हर साल की तरह बीते वर्ष भी कई नए चेहरों ने हिंदी सिनेमा के दरवाजे पर दस्तक दी और अपनी सिनेमाई यात्रा शुरू की। इनमें से अधिकतर की फिल्में ज्यादा दमदार तो साबित नहीं हुईं लेकिन माही गिल, जैकी भगनानी, श्रुति हसन जैसे नवोदित कलाकारों को पहचान जरूर मिली।
रुपहले पर्दे पर इस साल आए करीब डेढ़ दर्जन नए चेहरों में से कुछ फिल्म निर्माता, निर्देशक या अभिनेताओं के पुत्र-पुत्री हैं तो कुछ मॉडलिंग अथवा छोटे पर्दे की दुनिया से इस ओर आए हैं। कुछ चेहरे इंडस्ट्री के लिए बिल्कुल नए हैं, जिन्होंने छोटे शहरों से मुंबई का रुख किया है।
नवोदित सितारा पुत्र/पुत्रियों में एक नाम श्रुति हसन का है। प्रसिद्ध अभिनेता कमल हासन और हिंदी फिल्मों की जानीमानी अभिनेत्री सारिका की बेटी श्रुति मूल तौर पर गायिका हैं।
श्रुति अपने पिता की 2000 में आई फिल्म ‘हे राम‘ में एक छोटी-सी भूमिका अदा कर चुकी थीं, लेकिन शीर्ष भूमिका उन्होंने इस साल आई फिल्म ‘लक’ में की। अनुराग कश्यप की फिल्म ‘देव डी’ से हिंदी फिल्मों का सफर शुरू करने वाली पंजाबी अभिनेत्री माही गिल के काम को फिल्म समीक्षकों ने सराहा। माही ने इसके बाद ‘गुलाल’ और ‘आगे से राइट’ में भी काम किया। ‘देव डी’ में ही कल्की कोएचलिन ने भी पहली बार काम किया। मॉडलिंग से इस ओर रुख करने वाली कल्की के माता-पिता फ्रांसीसी मूल के हैं।
नए प्रभावशाली चेहरों में निर्माता वासु भगनानी के बेटे जैकी भगनानी का नाम भी लिया जा सकता है। वासु ने अपने बेटे को दमदार तरह से प्रस्तुत करने के लिए फिल्म ‘कल किसने देखा‘ रिलीज की। हालाँकि फिल्म ज्यादा नहीं चल सकी। इसी फिल्म में फिल्म निर्माता मनमोहन देसाई की भतीजी वैशाली देसाई को भी पहली बार अभिनय का मौका मिला।
एड गुरू एलेक पद्मसी और शैरोन प्रभाकर की बेटी शाजान पद्मसी भी हाल ही में प्रदर्शित फिल्म ‘रॉकेट सिंह’ में रणवीर कपूर के साथ दिखाई दीं। वे मॉडलिंग भी करती रहीं हैं।
कुछ विदेशी अदाकाराओं ने भी इस साल हिंदी फिल्मों का दामन थामा। इनमें ‘लव आज कल‘ में सैफ अली खान के साथ पंजाबी युवती का किरदार करने वाली गिजेल मोंटेरो शामिल हैं। ब्राजीली मॉडल गिजेल का कहना है कि उन्हें फिल्मों के प्रस्ताव मिल रहे हैं और वे चुनिंदा फिल्मों में काम करेंगी।
अमिताभ बच्चन, संजय दत्त और रितेश देशमुख अभिनीत ‘अलादीन’ से श्रीलंकाई सुंदरी जैकलीन फर्नांडीज ने हिंदी फिल्मों की ओर रुख किया। जैकलीन मिस श्रीलंका 2006 रह चुकी हैं।
कुछ चेहरे छोटे पर्दे से भी फिल्मों की तरफ आए हैं। टीवी के दर्शकों के बीच गहरी पैठ बनाने वाली आमना शरीफ और नौशीन अली सरदार का नाम इनमें शामिल है।
धारावाहिक ‘कहीं तो होगा’ की कशिश के तौर पर पहचान पाने वाली आमना ने कॉमेडी फिल्म ‘आलू चाट’ से बड़े पर्दे पर पहुँच बनाई। उन्होंने इसके बाद आफताब शिवदासानी के साथ फिल्म ‘आओ विश करें’ में भी काम किया। हालाँकि लगता है कि छोटे पर्दे की इस चहेती अभिनेत्री को बड़े पर्दे पर पाँव जमाने में अभी समय लगेगा।
धारावाहिक ‘कुसुम’ की शीर्ष अदाकारा नौशीन अली सरदार ने विक्रम भट्ट की ‘थ्री-लव, लाइज एंड बिट्रेयल’ से सिनेमा जगत में पदार्पण किया।
टीवी पर लोकप्रिय रहे संगीत रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल’ के सीजन एक के विजेता रहे अभिजीत सावंत को भी इस साल मार्च में प्रदर्शित फिल्म ‘लॉटरी’ में काम करने का मौका मिला।
इसी साल आई फिल्म ‘बाबर’ तो नहीं चल सकी लेकिन इसमें नवोदित अभिनेता सोहम शाह की संवाद अदायगी की तारीफ हुई। अन्य कुछ नए नामों में मानसी डोभाल, रुचा गुजराती, मनीषा केलकर, शीना शाहबादी हैं।
इन सबके साथ परजान दस्तूर और आएशा कपूर के नाम भी लिये जा सकते हैं। जो वैसे तो बाल कलाकारों के तौर पर पहले ही दर्शकों के बीच अपने अभिनय की छाप छोड़ चुके हैं लेकिन कुछ दिन पहले आई फिल्म ‘सिकंदर’ में इन दोनों को और परिपक्व किरदारों में देखा गया।
याद कीजिए फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ के नटखट सिख बालक को या ‘मोहब्बतें’ और ’कभी खुशी कभी गम’ में चुलबुले किरदार करने वाले बच्चे को। इसी बालक परजान ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की पृष्ठभूमि में बनी ‘सिकंदर’ में शीर्ष भूमिका अदा की है।
वहीं संजय लीला भंसाली की ‘ब्लैक’ में जबरदस्त अभिनय करने वाली आएशा भी ‘सिकंदर’ में परजान के साथ फिर बड़े पर्दे पर लौटीं। (भाषा)