शनि महाराज को कालपुरुष का दंडाधिकारी कहा गया है। इन्हें दास भी कहा जाता है। कर्मक्षेत्र पर शनि ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। समाज, संगठन, समिति तथा निचले स्तर के लोगों पर शनि का विशेष असर रहता है।
काला-नीला रंग, दक्षिण-पश्चिम दिशा पर शनि ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। सीमेंट, लोहा, तेल, पेट्रोल शनि की विशेष वस्तुएं हैं। उद्योग, कारखाना, वकालत, पुलिस और अस्पताल में शनि ग्रह असरकारी होते हैं। चूंकि शनि कालपुरुष का दुख भी है अत: शनि की महादशा साढ़ेसाती ढैया-अढैया सूर्य-चन्द्र से शनि के भ्रमण में होने से प्रत्येक जीव को भयानक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
यदि महादशा भी खराब चल रही हो तो शनि महाराज जातक को तीव्र मानसिक तथा शारीरिक कष्ट भी देते हैं। जन्म कुंडली में शनि के बिगड़ने मात्र से आदमी का जीवन दुखद हो जाता है और यही ग्रह सुधरने से जीवन सुखी हो जाता है।
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कुंडली में अशुभ शनि की स्थिति
* लग्न में बैठा शनि परिवार, व्यापार, वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है।
* चतुर्थ भाव में बैठा शनि कर्मक्षेत्र को बिगाड़ता है।
* पंचम भाव में बैठा हुआ शनि सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव देता है। इसका अनुभव मैंने अपने जीवनकाल में कई पत्रिकाओं में देखा है। यह शनि शिक्षा, संतान, परिवार, व्यापार, आर्थिक स्थिति को भी बिगाड़ता है, इसका उपाय अवश्य करना चाहिए।
* आठवें शनि के कारण कर्मक्षेत्र, धन व शिक्षा में रुकावट आती है।
* दशम भाव में बैठा हुआ शनि कर्मक्षेत्र में सफलता दिलाता है, परंतु मानसिक सुख और पारिवारिक जीवन में अशांति लाता है।
* पत्रिका में शनि यदि अशुभ भाव का स्वामी होकर जिन ग्रहों को देखेगा तो उससे संबंधित समस्या जरूर लाएगा।
* शनि ग्रह की सूर्य और चन्द्र पर दृष्टि भी तकलीफ देती है।
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शनि शांति के उपाय
* शनि महाराज सूर्य के पुत्र हैं अत: सूर्य पूजा करने वालों से वे प्रसन्न रहते हैं।
* हनुमानजी को उन्होंने उनके भक्तों को कष्ट न देने का वचन दिया है अत: हनुमान सेवा से शनि पीड़ा दूर होती है।
* हनुमानजी भगवान सूर्य के शिष्य तथा सूर्य कुलनायक भगवान श्रीराम के परम सेवक हैं। भगवान श्रीराम ने अपने पारिवारिक जीवन में दुखों का मर्यादापूर्वक निर्वाह किया।
* हम भी अपने पारिवारिक जीवन में दुख पाते हैं। जो व्यक्ति रामायण का प्रतिदिन पाठ करता है, पवनपुत्र हनुमानजी रामकथा सुनने अवश्य जाता है तो वे शनिदेव के कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं अत: रामकथा घर में अवश्य करना चाहिए।
* पीपल के वृक्ष के नीचे शनि के नामों का स्मरण करने से शनि पीड़ा शांत होती है।
* महाराज दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि पीड़ा से राहत मिलती है।
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कैसे बिगड़ते हैं शनिदेव?
* मदिरापान करने से।
* मांस-मछली खाने से।
* परपुरुष व परस्त्री संबंध से।
* इश्कबाजी से।
* अपने माता-पिता व गुरु के अपमान से।
यदि आपके जीवन में दुख है तो ये उपाय करें और अगर आप यदि सुखी हैं तो उपरोक्त काम न करें जिससे कि शनि महाराज आपको दंडित करें।
(संपादक 'महाकाल रहस्य ज्योतिष' का पाक्षिक अखबार)