'जब मुझे अंदर से लगता है कि मुझे नया क्या करना है तब जाकर मैं स्क्रिप्ट ढूंढने निकलता हूं। ये बिलकुल वैसा ही है, जैसा कि जब आपको भूख लगती है तो आप खाना ढूंढने जाते हैं। ये ही कारण है कि मैं रोज स्क्रिप्ट नहीं देखता या पढ़ता हूं। जब मैं एक बार में एक फिल्म खत्म कर लेता हूं तो फिर नई फिल्म की बात सोचता हूं।'
'जहां तक बात रही इनमें से किस फिल्म में मैं काम करूंगा तो मैं जैसे ही फ्री होता हूं, मैं एक-एक करके सारी स्क्रिप्ट पढ़ना शुरू कर देता हूं। जैसे ही कोई पसंद आई तो बस वहीं रुक जाता हूं। फिर मैं कुछ नहीं पढ़ता। इस बीच अगर ऑफिस वाले कहते हैं कि एक स्क्रिप्ट है पढ़कर बता दीजिए, क्योंकि लेखक कहीं और भी दिखाना चाहता है तो फिर मैं उसे रोकता भी नहीं।'
'मैं कह देता हूं कि लेखक को कहे कि वो किसी और को दिखा दे, कहानी अभी मैं नहीं देख पाऊंगा। अपने फिल्मों के चुनाव पर कुछ इस तरह बोलते आमिर भले ही मितभाषी कहलाने में यकीन रखते हैं लेकिन जब भी बोलते हैं आप सुनते रहना चाहते हैं।' 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से बातें करते हुए आमिर ने कई बातों का जिक्र किया।
आपकी हर फिल्म में आपका लुक बहुत जुदा होता है। क्या कोई ऐसा लुक है, जो आपको पसंद नहीं आया?
'बहुत पहले मेरी एक फिल्म आई थी 'आतंक ही आतंक', जो कि गॉडफादर पर बनी हुई थी। उस फिल्म में मेरे किरदार ने सूट पहना है। उसे इटैलियन लुक देने की कोशिश की गई थी। बालों को जेल किया, लेकिन यह मुझे अच्छा नहीं लगा, क्योंकि हमारे देश में कोई डॉन सूट पहनकर नहीं घूमता है। अगर घूमना ही है तो कुरता-पजामा पहनकर जाएंगे ना। इतनी गर्मी में कोई थोड़े ही सूट पहनेगा। वो लुक मुझे अच्छा नहीं लगा था। हमारे देश में कोई थ्री-पीस सूट कहां पहनता है रोजमर्रा की जिंदगी में? यदि यूरोप की कहानी होती तो समझ में आता। वह सीखने का दौर था। मैं पहले तो खुश हुआ कि क्या कमाल कर दिया, लेकिन बाद में लगा कि अरे ये मैंने क्या किया? कहां गया मेरा लॉजिक और कहां गया मेरा कॉमन सेंस?'
अपनी जवानी के समय में कोई आपका पसंदीदा सिंगर रहा है? उस समय तो बाबा सहगल जैसे कलाकारों का बोलबाला था या कोई दीवानगी रही हो?
'पागलपन या दीवानगी मेरे नेचर में नहीं है, तो ऐसा तो कभी नहीं हुआ। मुझे उस समय में रहमान का काम बहुत पसंद था। आज भी पसंद है वो समय। 'रोजा' जैसी फिल्म में उनका संगीत पसंद आया था। उनका भी वो शुरुआती दौर था।'
सीक्रेट सुपरस्टार फिल्म में इंसिया जैसी लड़कियों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
'ये धर्म से बंधी फिल्म नहीं है। ये कहानी किसी भी लड़की की हो सकती है। बस अद्वैत ने एक मुसलमान परिवार को चुना। अब 'लगान' में अगर भुवन मुसलमान भी होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता।'
आमिर, आपने किसी को आदर्श बनाया है?
'नहीं, कभी नहीं, लेकिन 5 साल पहले मुझे ऐसा कुछ महसूस हुआ। उन दिनों मैं शिकागो में 'धूम 3' को शूट कर रहा था और मैंने एक डॉक्यूमेंट्री देखी थी 'सर्चिंग फॉर शुगरमैन'। ये एक सच्ची कहानी पर बनी फिल्म है। उसे देखकर लगा कि मैं इसके जैसा 5 प्रतिशत भी बन जाऊं तो बहुत बड़ी बात होगी।'
आप अपनी फिल्मों को रियलिटी शोज में प्रमोट क्यों नहीं करते?
'मोटे तौर पर कहूं तो कभी भी रियलिटी शोज की वजह से फिल्में हिट नहीं होतीं। ऐसी कोई फिल्म हो, जो बहुत छोटे बजट की हो और उसकी मार्केटिंग या प्रमोशन के लिए पैसा भी न हो, तो वे रियलिटी शोज पर जाए तो सही है ताकि लोगों को मालूम तो पड़े कि ऐसी कोई फिल्म भी आने वाली है। 'पीपली लाइव' के लिए हम गए थे रियलिटी शोज पर, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि कोई भी पोस्टर देखकर आता है फिल्म देखने। वैसे भी फिल्म के प्रोमो देखकर लोग तय करते हैं कि फिल्म देखें या नहीं, न कि रियलिटी शोज देखकर वे फैसला लेते हैं।