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Last Modified: रामेश्वरम (तमिलनाडु) , रविवार, 15 अक्टूबर 2023 (19:04 IST)

ISRO चीफ का बड़ा खुलासा, Chandrayaan-3 की टेक्नोलॉजी को लेकर अमेरिकी विशेषज्ञों ने कही यह बात

S. Somnath
ISRO Chairman's big revelation regarding Chandrayaan-3 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने रविवार को कहा कि अमेरिका में जटिल रॉकेट मिशन में शामिल विशेषज्ञों ने जब चंद्रयान-3 अंतरिक्षयान को विकसित करने की गतिविधियों को देखा तो भारत को सुझाव दिया कि वे उनसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी साझा करें।
 
उन्होंने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वक्त बदल गया है और भारत बेहतरीन उपकरण और रॉकेट बनाने में सक्षम है, यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला है। सोमनाथ रविवार को दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद की 92वीं जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
 
उन्होंने कहा, हमारा देश बहुत शक्तिशाली राष्ट्र है। आप समझ गए? ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्तर के लिहाज से हमारा देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक है। इसरो प्रमुख ने कहा, चंद्रयान-3 मिशन के लिए जब हमने अंतरिक्ष यान को डिजाइन और विकसित किया, तो हमने जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला, नासा-जेपीएल के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया, जो सभी रॉकेट और सबसे कठिन मिशन पर काम करते हैं।
 
उन्होंने कहा, नासा-जेपीएल से लगभग पांच-छह लोग (इसरो मुख्यालय में) आए और हमने उन्हें चंद्रयान-3 के बारे में समझाया। यह सॉफ्ट लैंडिंग (23 अगस्त को) होने से पहले की बात है। हमने बताया कि हमने इसे कैसे डिजाइन किया और हमारे अभियंताओं ने इसे कैसे बनाया और हम चंद्रमा की सतह पर कैसे उतरेंगे, और उन्होंने बस इतना कहा, कोई टिप्पणी नहीं। सब कुछ अच्छा होने वाला है।
Chandrayaan-3
जेपीएल एक अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला है जो नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) द्वारा वित्त पोषित है और अमेरिका में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) द्वारा प्रबंधित है। सोमनाथ ने कहा, उन्होंने (अमेरिकी अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने) एक बात यह भी कही, वैज्ञानिक उपकरणों को देखो, वे बहुत सस्ते हैं। इन्हें बनाना बहुत आसान है और ये उच्च तकनीक वाले हैं। आपने इसे कैसे बनाया? वे पूछ रहे थे, आप इसे अमेरिका को क्यों नहीं बेच देते?।
 
उन्होंने कहा, तो आप (छात्र) समझ सकते हैं कि समय कितना बदल गया है। हम भारत में सर्वोत्तम उपकरण और सर्वोत्तम रॉकेट बनाने में सक्षम हैं। यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव को सफलतापूर्वक छुआ, जिससे वह अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चंद्रमा पर उतरने की उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया।
 
सोमनाथ ने छात्रों से कहा, अब हम आप लोगों से कह रहे हैं कि आएं और रॉकेट, उपग्रह बनाएं और हमारे देश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में और अधिक शक्तिशाली बनाएं। यह केवल इसरो ही नहीं है, हर कोई अंतरिक्ष में ऐसा कर सकता है। चेन्नई में एक कंपनी है जिसका नाम अग्निकुल है, जो रॉकेट का निर्माण कर रही है। ऐसी ही हैदराबाद में एक कंपनी स्काईरूट है, भारत में कम से कम पांच कंपनियां हैं, जो रॉकेट और उपग्रह बना रही हैं।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour