lock down poem : पथिकों की डगर को मखमली रखना
डॉ. पूर्णिमा भारद्वाज | सोमवार,मई 18,2020
भगवन मेरे,
पथिकों की डगर को
मखमली रखना
हाथों को
निवाले भी
उजास भी
पूरा का पूरा
रहने देना सूरज में
चांद की ...
lockdown poem : हे ईश्वर! तुझे ही तो सब कुछ फिर से चमकाना है सूरज सा.
डॉ. पूर्णिमा भारद्वाज | रविवार,अप्रैल 19,2020
कितना पकड़ेगा वह
शेष छुटी हुई
इस गुनगुनी साँझ को
कि जब लौटता था
खेतों से ,
तो धूल का
पूरा का पूरा गुबार
खेत की ...
उत्तरायण पर कविता : मन की मकर राशि में छा जाओ देव बनकर
डॉ. पूर्णिमा भारद्वाज | गुरुवार,जनवरी 16,2020
कि देखो,
फागुन भी टोह ले रहा
और खेतों की मेड़ पर
उग आईं हैं
टेसू चटकाती
सुर्ख होती डालियां
तो किसी शीत ...
हिन्दी दिवस पर कविता : आज हिन्दी की तलब लगी मुझे
डॉ. पूर्णिमा भारद्वाज | शुक्रवार,सितम्बर 13,2019
आज हिन्दी की
तलब लगी मुझे
सुबह-औसारे
और चारों तरफ से आने लगी
एक प्याला सुहानी सुबह...
हां, हिन्दी में सोचने, और ...