मनमर्जियां इसलिए की क्योंकि यह अनुराग कश्यप की फिल्म है: अभिषेक बच्चन
'इस फिल्म को मैंने किया ही इसलिए, क्योंकि ये अनुराग की फिल्म है। अनुराग कश्यप और एक लव स्टोरी बहुत ही नया और अनोखा कॉम्बिनेशन है। और सच कहू्ं तो इस फिल्म में एक्टर, लाइटमैन और यहां तक कि क्रू का हर मेंबर मेरे लिए नया है। मैं पहली बार उनके साथ काम कर रहा था। सिवाय दारजी के, जो तापसी के दादा बने हैं। अरुण बालीजी, उनके साथ मैंने 'ढाई अक्षर प्रेम के' में काम किया था। टीम की जो ताजगी है मुझे उसमें विश्वास था इसीलिए काम किया और फिर मैं जानता था कि अनुराग इसमें अपना तड़का लगाने वाला है।'
2016 में 'हाउसफुल 3' में काम करने के बाद एक बार फिर लोगों के सामने अभिषेक 'मनमर्जियां' के जरिये आ रहे हैं। 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष ने अभिषेक से बातचीत की।
आप एक अंतराल के बाद लौट रहे हैं, तो टेक 2 को लेकर कोई डर?
बहुत सारा। मैं बहुत ज्यादा चिंतित भी था और डरा हुआ भी था कि कैसे होगा? मैं अपने आप से भी पूछ रहा था। लेकिन एक बार मैं सेट पर पहुंचा तो बस लगा कि बैक टू बिजनेस है और क्या? इसके लिए मैं हमेशा अनुराग का ऋणी रहने वाला हूं। उसने मुझे वो माहौल दिया कि मैं बहुत शांत हो गया। शायद वो भी समझ रहा था कि मैं किन बातों से जूझ रहा हूं या किन बातों से परेशान हूं या मेरी अपने आपको लेकर जो सोच है। मैं हमेशा अनुराग का शुक्रगुजार रहूंगा।
आपका छोटे से अवकाश पर जाना कैसे हुआ?
मैं हमेशा कहता हूं कि मैं बहुत समय से हूं इस इंडस्ट्री में, तो ऐसे में ये बहुत छोटी-मोटी बातें लगती हैं। हां, मैंने एक ब्रेक लिया, क्योंकि मुझे लगा कि मुझे इसकी जरूरत है। मुझे अपने काम को लेकर संतोष की भावना होने लगी थी और मुझे ये पसंद नहीं आ रहा था, तो मैंने सोच-समझकर एक ब्रेक ले लिया बस।
आपकी एक्टिंग की सराहना होती है लेकिन कई फिल्में नहीं चलीं। कहां चूक गए?
इसका जवाब अगर किसी के पास होता तो हम सिर्फ हिट फिल्में बनाते। आपको जिंदगी में एक बात माननी पड़ेगी कि जो ऊपर जाता है, वो एक दिन नीचे भी आता है। आप अगर कुछ कर सकते हैं तो वो ये है कि काम करते रहो। दर्शक या सामने बैठा शख्स क्या सोचेगा, ये आपके बस में नहीं लेकिन काम करते रहना आपके बस में है। फिर आपको सोचना होता है कि क्या ऐसा हुआ, जो काम सफल नहीं हुआ तो इसे सुधारने के लिए काम कीजिए और बेहतर बनने की ओर चलिए।
कभी ऐसा लगा कि पिताजी से तुलना बहुत गलत है?
नहीं। मेरे अंदर जरूर कुछ देखा होगा तभी ये कहा होगा। मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा।
आपका काम अच्छा है लेकिन फिल्म नहीं चली। तो क्या आपको ये बात पच जाती है?
बिलकुल नहीं। मैं किसी अनजान द्वाप या टापू पर नहीं हूं कि मैंने अच्छा काम कर लिया बस। ये एक टीम की बात है। अगर आपका काम अच्छा होता तो फिल्म हिट होती। अगर फ्लॉप है तो सोचो क्यों फ्लॉप है? उससे सीख लो, उसे मत दोहराओ लेकिन आगे बढ़ते रहो।
आपकी और ऐश्वर्या की फिल्म 'गुलाब जामुन' के बारे में बताइए?
इसके लेखक निर्देशक सर्वेश मेवाड़ा हैं। उन्होंने जो कहानी सुनाई थी, वो बहुत ही बेहतरीन है। मुझे और ऐश्वर्या दोनों को पसंद आई। सर्वेश ये कहानी पिछले साल लाए थे मेरे पास और हमने इसके लिए हामी भी भर दी है। लेकिन ये फिल्म शुरू होने में अभी समय है।