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रकुल प्रीत सिंह की मां यह सवाल पूछती हैं सबसे ज्यादा

मदर्स डे पर अपनी माँ की बातें शेयर करते हुए रकुल प्रीत ने बताया, "मेरी माँ को हमेशा लगता था कि कोई भी शख्स मेरे बच्चों को ये ना कह दे कि देखो तुम्हारे बच्चे को ये नहीं आता।

रकुल प्रीत सिंह की मां यह सवाल पूछती हैं सबसे ज्यादा - Interview of film actress Rakul Preet Singh about her Mother
"मेरी मां का मेरी ज़िंदगी में बहुत ज़्यादा प्रभाव रहा है। उनका कद कम था तो वो हर हाल में चाहती थीं कि हम दोनों यानी मैं और मेरा भाई की ऊंचाई अच्छी रहे। हमारे घर के पास एक पार्क था दिल्ली में, वहां मेरी माँ मुझे और मेरे भाई को लटकाने के लिए लेकर जाती थीं। वहां पाइप पर मुझे और भाई को लटका कर गिनती करती थीं। फिर कहती थीं कि चलो दस सेकंड और करो तो चॉकलेट दूँगी। मैं उस समय कक्षा चौथी या पाँचवीं में थी। मेरी मां हर हाल में चाहती थीं कि हमारा कद ज्यादा हो।"
 
2011 में मिस इंडिया जैसे जाने-माने ब्यूटी पैजेंट में अपनी खूबसूरती और क़ाबिलियत दिखाने वाली रकुल प्रीत सिंह का कद 5 फीट 8 इंच है, जो कि एक मॉडल के लिए सही कद कहा जाता है, लेकिन उसके पीछे उनकी मम्मी की मेहनत भी रही है और ये बात कम ही लोगों को पता है। 
 
मदर्स डे पर अपनी माँ की बातें शेयर करते हुए रकुल प्रीत ने वेबदुनिया को बताया, "मेरी माँ को हमेशा लगता था कि कोई भी शख्स मेरे बच्चों को ये ना कह दे कि देखो तुम्हारे बच्चे को ये नहीं आता। इसलिए वे हमें हमेशा पुश करती थी कि सारे काम करो। मल्टीटास्किंग आनी चाहिए। अपने समय का कोई खेल ऐसा नहीं था जो हमने ना खेला हो। लॉन टेनिस, घुड़सवारी, कराटे या बैंडमिंटन सब खेला है। वह  कहती थी कि जैक ऑफ ऑल एंड मास्टर ऑफ वन बनो। 
 
यानी अनुशासन पसंद करती थीं? 
हाँ, मुझे याद है, जब मैं पहली कक्षा में थी तब से हमारा एक रुटीन हुआ करता था। मेरे उम्र की सारी लड़कियाँ घर-घर खेलती थी, लेकिन हम स्कूल से आते थे, फिर तीन बजे से आठ बजे तक होमवर्क, फिर पढ़ाई और क्लासेस करते थे और आठ बजे सो जाते थे। जब मैं चौथी या पाँचवी में आई तो थोड़ी अक़्ल भी आने लगी तब कहती थी कि सब लड़कियाँ मस्ती कर रही हैं और मैं क्लासेस करती रहती हूँ। 
 
आपने प्रोफ़ेशनल गोल्फ़ खेला है, जो महंगा खेल है, जबकि आपके पिता आर्मी में थे। कैसे मैनेज किया? 
मेरी ज़िंदगी में जब गोल्फ़ आया तब माँ की अलग ही खूबसूरती सामने आई। गोल्फ क्लब का किराया उस समय एक दिन का एक हजार रुपये था। ऊपर से पापा नौकरी पेशा थे। उस समय में इतना पैसा कौन दे सकता था? तो मां ने उपाय निकाला। वे अलग-अलग कोनों में जा कर खड़ी होती और हम दोनों से कहती, जहां मैं खड़ी हूँ बॉल वही मारना वरना मैं पीटूँगी। अपने बच्चों के लिए इतनी मेहनत करना बहुत मुश्किल होता है। 
 
करियर में कैसे मदद हुई? 
मेरी माँ को ही पहले लगा कि मुझे मॉडलिंग करनी चाहिए। आज भी हर रात मुझे मम्मी का फोन आता है। वह बताती हैं कि बेटा आज का ड्रेस पसंद नहीं आया या ये रंग ठीक नहीं लग रहा था। मैंने एक दिन उन्हें यूँ ही फोन करके थैंक्यू कहा। मैंने कहा कि थैंक्स, आप लोगों ने मुझसे ज़िंदगी में इतना काम कराया कि मुझे समय व्यर्थ करने की आदत नहीं है। मैं जब कहती हूँ कि मैं मल्टीटास्कर हूँ तो ये सच होता है। जब मैं लगातार काम करती रहती हूँ तब भी मैं थकती नहीं। 
 
माँ सबसे ज़्यादा किस बारे में पूछती हैं.
एक ही सवाल, बेटा खाना खा लिया या नहीं?