंबर की जोड़ी चिराग और सात्विक को अच्छा प्रदर्शन करना होगा। महिला युगल में हालांकि भारत की तरफ से नई जोड़ियां उतरेंगी।
गायत्री गोपीचंद और त्रिशा जोली ने अप्रैल में चयन ट्रायल में शीर्ष पर रहकर क्वालीफाई किया था लेकिन इसके बाद उन्होंने एशियाई चरण की प्रतियोगिताओं में अधिक भाग नहीं लिया क्योंकि गायत्री चोट से उबर रही थी। उन्होंने मलेशिया मास्टर्स में वापसी की लेकिन अनुकूल परिणाम हासिल करने में नाकाम रहे।
अश्विनी पोनप्पा चौथी बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेगी तथा चिराग और सात्विक की जोड़ी के अलावा उनकी उपस्थिति में ही भारत मिश्रित टीम स्पर्धा में खिताब का दावेदार बना हुआ है। अश्विनी इस बार मिश्रित युगल में बी सुमित रेड्डी के साथ जोड़ी बनाएगी।
व्यक्तिगत स्पर्धाओं में सिंधू अभी तक स्वर्ण पदक जीतने में नाकाम रही है। उन्होंने पिछले दो राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य और रजत पदक जीते थे। इस बार हालांकि वहां खिताब के प्रबल दावेदार के रूप में शुरुआत करेगी। उन्हें कनाडा की विश्व में 13वें नंबर की खिलाड़ी और 2014 की चैंपियन मिशेली ली, स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमर और सिंगापुर की इयो जिया मिन से चुनौती मिलने की संभावना है।
पुरुष एकल में भारत को थॉमस कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले लक्ष्य और श्रीकांत पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। यह दोनों मामूली चोटों से वापसी कर रहे हैं।
श्रीकांत 2018 में स्वर्ण पदक से चूक गए थे। उन्हें फाइनल में ली चोंग वेई ने हराया था। श्रीकांत और सेन को विश्व चैंपियन लोह कीन इयू और मलेशिया के एनजी जे यंग से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
(भाषा)